पटना

नालंदा में कोविड अस्पतालों का बुरा हाल


      • बीड़ी श्रमिक अस्पताल बिहारशरीफ में भर्ती रोगियों को देखने के लिए ना जाते है चिकित्सक और ना ही कर्मी
      • भाड़े पर रखे गये तीन डेली ब्वॉय के भरोसे चल रहा है जिले का कोविड केयर सेंटर
      • विम्स एक मात्र ऐसा अस्पताल जो है पूर्णतः वातानुकूलित लेकिन कोविड अस्पताल बनने के बाद से बंद है यहां का एसी
      • विम्स के वार्डों में बाहरी हवा के लिए नहीं है वेंटिलेटर ऐसे में एसी बंद रहने से रोगियों का घुट रहा है दम

बिहारशरीफ (आससे)। जिले में कोविड पर नियंत्रण के लिए प्रशासनिक दावा चाहे जो भी हो लेकिन हकीकत कुछ और है। जिले का सबसे बड़ा कोविड हॉस्पीटल विम्स पावापुरी का हाल बुरा है। वहां भर्ती होने वाले रोगी और उनके परिजनों द्वारा समय-समय पर यह बातें सामने आती रही है कि वहां रोगियों के भर्ती होने के बाद कोई देखने वाला नहीं होता। महीनों से यह आवाज उठती रही है लेकिन विम्स की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। बिहारशरीफ स्थित बीड़ी अस्पताल में कोविड रोगियों के लिए आइसोलेशन की व्यवस्था की गयी। उम्मीद थी कि यहां कोविड रोगियों को बेहतर चिकित्सा मिल सकेगी।

उद्देश्य साफ था कि वैसे कोविड मरीज जिनके घरों में रहने की समुचित व्यवस्था नहीं है यहां भर्ती होंगे और उन्हें स्वास्थ्य लाभ मिल सकेगा। दो दिन पूर्व हीं जिलाधिकारी के निर्देश पर नालंदा सिविल सर्जन दल-बल के साथ बीड़ी अस्पताल का निरीक्षण किये थे और तब लंबी-लंबी बातें की गयी थी, लेकिन हकीकत कुछ और बयान करती है। सच तो यह है कि रोगियों की इलाज तो दूर उनका खोज खबर लेने के लिए ना तो चिकित्सक पहुंचते है और ना ही मेडिकल कर्मी। दैनिक मजदूरी पर रखे गये हेल्पर के भरोसे इस वार्ड में कोविड संक्रमित रह रहे है। भला यह व्यवस्था होगा तो लोग कोविड से जंग कैसे जीत पायेंगे।

जिला प्रशासन ने बीड़ी श्रमिक अस्पताल बिहारशरीफ में डिस्ट्रीक्ट कोविड हेल्थ सेंटर बनाया था, जिसमें पिछले काफी दिनों से कोविड संक्रमितों को रखा जा रहा है। कई लोग यहां भर्ती होने के बाद मौत को गले लगाये है, लेकिन अहम बात यह नहीं है। अहम बात यह है कि यहां प्रतिनियुक्त चिकित्सक और चिकित्सा कर्मी यहां भर्ती मरीजों को देखने हीं नहीं जाते। मजे की बात तो यह है कि मामले की जानकारी नालंदा सिविल सर्जन को भी दी गयी, लेकिन सिविल सर्जन द्वारा कोई सार्थक प्रयास नहीं किया गया। एक दिन अस्पताल का निरीक्षण कर सिविल सर्जन वह औपचारिकता पूरी कर चुके है। अब यहां भर्ती मरीज भगवान भरोसे है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बीड़ी श्रमिक अस्पताल बिहारशरीफ में प्रत्येक शिफ्ट में दो-दो चिकित्सक तथा चार पार मेडिकल स्टाफ की ड्यूटी लगी है। इस प्रकार एक दिन में छः चिकित्सक और 12 स्वास्थ्य कर्मी की यहां सेवा लगायी गयी है, लेकिन अस्पताल में भर्ती मरीजों और उनके परिजनों की माने तो भर्ती होने वाले रोगियों को देखने और पूछने के लिए भी ना तो कोई चिकित्सक जाता है और ना स्वास्थ्य कर्मी।

बताया जाता है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा तीन-चार की संख्या में दैनिक लोगों को रखा गया है, जिनका काम है भर्ती के लिए आने वाले मरीजों को बेड तक पहुंचाना, खाना देना और ऑक्सीजन लगाना। सच्चाई यह है कि इन्हीं तीन लोगों के भरोसे बीड़ी अस्पताल में भर्ती कोविड रोगियों का इलाज चल रहा है।

यह हाल है बिहारशरीफ स्थित सरकारी कोविड अस्पताल का और इससे भी बुरा हाल है विम्स पावापुरी का जो बिहार का अत्याधुनिकतम मेडिकल कॉलेज है। संसाधनों से परिपूर्ण है और सीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट है। लेकिन यहां भी भर्ती हुए लोगों का खोज-खबर लेने चिकित्सक नहीं आते। बताया तो यह भी जा रहा है कि इस अस्पताल को जब से कोविड हॉस्पीटल बनाया गया है तब सह यहां का एसी बंद कर दिया गया है। इसके पीछे कॉलेज प्रबंधन का तर्क है कि एसी से कोविड का प्रसार अधिक होता है, जबकि हकीकत यह है कि राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में जहां एसी वार्ड है का ऐसी बंद नहीं है।

यही हाल निजी अस्पतालों का भी है। विम्स के साथ विडंबना यह है कि यह अस्पताल पूर्णतः वातानुकूलित है जहां बाहरी हवा के लिए वेंटिलेटर तक नहीं है। स्थिति यह है कि एसी बंद रहने से रोगियों को परेशानी होती है। रोगी ऑक्सीजन की कमी से मरे या ना मरे लेकिन दम घुटने से जरूर मर जा रहा होगा।