पटना

पटना: आठ साल में बढ़े 9वीं से 12वीं के 5,077 स्कूल


      • पुराने 2937 स्कूलों को अब नहीं मिल रहे 9वीं में पहले जितने बच्चे
      • 9वीं में दाखिले को बच्चों के पास बढ़े स्कूल चुनने के विकल्प

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य में मिडिल स्कूलों के अपग्रेड होने के बाद पुराने स्कूलों में 9वीं कक्षा में बच्चे घट गये हैं। ऐसा इसलिए हुआ है कि 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई वाले जिन स्कूलों में 9वीं की पढ़ाई शुरू हुई है, उन स्कूलों से 8वीं तक की पढ़ाई पूरी करने वाले बच्चे 9वीं कक्षा में उसी स्कूल में रह जा रहे हैं।

दरअसल, पृथक झारखंड राज्य की स्थापना के बाद राज्य में 2937 हाई स्कूल एवं प्लस-टू स्कूल बच गये। इसमें सभी कोटि के सरकारी एवं गैरसरकारी अनुदानित (अल्पसंख्यक सहित) हाई स्कूल एवं प्लस-टू स्कूल शामिल थे। तब, 8वीं कक्षा की पढ़ाई  हाई स्कूलों का हिस्सा थी। हालांकि, तब ऐसे भी राजकीय हाई एवं प्लस-टू स्कूल थे, जिसमें 6ठी कक्षा से ही पढ़ाई शुरू होती थी।

देश में शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) लागू होने के बाद जब राष्ट्रीय स्तर पर 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई प्रारंभिक शिक्षा का हिस्सा बन गयी, तो बिहार में भी 8वीं कक्षा की पढ़ाई हाई एवं प्लस-टू स्कूलों में बंद हो गयी। जिन राजकीय हाई एवं प्लस-टू स्कूलों में 6ठी कक्षा से पढ़ाई शुरू होती थी, उनमें पहले साल में 6ठी, दूसरे साल में 7वीं एवं तीसरे साल में 8वीं कक्षा की पढ़ाई बंद हुई।

इसके साथ ही सभी हाई स्कूलों को प्लस-टू स्कूल का दर्जा दे दिया गया। इससे इन स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षा की पढ़ाई शुरू हो गयी। ऐसे 2937  स्कूलों में अपवाद में ही कई स्कूल हैं, जहां 9वीं एवं 10वीं कक्षा की पढ़ाई चल रही है। पंचायत स्तर पर हाई एवं प्लस-टू स्कूल नहीं रहने से उन पंचायतों की बेटियां 8वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद 9वीं कक्षा में दाखिला नहीं ले पाती थीं, जहां हाई एवं प्लस-टू स्कूल नहीं थे। हालांकि, जब 9वीं कक्षा की छात्राओं के लिए साइकिल योजना लागू हुई, तो वह  8वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद उसके बाद की पढ़ाई के लिए अपने पंचायत के बाहर वाले स्कूल में जाने लगीं।

बावजूद, 8वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद बच्चे अपने पंचायत में प्लस-टू तक की पढ़ाई कर सकें, इसके लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2013 में हाई स्कूल विहीन सभी पंचायतों में प्लस-टू तक की पढ़ाई के लिए कम-से-कम मिडिल स्कूल को अपग्रेड करने का फैसला किया। इसके तहत हाई स्कूल विहीन पंचायतों में वर्ष 2013-2014 से ही मिडिल स्कूलों के अपग्रेडेशन शुरू हो गये।

इस योजना के तहत अब तक तकरीबन 5,077 स्कूल प्लस-टू तक की पढ़ाई के लिए अपग्रेड हो चुके हैं। इसमें अगर पहले से चल रहे 2937 हाई एवं प्लस-टू स्कूलों को जोड़ दें, तो राज्य में  ऐसे सरकारी एवं गैरसरकारी अनुदानित (अल्पसंख्यक सहित) स्कूलों की संख्या बढ़ कर तकरीबन 8,014 हो गयी है, जिसमें 9वीं कक्षा से 10वीं व 12वीं तक की पढ़ाई चल रही है।

यही वजह है कि राज्य में 9वीं से 10वीं व 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई वाले 5,077 स्कूल बढऩे से ऐसे पुराने 2937 स्कूलों में 9वीं कक्षा में बच्चे घट रहे हैं। ऐसे में 8वीं कक्षा तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद 9वीं कक्षा की पढ़ाई के लिए बच्चों के पास स्कूल चुनने के विकल्प बढ़ गये हैं।

बहरहाल, कोरोनाकाल में भी बच्चे 9वीं कक्षा में दाखिले को स्कूल पहुंच रहे हैं। स्कूलों में दाखिला के लिए अपने मम्मी-पापा के साथ पहुंचने वाले बच्चों को कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करना पड़ रहा है। नामांकन कार्य में लगे शिक्षक-कर्मचारियों द्वारा भी कोरोना प्रोटोकॉल के पालन किये जा रहे हैं।