सम्पादकीय

नये सिरेसे फन उठाता आतंकवाद


राजेश माहेश्वरी 

कश्मीर घाटीमें आतंकी गतिविधियांमें फिरसे तेजी आयी है। उत्तरी कश्मीरके सोपोर जिलेमें आतंकियोंने एक पुलिस चौकीपर ग्रेनेडसे हमला किया था। पुलिस चौकीपर हुए इस आतंकी हमलेमें दो पुलिसकर्मी घायल हुए थे। कश्मीर घाटीमें अस्थिरता फैलानेके लिए पाकिस्तान द्वारा आतंकी तत्वोंको समर्थन देनेकी बात तो अपनी जगह है ही, परन्तु वहां हिंसाकी घटनाओंमें ताजा वृद्धिकी चौंकाने वाली बात यह है कि इनसे जुड़े ज्यादातर लोग स्थानीय हैं। किसी भी सैन्य कमांडरसे पूछें, वह बतायंगे कि किस तरह सुरक्षा बलोंसे मुकाबला कर रहे आतंकियोंके बचावमें स्थानीय ग्रामीण आगे आ जाते हैं। ताजा हमलेमें भी सुरक्षाबलोंको इसी तरहकी आशंका है। क्योंकि धारा ३७० हटाये जानेके बादसे घाटीमें सुरक्षाबलोंकी भारी तैनाती है। ऐसेमें स्थानीय नागरिकोंकी मददके बिना ऐसी घटनाओंको अंजाम दे पाना संभव ही नहीं है। यह अलग बात है कि बदले हालातमें अब स्थानीय नागरिक आंतकियोंकी पैरवीमें सड़कोंपर नहीं उतरते और न ही पत्थरबाजीको अंजाम देते हैं। फिर भी आंतकियोंका स्थानीय लोगोंसे कनेक्शन किसीसे छिपा नहीं है। धारा ३७० हटनेके बादसे घाटीमें ठण्डे हो चुके आंतकी संघटन फिर सिर उठानेकी कोशिशोंमें लग गये हैं।

स्वराष्टï्र मंत्रालयने लोकसभामें लिखित जवाब दिया है जिसमें जानकारी दी गयी है कि जम्मू-कश्मीरमें अनुच्छेद ३७० हटाये जानेके बाद आतंकी घटनाओंमें भारी कमी आयी है। इस साल फरवरीतक १५ आतंकी घटनाएं हुई हैं, जिसमें आठ आतंकी मारे गये और एक जवान शहीद हुआ है। वहीं, पिछले साल यानी साल २०२० में २४४ आतंकी घटनाएं हुईं। इन घटनाओंमें २२१ आतंकी मारे गये थे। स्वराष्टï्र मंत्रालयके मुताबिक, साल २०१९ में ५९४ आतंकी घटनाएं हुईं, जिनमें १५७ आतंकी मारे गये। वहीं २०२० में आतंकी घटनाओंमें छह आम नागरिक मारे गये, ३३ जवान शहीद हुए थे। २०१९ में पांच आम नागरिक मारे गये, २७ जवान शहीद हुए थे। दूसरी तरफ कहा यह भी जा रहा है कि लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर भारतीय सुरक्षाबलोंकी कड़ी काररवाईसे आतंकियों और पाकिस्तानकी खुफिया एजेंसी आईएसआईके हौसले इस वक्त पस्त है। यही वजह है कि आतंकी इतने ज्यादा डर गये हैं कि वह भारतमें घुसपैठ करनेके लिए लांच पैडपर आनेसे कतरा रहे हैं। बदले माहौलमें आंतकी संघटनोंने भी अपनी रणनीति बदली है। अब वह स्थानीय एवं नये संघटनोंके माध्यमसे माहौल खराब करनेकी कोशिशोंमें नये सिरेसे जुट गये हैं। रिपोर्टके मुताबिक पाकिस्तानी आईएसआई आतंकी संघटन लश्कर, जैश और हिजबुल मुजाहिदीनको आर्थिक मदद पहुंचाती है। इन संघटनोंके घाटीमें अच्छी खासी संख्यामें स्लीपर सेल मौजूद हैं। लिहाजा काफी हदतक घाटीमें आतंकवादकी कमर टूट चुकी है, ऐसेमें पड़ोसी देश और उसके आतंकी संघटन परेशान हैं। दुबई और तुर्कीके जरिये आर्थिक मदद पहुंचानेका मामला सामने आ चुका है। जमात-ए-इस्लामी जैसे संघटन, अब नये सिरेसे आतंकियोंकी भर्ती शुरू करनेकी योजना बना रहे हैं। घाटीमें कई नये आतंकी संघटन पांव पसारना चाह रहे हैं। वह दिल्लीमें एनएसएतककी रेकी कर रहे हैं। सुरक्षाबलोंकी एक रिपोर्टसे इस बातका खुलासा हुआ है कि लांच पैडपर नये सालमें आतंकियोंकी संख्यामें भारी गिरावट देखी गयी है। सूत्रोंके मुताबिक लांच पैडपर जनवरीमें सिर्फ १०८ आतंकी देखे गये हैं।

भारतीय खुफिया एजेंसियां लगातार एलओसीपर नजर रख रही हैं। आतंकी अब उन लांच पैडपर आनेसे कतरा रहे हैं, जहां आकर वह घुसपैठ करनेकी कोशिश करते थे। सूत्रोंके मुताबिक १०८ आतंकी जो इस वक्त लांच पैडपर हैं, उनमेंसे १०३ जम्मू बॉर्डरके सामने हैं- कश्मीर घाटीके सामने लांच पैडपर सिर्फ पांच आतंकी हैं। पाकिस्तान प्रायोजित आंतकवादका खामियाजा भारत कई बरसोंसे भुगत रहा है। पाकिस्तानकी विदेश नीतिमें आंतकवाद अहम हिस्सा है। कश्मीर और अफगानिस्तानमें आतंकवादको बढ़ानेमें पाकिस्तानकी मिलीभगतके साफ सुबूत मिले हैं। आतंकवादको कुचलने और घाटीमें सामान्य व्यवस्था बहाल करनेकी बाजी भले ही काफी हदतक जीत ली गयी है, इसके बावजूद कुछ चुनौतियां सिर उठा रही हैं। जीती हुई बाजीको यदि बरकरार रखना है तो स्वराष्टï्र मंत्रालयको अब कई तरहके कदम और उठाने होंगे। आम लोगोंके बीच रह रहे आतंकियोंके स्लीपर सेल सुरक्षा बलों एवं जांच एजेंसियोंके लिए बड़ी चुनौती बन गये हैं। चूंकि यह लोग लंबे समयसे सामान्य जीवनमें हैं, इसलिए इनपर किसीको शक भी नहीं होता। जम्मू-कश्मीरमें ऐसे बहुतसे लोग हैं जो प्राइवेट या सरकारी नौकरीमें हैं, परन्तु आतंकी संघटनोंसे उनकी दूरी खत्म नहीं हो सकी है। खास तौरसे वन विभाग, पुलिस, राजस्व, शिक्षा और ट्रांसपोर्ट आदि महकमोंमें बड़ी छानबीन की जरूरत है। साल २०१९ में बनिहालमें आतंकियों द्वारा विस्फोटकोंसे भरी सेंट्रो कारके जरिये सीआरपीएफ काफिलेपर हमला करनेका प्रयास किया गया था। इस मामलेकी जांच एनआईएको सौंपी गयी थी। एनआईएने इस मामलेमें चार्जशीट पेश की है। इसमें पता चला है कि आरोपी नवीद मुश्ताक शाह उर्फ नवीन बाबू जम्मू-कश्मीर पुलिसका पूर्व सिपाही था।

वर्ष २०१७ में जब वह एफसीआईमें बतौर गार्ड तैनात था तो उसने बडग़ाममें हथियारों और गोला-बारूदका शिविर लगाया था। पुलिसकी नौकरी छोडऩेके बाद वह आतंकी समूह हिजबुल मुजाहिद्दीनमें शामिल हो गया था। ऐसे कई उदाहरण हैं। कई विभागोंमें आतंकियोंके मददगार बैठे हैं। पुलवामा हमलेकी दूसरी बरसीपर जम्मूमें साढ़े छह किलोकी आईईडी सहित एक आतंकी पकड़ा गया था। उसने जम्मूमें कई जगहोंपर विस्फोट करनेकी योजना बनायी थी। पूछताछके दौरान पता चला है कि वह पाकिस्तान स्थित आतंकी संघटन अल बद्रके इशारेपर हमलेकी साजिशको अंजाम देने वाला था। तेजीसे बदलते हालातोंके बीच सुरक्षाबलों एवं जांच एजेंसियोंको अब उन लोगोंको बाहर निकालना होगा, जो सामान्य नागरिक बनकर आतंकियोंके लिए काम कर रहे हैं। हालांकि जम्मू-कश्मीर और केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां ऐसे लोगोंपर नजर रख रही हैं। अब जम्मू-कश्मीरमें सभी जगहोंपर ४जी सेवा चालू हो गयी है। ऐसेमें जांच एजेंसियोंको यह ध्यान रखना होगा कि कहांसे और किन लोगोंकी सीमा पार बातचीत हो रही है। आर्थिक मददके रूटपर भी ध्यान देना होगा।