पटना

पटना: टोले में ही पढ़ेंगे 5वीं तक के बच्चे


56 हजार टोले में पढ़ायेंगे 28 हजार शिक्षासेवी

      • समूह में बंट कर सप्ताह में तीन दिन पढ़ेंगे बच्चे
      • कोरोनाकाल में कस्तूरबाकी बेटियों को पढ़ाने की भी बन रही योजना

डॉ. लक्ष्मीकान्त सजल-

पटना। राज्य में कोरोना से बचाव को लेकर स्कूलों के बंद रहने के चलते 1ली से 5वीं कक्षा के बच्चों को उनके टोले में जाकर शिक्षासेवी पढ़ायेंगे। टोले में जाकर शिक्षासेवियों द्वारा बच्चों को पढ़ाने की व्यवस्था कोरोना से बचाव के लिए स्कूलों के बंद रहने तक रहेगी।

प्रदेश में तकरीबन एक लाख दो हजार टोले हैं। इनमें 28 हजार टोलों में शिक्षासेवी एवं तालिमी मरकज शिक्षासेवी हैं, महादलित अतिपिछड़ा अल्पसंख्यक अक्षर आंचल योजना के तहत 15 से 35 आयु वर्ग की निरक्षर महिलाओं को साक्षरता का पाठ पढ़ाते हैं। इसके साथ ही टोले के छह से 14 आयुवर्ग के सभी बच्चों को विद्यालय में दाखिला दिलाने, उन्हें विद्यालय पहुंचाने, वहां से वापस लेने, पढ़ाई में उनका मार्गदर्शन करने तथा साक्षरता केंद्र की महिलाओं को सरकारी विकास योजनाओं से रू-ब-रू कराने के कार्य शिक्षासेवियों के जिम्मे हैं। लेकिन, वर्तमान में कोरोना से बचाव को लेकर स्कूलों के साथ ही महादलित अतिपिछड़ा अल्पसंख्यक अक्षर आंचल योजना के साक्षरता केंद्र भी बंद हैं।

इसके मद्देनजर बुधवार को बिहार शिक्षा परियोजना परिषद के राज्य परियोजना निदेशक श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में विचार हुआ कि अगर 28 हजार शिक्षासेवी सप्ताह में तीन-तीन दिन दो टोले के 1ली से 5वीं कक्षा के बच्चों को पढ़ायें, तो 56 हजार टोले के 1ली से 5वीं कक्षा के बच्चे पढ़ सकेंगे। कोरोना से बचाव को लेकर टोले के 1ली से 5वीं कक्षा के बच्चों को 10-10 के समूह में बांट कर पढ़ाने का विचार हुआ। इससे शारीरिक दूरी बनी रहेगी। इसी हिसाब से हर समूह के बच्चों की पढ़ाई के लिए समय तय होगा।

बाकी बच गये 46 हजार टोले, तो  इन टोलों के 1ली से 5वीं कक्षा के बच्चों को कैसे कवर किया जाय, इस पर भी विचार चल रहा है। इस पर भी विचार हुआ कि कोरोनाकाल में 12वीं कक्षा तक के बच्चे ‘इ-लॉट्स’ से कैसे पढ़ें। दरअसल, ‘इ-लॉट्स’ पर 1ली से 12वीं कक्षा तक की तमाम पाठ्यपुस्तकें अपलोड हैं। खास बात यह है कि पाठ्यपुस्तकों को चैप्टर में बांट कर अपलोड किया गया है। 12वीं कक्षा तक के बच्चे उसे डाउनलोड कर घर में पढ़ाई कर सकेंगे। इसके साथ ही ऑनलाइन माध्यम से पढ़ाई की संभावनाओं पर भी विचार हुआ।

इसके हिसाब से ही अब बच्चों को पढ़ाने की रणनीति बनेगी। इसकी भी रणनीति बनेगी कि स्कूलों के बंद रहने तक कस्तूरबा विद्यालयों की छात्राओं को कैसे पढ़ाया जाये। इसका जिम्मा संबंधित अधिकारी को दिया गया है। बैठक में बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी किरण कुमारी एवं जन शिक्षा के सहायक निदेशक रमेश चंद्र सहित सभी संबंधित अधिकारी शामिल थे।