पुरातत्व संरक्षण समिति की सहमति जरूरी
नयी दिल्ली (आससे)। नया संसद भवन और कॉमन सेंट्रल सेक्रेटरिएट बनाने के सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 2-1 से मंजूरी दे दी। 3 जजों की बेंच ने यह फैसला सुनाया। इनमें से एक जस्टिस संजीव खन्ना को फैसले पर आपत्ति थी। 20 हजार करोड़ रुपये की सेंट्रल विस्टा योजना मोदी सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरण मंजूरी सही तरीके से दी गयी। लैंड यूज में बदलाव का नोटिफिकेशन भी वैध (वैलिड) था। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी कि कंस्ट्रक्शन शुरू करने से पहले हेरिटेज कंजर्वेशन कमेटी (पुरातत्व संरक्षण समिति) की मंजूरी ली जाये। सभी कंस्ट्रक्शन साइट्स पर स्मॉग टावर लगाने और एंटी-स्मॉग गन इस्तेमाल की भी सलाह दी। इस प्रोजेक्ट का ऐलान सितंबर 2019 में हुआ था। इसमें संसद की नई तिकोनी इमारत होगी, जिसमें एक साथ लोकसभा और राज्यसभा के 900 से 1200 सांसद बैठ सकेंगे। नये संसद भवन का निर्माण 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अगस्त 2022 तक पूरा कर लिया जायेगा। सेंट्रल सेक्रेेटरिएट 2024 तक पूरा करने की तैयारी है। राष्ट्रपति भवन, मौजूदा संसद भवन, इंडिया गेट और राष्ट्रीय अभिलेखागार को वैसे ही रखा जायेगा। मास्टर प्लान के मुताबिक पुराने गोलाकार संसद भवन के सामने गांधीजी की प्रतिमा के पीछे 13 एकड़ जमीन पर तिकोना संसद भवन बनेगा। नये भवन में लोकसभा और राज्यसभा के लिए एक-एक इमारत होगी, लेकिन सेंट्रल हॉल नहीं बनेगा। पुरानी बिल्डिंग ओवर यूटिलाइज्ड हो चुकी है और खराब हो रही है। 2026 में लोकसभा सीटों का नये सिरे से परिसीमन का काम शेड्यूल है।