सम्पादकीय

नये कोरोनाकी दस्तक


वर्ष २०२० के जाते-जाते देशमें कोरोना वायरसके नये रूपने दस्तक दे दी है। इस समय दुनियाके १९ देशोंमें कोरोनाका नया रूप पहुंच गया है, जिनमें ब्रिटेन सहित कई देशोंमें इसका फैलाव तेजीसे बढ़ रहा है। नये वायरसको लेकर लोगोंमें चिन्ता और आशंकाएं भी बढ़ गयी हैं। वायरसका नया रूप २० से २१ सितम्बरके बीच लन्दनके केंट क्षेत्रसे लिये गये सैम्पलसे सामने आया था। यह संतोषकी बात है कि वैज्ञानिकोंने कम समयके अन्दर ही इसके नये रूपकी पहचान कर ली। भारतमें भी कोरोनाके प्रसारका सिलसिला शुरू हो गया है। नये कोरोनासे संक्रमितोंकी संख्या बीस हो गयी है। यह वायरस पुराने वायरसकी तुलनामें ७० प्रतिशत अधिक संक्रामक है। इसकी छोटी-सी मात्रा भी किसी व्यक्तिको बीमार कर सकती है। विश्व स्वास्थ्य संघटन (डब्लूएचओ) का कहना है कि कोविड प्रोटोकालका पूर्ववत अनुपालन बचावके लिए जरूरी है। नये वायरसके संक्रमितोंके लिए जीनोम सिक्वेसिंगकी जरूरत होती है। वस्तुत: वायरस भी रूप बदलते रहते हैं। मेडिकल साइंसमें इसे म्यूटेशन कहते हैं। कोविडका वायरस एक महीनेमें दो बार रूप बदल रहा है। वायरसका नया रूप पहलेसे ही ब्रिटेनमें मौजूद था। अनेक देशोंसे यहां आने-जानेवालोंके कारण इसका प्रसार दूसरे देशोंमें होने लगा। भारतमें नये रूपको लेकर सतर्कता बढ़ा दी गयी है। ब्रिटेनसे आनेवाली उड़ानोंपर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है लेकिन इस प्रतिबन्धको और बढ़ाया जाना चाहिए। साथ ही अन्य देशोंसे आनेवाले विमान यात्रियोंकी सघन जांच भी होनी चाहिए। ब्रिटेन सहित अन्य देशोंपर स्वास्थ्य मंत्रालयकी नजर बनी हुई है। इसके लिए टास्क फोर्स बना दिया गया है। विशेषज्ञोंका यह मानना है कि नये कोरोना संक्रमितोंके इलाजमें परिवर्तनकी अभी आवश्यकता नहीं है। लेकिन जीनोम सिक्वेसिंग लैबकी संख्या अभी छह है। इसे बढ़ानेकी जरूरत हैं, क्योंकि यदि तेजीसे संक्रमण बढ़ा तब परेशानी उत्पन्न हो सकती है। जहांतक टीकाका सवाल है, वह नये वायरसपर भी कारगर रहेंगे। भारतके प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डाक्टर के. विजय राघवनने आश्वस्त किया है कि कोई ऐसा साक्ष्य नहीं मिला है, जिससे यह नतीजा निकाला जा सके कि मौजूदा टीके नये प्रकारके वायरसपर असरकारी नहीं होंगे। नया स्वरूप अधिक संक्रामक अवश्य है लेकिन यह नहीं पाया गया कि इससे बीमारी गम्भीर होती है। नीति आयोगके सदस्य डाक्टर वी.के. पालने सलाह दी है कि कोरोनाके नये रूपको लेकर बेहद सावधानी आवश्यक है। कुछ राष्टï्र लगातार विनाशकारी स्थितिका सामना कर रहे हैं। ऐसी स्थितिमें पहलेकी अपेक्षा जनताको अधिक सजग और सतर्क रहनेकी आवश्यकता है। इससे घबराने या दहशतमें आनेकी जरूरत नहीं है लेकिन सावधानीमें कोई ढिलाई भी नहीं होनी चाहिए। सरकार कोरोनाके नये रूपसे निबटनेके लिए अपने स्तरसे तैयारी कर रही है लेकिन आम जनताको स्वयं अत्यधिक सतर्क रहना होगा तभी नये कोरोनासे उत्पन्न चुनौतीका सामना किया जा सकता है।
बाइडेनका उचित सुझाव
चीनकी विस्तारवादी कुनीति और उसकी गलत हरकतोंसे विश्वके अनेक राष्टï्र पीडि़त हैं। इसपर अंकुश लगाना आवश्यक हो गया है लेकिन यह कार्य कोई भी देश अकेले नहीं कर सकता है। इसके लिए विश्वके शान्ति और स्थिरता प्रिय देशोंका एकजुट होना जरूरी है तभी चीनसे उत्पन्न चुनौतियोंका सफलतापूर्वक मुकाबला किया जा सकता है। इस सन्दर्भमें अमेरिकाके नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडेनने एक अत्यन्त ही महत्वपूर्ण और उपयोगी सुझाव दिया है जिसका समर्थन पूरी दुनियाको करना चाहिए। बाइडेनने कहा है कि बीजिंगका सामना करनेके लिए समान विचारधारावाले देशोंका अन्तरराष्ट्रीय गठबन्धन बनाना चाहिए। उन्होंने आगामी चार वर्षोंके लिए अमेरिका-चीन सम्बन्धोंके लिए अपने फार्मूलेकी भी घोषणा कर दी है। बाइडेनने राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति एजेंसीकी समीक्षा टीमके सदस्योंके साथ बैठकमें यह भी कहा कि जब हम प्रौद्योगिकी और मानवाधिकारके दुरुपयोग सहित अन्य मोरचोंपर चीनकी सरकारको जवाबदेह ठहरानेका प्रयत्न करते हैं तो समान विचारधारावाले सहयोगियोंके साथ गठजोड़से स्थिति और मजबूत होगी। बाइडेनने जो बातें कही हैं वह प्रासंगिक हैं और इसपर अमल करनेकी भी जरूरत है। जिस प्रकार वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्पका चीनके प्रति आक्रामक रवैया रहा है, बाइडेन उससे अलग नहीं हैं, बल्कि वह चीनके खिलाफ जंगके लिए विश्व स्तरपर बड़ी रेखा खींचनेके प्रति सक्रिय हंक और यह जरूरी भी है। यद्यपि ट्रम्प और बाइडेनकी राजनीतिक विचारधारा अलग-अलग है लेकिन चीनके सवालपर बाइडेन ट्रम्पसे भी आगे निकल सकते हैं। बाइडेनके शुरुआती बयान इसकी पुष्टि करते हैं। वैसे भी चीनका बढ़ता वर्चस्व विश्वहितमें नहीं है। पाकिस्तान सहित कुछ देश जो चीनका समर्थन करते हैं उन्हें भी अपना दृष्टिïकोण बदलना चाहिए, क्योंकि चीन अपने स्वार्थ और हितोंकी पूर्तिके लिए किसी भी स्तरतक जा सकता है। पाकिस्तान और नेपाल जैसे कई देश इसके दृष्टïान्त हैं। ऐसी स्थितिमें चीनपर लगाम लगानेके लिए बाइडेनके सुझावोंको उचित माना जा सकता है।