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NDA की गारंटी फ्लॉप कर देंगे तेजस्वी यादव? RJD का महारैली से पहले बड़ा दावा- ये चाहता है बिहार


पटना। राष्ट्रीय जनता दल ने दावा किया कि बिहार के लोग मंदिर और मस्जिद पर कोई बातें नहीं सुनना चाहते हैं, उन्हें सिर्फ अपने नौकरी और रोजगार से मतलब है। बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने यहां के युवाओं को नौकरी और रोजगार देकर उनके सामने एक नई मिसाल कायम की है। उन्होंने सरोकार की राजनीति का बढ़ावा दिया है।

 

राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राष्ट्रीय प्रवक्ता व राज्यसभा सदस्य मनोज झा (Manoj Jha) ने बिहार में चल रही नेता प्रतिपक्ष व पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की जन विश्वास यात्रा के बीच सोमवार को कहा कि वे 20 फरवरी से शुरू हुई इस जन विश्वास यात्रा के गवाह रहे हैं और यात्रा शुरू होने के दिन से साथ चल रहे हैं।

तीन मार्च को पटना के गांधी मैदान में विशाल महारैली

इस यात्रा को बिहार के लोगों का अपार जन समर्थन मिल रहा है। यात्रा में जो जन सैलाब उमड़ रहा है इसे भीड़ कहने की इच्छा नहीं होती। तेजस्वी यादव ने अब तक 20 जिलों की यात्रा की और इसके बाद जनसभाएं की गई। इस बीच तीन मार्च को पटना के गांधी मैदान में विशाल महारैली की घोषणा हुई।

झा ने कहा कि इस बीच यह पाया गया कि चूंकि तीन मार्च को पटना में रैली की जानी है इसलिए हमने रोड शो करने का निर्णय लिया। उन्होंने कहा कि रविवार को जब सुबह 10 बजे हम पटना से चल कर रात को सुपौल पहुंचे उस वक्त रात्रि के ढाई बजे रहे।

इस बात से ही आपको अंदाजा लग जाएगा कि इस यात्रा का व्याकरण क्या है। हम सोचते थे कि जिस जाति का हमारा पारंपरिक वोट है वे हमारे समर्थन में होंगे, लेकिन यह पाया गया कि सबसे ज्यादा भागीदारी, हिस्सेदारी युवाओं और महिलाओं की है जो रात को डेढ़ बजे भी तेजस्वी यादव के सम्मान में खड़ी हैं।

नौकरी मतलब तेजस्वी स्वास्थ्य मतलब तेजस्वी

यह अपने आप में संकेत है एक बड़े बदलाव का। कई लोग कई तरह की बातें बना रहे हैं लेकिन सच तो यह है कि तेजस्वी यादव ने यहां का व्याकरण बदल कर रख दिया है। लोग यहां मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा नहीं सुनना चाहते हैं यह उनकी निजी आस्था का विषय है। आज हर रैली में नौकरी मतलब तेजस्वी स्वास्थ्य मतलब तेजस्वी।

तेजस्वी ने लोगों का वास्ता सरोकार की राजनीति से जोड़ दिया है। आज रैली में वैसे लोग जो आशा है ममता है उनके मानदेय बढ़ोतरी की बात हो रही है। यहां की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया है।

यह लोकतंत्र के लिए उचित है बिहार के लिए भी। इसके सकारात्मक परिणाम लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक दिखेंगे। भले ही यह चुनाव जब भी हो।