पटना

पटना: ई-संजीवनी से ग्रामीण मरीजों को आसानी से मिल रही चिकित्सीय सलाह


      • अभी तक 2 लाख 50 हजार से अधिक ग्रामीणों ने उठाया लाभ
      • 19 सौ से अधिक एएनएम और चिकित्सक किये गये प्रशिक्षित

पटना (आससे)। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने रविवार को यहां बताया कि कोरोना संक्रमण काल में ग्रामीण क्षेत्रों में रहनेवाले लोगों के लिए ई-संजीवनी प्लेटफार्म काफी कारगिर साबित हो रहा है।

कोरोना संक्रमण काल के पहले लहर में कई लोगों को डाक्टर से सलाह लेने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को नजदीकी प्राथमिक स्वासथ्य केन्द्र या जिला अस्पताल पहुंचने में परेशानी आयी थी। इसे ध्यान में रखते हुए २१ फरवरी, २०२१ को बिहार सरकार ने उपस्वास्थ्य केन्द्रों पर ई-संजीवनी की शुरूआत की। इसमें २२६३ स्वास्थ्य उपकेन्द्रों (स्पोक) को २४५ प्राथमिक स्वासथ्य केन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र एवं जिला अस्पताल (हब) से जोड़ा गया है। अभी तक बिहार में २ लाख ५० हजार से अधिक ग्रामीणों ने उपस्वास्यि केन्द्रों पर पहुंचकर ई-संजीवनी प्लेटफार्म की सहायता से नि:शुल्क ऑनलाइन चिकित्सकीय परामर्श प्राप्त किया।

श्री पांडेय ने बताया कि स्वास्थ्य उपकेन्द्रों पर ई-संजीवनी के कुशल क्रियान्वयन के लिए राज्य के १७०० से अधिक एएनएम एवं २०० से अधिक चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिया गया है। ई-संजीवनी सेवा का सितंबर महीने में विस्तार भी किया जाएगा। ई-संजीवनी ओपीडी की भी शुरूआत हो चुकी है, जिसमें मरीज खुद एप्लीकेशन के जरिए डाक्टर से सीधे जुडक़र नि:शुल्क चिकित्सकीय परामर्श ले सकते हैं।

ई-संजीवनी ओपीडी में अधिक से अधिक सामान्य चिकित्सकों को शामिल करने के साथ विशेषज्ञ चिकित्सकों को शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर के परिप्रेक्ष्य में सामान्य चिकित्सा सुविधाओं के बाधित रहने की स्थिति में भी मरीजों को सामानय बीमारियों के उपचार का लाभ प्राप्त हुआ है और इसे विस्तारित करते हुए राज्य के सभी हिस्सों तक पहुंचाने का लक्ष्य है।

इसे आमजन के फोन पर ई-संजीवनी ओपीडी के माध्यम से घर बैठे डाक्टर द्वारा टेली कंसलटेशन की सुविधा शीघ्र उपलब्ध करायी जायेगी। डायबिटिज, उच्च रक्तचाप, मोतियाबिंद आदि बीमारियों की स्क्रीनिंग की व्यवस्था स्वास्थ्य उपकेन्द्रों पर शुरू की जा रही है।