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नारदा केस: CBI ने सुप्रीम कोर्ट से वापस लिया केस,


  • नई दिल्ली. TMC के चार नेताओं के हाउस अरेस्ट के फैसले के खिलाफ सीबीआई की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई में शीर्ष अदालत ने सीबीआई को याचिका को विड्रॉ करने की इजाजत दे दी है. पश्चिम बंगाल के नारदा जांच मामले में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बाद अपना केस वापस ले लिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद सीबीआई कलकत्ता हाईकोर्ट की पांच जजों की बेंच के सामने गुहार लगाएगी. अब इस मामले में सीबीआई कलकत्ता हाई कोर्ट में अपनी दलील रखेगी. सीबीआई ने कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सीबीआई ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस बी आर गवई की बेंच कर रही है.
  • बंगाल सरकार की तरफ से विकास सिंह ने कहा कि वैकेशन बेंच के सामने कहा कि SlP लगने का प्रवधान नहीं है, कौन रजिस्ट्री को कंट्रोल कर रहा है.

    SG तुषार मेहता ने कहा कि नेताओं को 17 मई को गिरफ्तार किया है और उनको स्पेशल CBI कोर्ट में पेश किया गया, जब आरोपियों को गिरफ्तार किया गया उसके बाद भारी मात्रा में भीड़ CBI दफ्तर के बाहर जमा हो गई, मुख्यमंत्री धरने पर बैठ गई, हिंसा करने की कोशिश की गई, कानून मंत्री हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान शामिल हो गए और कहने लगे अपने मंत्रियों के समर्थन में वहां आये हैंसुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि , क्या गिरफ्तारी से पहले आरोपी को नोटिस दिया गया था?

    कोर्ट ने कहा कि हम धरने की सराहना नहीं कर रहे हैं , लेकिन अगर मुख्यमंत्री धरने पर बैठे हैं तो क्या आरोपी को भुगतना पड़ेगा?

    SG ने कहा कि CBI मुख्यालय की घेराबंदी की गई थी, हजारों लोग वहां जमा थे, पत्थर फेंके जा रहे थे, वह आरोपियों को मजिस्ट्रेट के सामने मामला पेश नहीं कर सके, उनको हाईकोर्ट के सामने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए पेश करना पड़ा

    SG ने कहा कि जब सुनवाई हो रही थी उस समय कानून मंत्री अदालत में मौजूद रहे, जबकि वह मामले में पार्टी नहीं थे, न्याय व्यवस्था में लोगों का विश्वास क्षीण हो जाएगा, यह कानून व्यवस्था का फेलियर है, ऐसा कई बार हुआ

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप उच्च न्यायालय पर आरोप लगा रहे हैं, तब भी जब उसने पहले ही असाधारण कार्य किया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि हम कानून मंत्री या मुख्यमंत्री की कार्रवाई का समर्थन नहीं करते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पेशल बेंच लिबर्टी देने के लिए बैठी हैं, यह पहली बार है, जब इसका भी आप विरोध कर रहे हैं.

    वहीं सीजी तुषार मेहता ने कहा आरोपियों का समर्थन करने के लिए राज्य की सीएम पुलिस थाने में प्रवेश कर जाती है यह इसी राज्य में हो रहा है. उन्होंने कहा मैंने जो तथ्य रखे हैं वो अदालत को संज्ञान लेने के लिए काफी हैं. तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से इस मामले को दूसरी जगह ट्रांसफर की मांग की कहा कि इससे हमारे लोगों का मनोबल गिरेगा.

    मेहता ने कहा यह इतना गंभीर मामला है कि इसे सिर्फ इसलिए खारिज नहीं किया जा सकता है कि हाईकोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है या कोई नोटिस नहीं दिया गया था.

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असल मुद्दा ये है कि जमानत दी जानी चाहिए या नहीं. कोर्ट में पूरे समय मुख्यमंत्री मौजूद रहती हैं. कानून मंत्री और अन्य कई मंत्री कोर्ट में पूरी सुनवाई के दौरान मौजूद रहते हैं.इससे उनकी मंशा और प्राथमिकता पता चलती है.

    जस्टिस गवई ने कहा हमारी न्यायपालिका इतनी कमजोर नहीं है कि भीड़ की हरकतों से प्रभावित हो जाए!

    सुप्रीम कोर्ट ने एसजी से कहा कि आप पांच जजों की बेंच के सामने चल रही सुनवाई को वापस ले सकते हैं लेकिन अगर हम इसे सुनेंगे तो हमें आदेश पारित करने होंगे.

    सॉलिसिटर जनरल ने अपने साथियों के साथ मशविरा करने की मोहलत मांगी. इसके बाद कोर्ट की कार्रवाई कुछ मिनटों के लिए स्थगित कर दी गई.

    सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि सीबीआई सीएम, कानून मंत्री या कानून के शासन को तोड़ने का प्रयास करने वाले और कानून व्यवस्था की स्थिति पैदा करने का प्रयास करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है.