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- नीति आयोग की बैठक में सीएम ने रखा बिहार का पक्ष
- बिहार से बैंकों में जमा पैसों का उपयोग बिहार में हो : नीतीश
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(आज समाचार सेवा)
पटना। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित नीति आयोग की गवर्निंग काउंसिल की छठी बैठक में वीडियो कॉन्फेंसिंग के माध्यम से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल हुए। बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्री सहित केन्द्राशासित प्रदेशों के उपराज्यपाल/प्रशासक भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े रहे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उद्योगों को बढ़ावा देने का प्रयास बहुत ही जरूरी है। हमलोगों ने भी इसे लेकर अपनी पॉलिसी बनायी है ताकि राज्य में उद्योग को बढ़ावा मिले। उद्योगों को बढ़ावा देने को लेकर १५ सालों से हमलोग प्रयासरत हैं। उन्होंने कहा कि बिहार एक लैंडलॉक्ड स्टेट है। इसके चलते कई प्रकार की दिक्कतें होती हैं। हमलोगों ने वर्ष-२०११ से ही कहा है कि उड़ीसा में एक अलग बंदरगाह की सुविधा उपलब्ध करा दी जाए तो बिहार से किसी चीज को भेजने में सहूलियत होगी। इस प्रस्ताव को हमने पिछले १० वर्षों में कई बार रखा है। इस पर ध्यान दिया जाए तो काफी अच्छा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार का क्रेडिट डिपॉजिट रेशियो बहुत ही कम ३६.१ प्रतिशत है। यहां से डिपॉजिट ३.७५ लाख करोड़ रुपये रहता है लेकिन बैंकों से १.३५ लाख करोड़ रुपये का ही ऋण दिया जाता है। इसके बारे में हमलोग हमेशा कहते रहे हैं। देश भर में सीडी रेशियों का औसत ७६.५ प्रतिशत है, कुछ राज्यों का तो १०० प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि यह भी देख लिया जाए कि बिहार जैसे राज्यों का जो पैसा बैंकों में जमा होता है वह विकसित राज्यों में चला जाता है। यहां का पैसा राज्य को ही देने का प्रावधान किया जाय। उन्होंने कहा कि प्रत्येक पंचायत में बैंक की एक शाखा खोली जाय, इसके लिये हमलोग पंचायत सरकार भवन की बिल्डिंग देने को तैयार हैं। उन्होंने कहा कि अगर आप पूरे देश में उद्योग को बढ़ावा देना चाहते हैं तो इन बुनियादी चीजों पर ध्यान देना होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे बहुत ही अच्छा लगा है कि एथेनॉल के उत्पादन की बात हो गयी है। हमलोगों ने वर्ष २००७ में ही एथेनॉल के उत्पादन के लिए एक्ट में अमेंडमेंट करके केन्द्र सरकार को भेजा था। तत्कालीन केन्द्र सरकार ने इसको स्वीकार नहीं किया था लेकिन अब पूरी बात हो गयी है। अब गन्ना के रस से भी एथेनॉल का उत्पादन होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष २००८ से ही कृषि रोडमैप बनाकर कृषि के क्षेत्र में हमलोग कई काम कर रहे हैं। धान, गेहूं, सब्जी, फलों समेत सभी चीजों का उत्पादन बढ़ा है। अब हमलोग जैविक खेती को भी बढ़ावा दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कृषि से संबंधित जो तीन एक्ट लाया गया है, वह किसानों के हित में है। यह किसानों के खिलाफ नहीं है। पहले भी नीति आयोग की बैठक में एपीएमसी एक्ट में संशोधन करने को लेकर जो प्रस्ताव आया था तो हमने कहा था कि बिहार में तो एपीएमसी एक्ट हमलोगों ने वर्ष २००६ में ही बंद कर दिया है। पहले लोगों को अपना सामान बेचने में दिक्कत होती थी। जब हमलोगों ने एपीएमसी एक्ट को समाप्त कर दिया तो सामान बेचने में किसानों को किसी प्रकार की समस्या नहीं होने लगी।
पहले प्रोक्योरमेंट भी यहां नहीं होता था। उसके लिए भी हमलोगों ने काम शुरू किया और अब तो काफी प्रोक्योरमेंट हो रहा है। एक बार प्रोक्योरमेंट २४ लाख मीट्रिक टन हुआ था, पिछले वर्ष २० लाख मीट्रिक टन और इस बार हमलोगों ने और तेजी से काम करवाया है। कल तक करीब-करीब ३२.८९ लाख मीट्रिक टन धान की अधिप्राप्ति हो चुकी है। हमलोगों ने पैक्स को विकसित किया।
उन्होंने कहा कि प्रखंड स्तर पर व्यापार मंडल और पंचायत स्तर पर पैक्स के माध्यम से बड़े पैमाने पर भी प्रोक्योरमेंट का काम चल रहा है। हमलोग की कोशिश है कि एग्रीकल्चर को और आगे बढ़ायें। केन्द्र के द्वारा जो नीति बनेगी उससे सहयोग मिलेगा, इससे हमलोगों को और बढ़ावा मिलेगा, इसमें कोई शक नहीं है।
लोगों को कम कीमत पर बिजली मुहैया हो इसके लिए हमलोग कोशिश कर रहे हैं। प्री-पेड स्मार्ट मीटर लगाना हमलोगों ने शुरू कर दिया है। अब केन्द्र सरकार भी इसे लागू कर रही है, इससे काफी फायदा होगा। प्री-पेड स्मार्ट मीटर के लागू होने से बिजली का दुरूपयोग नहीं होगा। लोगों को जितनी जरूरी होगी उतनी ही बिजली का वे प्रयोग करेंगे। बिजली का दुरूपयोग होने से पर्यावरण पर भी संकट उत्पन्न होता है इसलिए प्रारंभ से ही हमलोगों ने प्री-पेड स्मार्ट मीटर की बात कही है।
उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के प्लांटों के माध्यम से जो अलग-अलग राज्यों में बिजली जाती है, उसका रेट भी अलग-अलग है। इसके लिए एक नीति बननी चाहिए यानि वन नेशन, वन रेट हो। हमलोगों को बिजली काफी महंगी मिलती है, जिससे लोगों को राज्य सरकार की तरफ से ज्यादा अनुदान देना पड़ता है। पूरे देश के लिए एक नीति कर दी जायेगी तो काफी अच्छा होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण की चपेट में पूरी दुनिया आई। अभी भी देश के कुछ राज्यों में कोरोना का प्रकोप है। हमलोगों के राज्य में तो बहुत घट गया है। हमलोग पूरी तरह से सतर्क हैं और टेस्ट भी करा रहे हैं। देश में ही वैक्सीन का विकास किया गया और पूरे देश में वैक्सीनेशन का काम तेजी से हो रहा है। हम इसके लिए प्रधानमंत्री जी को बधाई देते हैं। बिहार में अगले चरण के टीकाकरण में पचास साल से अधिक उम्र वाले लोगों को पचास साल से कम उम्र वाले व्यक्ति जो अन्य बीमारी से ग्रस्त हैं उनके लिए भी उपलब्ध हो जाएगा। हम आश्वस्त करते हैं कि इस मामले में हमलोग पूरे तौर पर सहयोग करेंगे और केन्द्र की जो गाइडलाइन होगी उसका पालन करेंगे।
मुख्यमंत्री ने राज्य के स्वास्थ्य प्रक्षेत्र के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि बिहार में वर्ष २००५-०६ में शिशु मृत्यु दर प्रति एक हजार पर ६१ थी, अब वह घटकर ३२ हो गयी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग सोलर एनर्जी के क्षेत्र में काम कर रहे हैं, यह बहुत अच्छी बात है। इसके साथ-साथ हर जगह हाइड्रोपॉवर प्लांट के लिए भी काम होना चाहिए। पर्यावरण सरंक्षण के लिए हमलोगों ने हरियाली को बढ़ावा देने के लिए काम करना शुरू किया। बिहार-झारखंड के बंटवारे के पश्चात बिहार में हरित आवरण ९ प्रतिशत ही था।
उसके बाद हमलोगों ने वृक्षारोपण के अलावा अन्य कई काम शुरू किये जिसका परिणाम है कि अब वह बढक़र १५ प्रतिशत हो गया है। कोरोना के दौर में भी हमलोगों ने ५ जून, २०२० से ९ अगस्त, २०२० तक २ करोड़ ५१ लाख वृक्षारोपण करने का लक्ष्य रखा था लेकिन मुझे ये बताते हुए काफी खुशी हो रही है कि कोरोना के बावजूद लक्ष्य से अधिक ३ करोड़ ८० लाख से भी ज्यादा वृक्षारोपण हुआ।