पटना

पटना: पोर्टल पर सर्टिफिकेट अपलोड नहीं करने वाले शिक्षकों की जायेगी नौकरी


  • शिक्षकों से वसूल होगी वेतन की राशि भी
  • फर्जी प्रमाण-पत्र पर बहाल शिक्षकों की खैर नहीं

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। पोर्टल पर सर्टिफिकेट अपलोड नहीं करने वाले शिक्षकों की नौकरी तो जायेगी ही, अब तक वेतन के रूप में ली गयी राशि भी उनसे वसूल की जायेगी। ये सभी पंचायतीराज एवं नगर निकायों के ऐसे शिक्षक हैं, जिनके सर्टिफिकेट के फोल्डर गायब हैं। ऐसे शिक्षकों की संख्या तकरीबन पचास हजार है। पंचायतीराज एवं नगर निकायों के शिक्षकों के सर्टिफिकेट की निगरानी जांच पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर चल रही है।

प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ. रणजीत कुमार सिंह द्वारा सभी जिलों के जिला शिक्षा पदाधिकारियों एवं जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों (स्थापना) को दिये गये निर्देश के मुताबिक रंजीत पंडित बनाम राज्य सरकार एवं अन्य (जनहित याचिका) में 30 जनवरी, 2020 को पटना उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अनुपालनार्थ विभागीय स्तर पर गत आठ जनवरी को आहूत बैठक में यह निर्णय लिया गया है कि पंचायती राज संस्था एवं नगर निकाय संस्था के अंतर्गत वर्ष 2006 से 2015 तक की अवधि में नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच हेतु अपेक्षित सहयोग कतिपय नियोजन इकाई के द्वारा नहीं किया जा रहा है। वैसे शिक्षकों के प्रमाण पत्र की जांच हेतु वैकल्पिक व्यवस्था किया जाना आवश्यक है। इस ध्येय से शिक्षा विभाग के अंतर्गत एक वेब पोर्टल तैयार कराये जाने का निर्णय लिया गया है।

वेबपोर्टल पर जिन शिक्षकों के प्रमाण पत्र जांच हेतु अब तक प्राप्त नहीं हुए हैं, उनकी जिलावार, प्रखंडवार, नियोजन इकाईवार विवरणी संबंधित जिले के जिला शिक्षा पदाधिकारी के कार्यालय द्वारा अपलोड किया जायेगा। इस हेतु निर्धारित समय-सीमा के अंदर संबंधित शिक्षकों को अपने नियोजन हेतु निर्धारित न्यूनतम अर्हता का प्रमाण पत्र एवं अंकपत्र जो नियोजन के समय आवेदन पत्र के साथ संलग्न किया गया हो, को वेबपोर्टल पर अपलोड करना होगा।

इस आशय का विज्ञान विभाग द्वारा शीघ्र ही प्रकाशित किया जायेगा। प्रकाशित विज्ञापन में निर्धारित समय-सीमा के अंतर्गत जो शिक्षक-शिक्षिका अपना प्रमाण पत्र, अंक पत्र एवं नियोजन पत्र की प्रति वेबपोर्टल पर अपलोड नहीं करेंगे, उनके संबंध में यह माना जायेगा कि उन्हें उनकी नियुक्ति की वैधता के संदर्भ में कुछ नहीं कहना है तथा उनकी नियुक्ति को प्रमथम दृष्टया अवैध-अनियमित मान कर काररवाई की जायेगी।

तदोपरांत शिक्षा विभाग के जिला कार्यालय के पदाधिकारी द्वारा ऐसे अवैध-अनियमित शिक्षकों की सूचना नियोजन इकाई को दी जायेगी। संबंधित नियोजन इकाई द्वारा संबंधित शिक्षक-शिक्षिका से एक स्पष्टीकरण पूछ कर उनकी सेवा समाप्त करते हुए उनके द्वारा नियमित वेतन-वेतनमान के रूप में प्राप्त राशि की वसूली लोक मांग वसूली अधिनियम के प्रावधान के तहत की जायेगी।

वेबपोर्टल का लिंक बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को भी दिया जायेगा, ताकि अपलोड किये जाने वाले प्रमाण पत्र एवं अंकपत्र, जो बिहार विद्यालय परीक्षा समिति से संबंधित है, की जांच उसके स्तर से की जा सके। निगरानी विभाग के स्तर पर पूर्व से उपलब्ध प्रमाण पत्रों की जांच हेतु बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा विशेष व्यवस्था की जायेगी।