पटना

पटना: बदलेगा सिलेबस, बदलेंगी किताबें


5वीं तक होगी मगही भोजपुरी, अंगिका बज्जिका की भी पढ़ाई

  • चल रही नयी शिक्षा नीति के कार्यान्वयन की तैयारी

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। नयी शिक्षा नीति के तहत राज्य में अगले पांच साल में 1ली से लेकर 12वीं कक्षा तक की पाठ्यपुस्तकें बदल जायेंगी। इनमें भाषाओं की पाठ्यपुस्तकें भी होंगी। इसके साथ ही 1ली से 5वीं कक्षा तक में मगही, भोजपुरी, अंगिका एवं बज्जिका भी पढ़ायी जाने लगेगी। वर्तमान में 1ली से 5वीं कक्षा तक में जिन भाषाओं की पढ़ाई चल रही है, उनमें हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, मैथिली एवं बांग्ला हैं।

पाठ्यपुस्तकें तैयार होती हैं पाठ्यक्रम के आधार पर। और, पाठ्यक्रम तैयार होता है ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप-रेखा’ के आधार पर। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप-रेखा से लेकर कक्षावार पाठ्यक्रम एवं पाठ्यपुस्तकों के बदलाव की प्रक्रिया में कम-से-कम पांच वर्ष लगते हैं। वह भी तब, जब पूरी प्रक्रिया में निरंतरता हो। नयी शिक्षा नीति के कार्यान्वयन के लिए ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप-रेखा’  को राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंसधान परिषद (एनसीईआरटी) के स्तर पर अंतिम रूप देने की तैयारी है, ताकि भारतीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाली नयी पाठ्यपुस्तकें तैयार हो सकें। प्रस्तावित ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप-रेखा’ के आधार पर ही पढ़ायी जाने वाली भाषाओं का पाठ्यक्रम (सिलेबस) तैयार होगा। बदले हुए पाठ्यक्रम के आधार पर ही चरणबद्ध तरीके से कक्षावार पाठ्यपुस्तकें बदलेंगी।

‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप-रेखा’ तैयार होने के बाद उसके मानकों के तहत ही  बिहार के लिए ‘पाठ्यचर्या की रूप-रेखा’ राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के स्तर से तैयार होगी। उसके आधार पर ही 1ली से 12वीं कक्षा तक का हर विषय का पाठ्यक्रम (सिलेबस) बनेगा। फिर, पाठ्यक्रम के अनुरूप पाठ्यपुस्तकें तैयार होंगी। ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप-रेखा’ तय करने के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंसधान परिषद (एनसीईआरटी) प्रश्नावली तैयार करेगी,  जो ऑनलाइन होगी। इसके लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंसधान परिषद (एनसीईआरटी) पोर्टल भी बनायेगी।

राज्य में चल रही तैयारियों की बात करें, तो राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) द्वारा दो नोडल अफसर बनाये जा चुके हैं। बिहार के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंसधान परिषद (एनसीईआरटी) द्वारा भी दो नोडल अफसर बनाये जाने हैं। इसके साथ ही राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) फोकस ग्रुप भी बना चुकी है। तय पचीस बिन्दुओं पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, छात्र, शिक्षक, समुदाय, विद्यालय, विश्वविद्यालय एवं जनप्रतिनिधियों से सुझाव लिये जायेंगे। पोजीशन पेपर के बाद ‘पाठ्यचर्या की रूप-रेखा’ तैयार होगी। यह कार्य वर्ष 2023 तक पूरा किया जाना है। उसके बाद वर्ष 2026 तक पाठ्यपुस्तकें बदल जायेंगी।

आपको याद दिला दूं कि राज्य के सरकारी स्कूलों में वर्तमान में ‘राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूप-रेखा, 2005’ के आधार बने पाठ्यक्रम के तहत तैयार हुई पाठ्यपुस्तकें पढ़ाई जाती हैं। 6ठी से 12वीं कक्षा तक की बात करें, तो इन कक्षाओं की पांच भाषाओं की ये पाठ्यपुस्तकें वर्ष 2007 से लेकर वर्ष 2011 तक तैयार होकर कक्षावार पाठ्यक्रम का हिस्सा बनीं। इसमें खास बात यह रही कि 6ठी से लेकर 12वीं कक्षा तक की भाषा की पाठ्यपुस्तकें आठ भाषाओं में तैयार हुईं। इनमें हिंदी, अंग्रेजी एवं उर्दू के साथ मैथिली, भोजपुरी, मगही, अंगिका एवं बज्जिका शामिल हैं। वर्तमान में पढ़ायी जा रहीं पाठ्यपुस्तकें नयी शिक्षा नीति के तहत  बनने वाली पाठ्यपुस्तकों के आने के बाद बदल जायेंगी।