पटना

पटना: कोरोना की दूसरी लहर ने उड़ाये परीक्षाओं के मौसम के बादल


12वीं की परीक्षा को लेकर राष्ट्रीय स्तर के बोर्डों की मुश्किलें बढ़ीं

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। परीक्षाओं के मौसम पर कोरोना की दूसरी लहर की मार ने राष्ट्रीय स्तर के परीक्षा बोर्डों के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। इन मुश्किलों में लाखों छात्र-छात्राओं के सपने उलझ गये हैं। सपनों के पंख पर संक्रमण की दूसरी लहर की मुश्किलें इस कदर भारी हैं कि उड़ान भरने की बात तो दूर, उसे फडफ़ड़ाने भी नहीं दे रहे। इन मुश्किलों से बाहर निकलने के रास्तों की तलाश में जुटे राष्ट्रीय स्तर के परीक्षा बोर्ड इसमें उलझ कर रह गये हैं।

देश में बारिश का मौसम लेकर केरल से मानसून चलता है। उसे बिहार आने में समय लगता है। यही हाल पहले बोर्ड परीक्षाओं के मौसम का भी था। उसे भी बिहार आने में समय लगता था। लेकिन, पिछले कई वर्षों से बोर्ड परीक्षाओं के मौसम में बदलाव आया है। इस मायने कि देश में बोर्ड परीक्षाओं का मौसम अब बिहार बोर्ड की परीक्षाओं से बिहार में शुरू होता है। और, फिर देश के दूसरे हिस्सों में जाता है। नतीजतन, देश के दूसरे हिस्सों में परीक्षाओं के मौसम के पहुंचते-पहुंचते बिहार में रिजल्ट का मौसम भी आकर गुजर चुका होता है।

ऐसा ही इस बार भी हुआ। बिहार में परीक्षा के मौसम की दस्तक गत एक फरवरी को बिहार बोर्ड की इंटरमीडिएट की परीक्षा से पड़ी। फरवरी में ही सत्रह तारीख से मौसम की दूसरी परीक्षा भी शुरू हो चुकी थी। वह थी बिहार बोर्ड की दसवीं की परीक्षा। कोरोना की दूसरी लहर का कहर फैलने से बिहार में तो इंटरमीडिएट एवं दसवीं के रिजल्ट का मौसम भी गुजर चुका था। बिहार बोर्ड का अनुशरण करते हुए इस बार बिहार मुक्त विद्यालयी शिक्षण एवं परीक्षा बोर्ड, बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड तथा बिहार मदरसा शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं का मौसम भी आकर गुजर गया। इसे महज संयोग कहेंगे कि इन बोर्डों की परीक्षाओं के नतीजे भी कोरोना की दूसरी लहर के चढ़ते ही आ गये।

बिहार से चला परीक्षाओं का मौसम दूसरे राज्यों के परीक्षा बोर्डों के साथ ही राष्ट्रीय स्तर के परीक्षा बोर्डों तक तक पहुंच पाता, उसके पहले ही कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर ने परीक्षाओं के मौसम को पानी के बुलबुले की तरह उड़ा दिया। इसमें बिहार के ऐसे लाखों बच्चों का भविष्य भी फंस गया, जो सीबीएसई तथा आईसीएसई की दसवीं एवं बारहवीं की बोर्ड परीक्षाओं में शामिल होने वाले थे। दूसरी लहर ने राष्ट्रीय स्तर के दोनों परीक्षा बोर्डों के सामने इतनी विषम स्थिति पैदा कर दी कि उन्हें दसवीं के रिजल्ट बिना परीक्षा लिए ही देने के निर्णय लेने पड़ गये। इसके लिए मानक भी तय किये गये। यह बात दीगर है कि बिना परीक्षा लिए दसवीं के रिजल्ट के लिए सीबीएसई के तय मानकों पर बिहार के प्राइवेट स्कूलों के संचालकों के एक संगठन द्वारा सवाल भी खड़े किये गये हैं।

खैर, बिना परीक्षा के ही सीबीएसई एवं आईसीएसई के दसवीं के रिजल्ट की तैयारियां चल रही हैं। लेकिन, दोनों बोर्डों के सामने बारहवीं की परीक्षा को लेकर खड़े सवाल जस के तस हैं। यह सवाल कोरोना की दूसरी लहर के चरम पर पहुंचने को लेकर खड़े हैं। इस मामले में तस्वीर कब तक साफ होगी, यह भी सवालों के घेरे में है।