पटना

पटना: कमाल पद्धति से होगी 29 जिलों में भी पढ़ाई


      • न बच्चे पीछे रहेंगे, ही छूटेंगी माताएं
      • जमीन पर उतरने ही वाली पहले वाले नौ जिलों की तरह योजना

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य के बाकी 29 जिलों में भी महादलित, दलित एवं अतिपिछड़ा अल्पसंख्यक समुदाय की असाक्षर माताओं के साथ उनके छह से चौदह आयुवर्ग के बच्चों को पढ़ाने की योजना के कार्यान्वयन की तैयारी अंतिम दौर में है। इस योजना के तहत माताएं और बच्चे ‘कमाल पद्धति’ से पढ़ेंगे। योजना का नाम है-कोई बच्चा पीछे नहीं, माता भी छूटे नहीं। स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय स्वयंसेवी संस्था ‘प्रथम’ के सहयोग से यह योजना जिन बाकी 29 जिलों में जमीन पर उतरने वाली है, उनमें पटना, नवादा, गया, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, कैमूर, सारण, सीवान, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, दरभंगा, समस्तीपुर, मधुबनी, बेगूसराय, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, जमुई, भागलपुर, बांका, सहरसा, मधेपुरा, औरंगाबाद एवं खगडिय़ा।

सबसे पहले ‘कोई बच्चा पीछे नहीं, माता भी छूटे नहीं’ योजना ‘प्रथम’ के सहयोग से ही नालंदा जिले में चली। इस योजना में ‘महादलित, दलित, अतिपिछड़ा अल्पसंख्यक अक्षर आंचल योजना’ के तहत ‘महादलित, दलित, अतिपिछड़ा अल्पसंख्यक समुदाय की 15 से 35 आयु वर्ग की असाक्षर महिलाओं को साक्षर बनाने और उन्हें विकास की सरकारी योजनाओं की जानकारी देने के साथ ही इन समुदायों के छह से चौदह आयु वर्ग के बच्चों को भाषा और गणित की शिक्षा दी गयी। इससे बच्चों में भाषा और गणित के स्तर का विकास उनकी कक्षा के अनुरूप हुआ। योजना की सफलता को देखते हुए इसका विस्तार आठ और जिलों में किया, जिसमें सुपौल, वैशाली, अरवल, जहानाबाद, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज एवं अररिया शामिल थे।

इस योजना की सफलता का ही नतीजा है कि नौ जिलों के बाद यह बाकी 29 जिलों में भी जमीन पर उतरने वाली है। इसके लिए शिक्षा विभाग के जन शिक्षा निदेशालय का ‘प्रथम’ के साथ एक फरवरी को ही करार हो चुका है। इस योजना को जमीन पर उतारने के लिए इन जिलों के शिक्षा सेवकों एवं तालिमी मरकज के शिक्षा सेवकों को ‘कमाल पद्धति’ से पढ़ाने की ट्रेनिंग दी जानी है। जन शिक्षा के सहायक निदेशक रमेश चन्द्र ने शुक्रवार को बताया कि योजना के कार्यान्वयन की दिशा में कार्य शुरू हो रहा है।