पटना

पटना: रसोई गैस की कीमत ने उपभोक्ताओं को रुलाया


      • किरासन तेल पर भी लगा ग्रहण, बिक रहा 80 रुपये लीटर
      • आम उपभोक्ताओं के चूल्हे से गायब हुआ कोयला, 700 रुपये मन हुआ

पटना। ४४ दिन में घरेलू रसोई गैस की कीमत में ७५ रुपये की हुई वृद्धि ने लोगों की कमर तोड़ दी है। घरेलू रसोई गैस की बढ़ी कीमत ने सामान्य, मध्यम और अपर क्लास उपभोक्ताओं का बजट बिगाड़ दिया है।

संकट के दौर में पहले किरासन तेल और कोयला से घरेलू उपभोक्ताओं की परेशानी दूर हो जाती थी, किन्तु २०१७ से किरासन तेल की आपूर्ति बंद होने और कोयला के दाम सातवें आसमान पर पहुंच जाने के कारण, यह भी आम उपभोक्ताओं की सीमा से परे जा चुका है। किरासन तेल आज ब्लैक में ८० रुपये लीटर, जबकि जलावन कोयला ७०० रुपये में ४० किलो मिल रहा है। जलावन के तीनों जिंसों के दाम सातवें आसमान पर पहुंचने से लोग तबाह हो रहे हैं। २० प्रतिशत रोज खाने-कमानेवालों के घर का चूल्हा जलावन की कच्ची लकड़ी पर जल रहा है। यानी २० प्रतिशत घरों में धुएं का कब्जा हो गया है।

नमो सरकार ने घर-घर रसोई गैस तो पहुंचा जरूर दिया, किन्तु इसकी कीमतों की रफ्तार थामने में सरकार सफल नहीं रही। २०१६ तक, यानी छह वर्ष पहले तक गैस लोगों को रुपये ४५० में मिल जाता था। इस मद में, जो सब्सिडी मिलती थी, उसे सरकार अपने स्तर से प्रति सिलेंडर देती थी। अब, उपभोक्ताओं को पहले ही रसोई गैस की रकम जमा करानी पड़ रही है। रसोई गैस की सब्सिडी उनके बैंक एकाउंट में बाद में भेजी जाती है। सब्सिडी का लाभ उन्हीं उपभोक्तओं को मिलता है, जिनके बैंक एकाउंट आधार कार्ड से जुड़े हैं, वे सब्सिडी का लाभ लेने से वंचित रह जाते हैं।


बढ़ी कीमत एक नजर में....
रसोई गैस
जून, २०१६      ४५० रुपये
जनवरी, २०२१    ७९२.५० रुपये
फरवरी, २०२१    ८६७.५० रुपये
फरवरी, २०२१    ८९२.५० रुपये
किरासन तेल
जनवरी, २०१६     १४.२० रुपये प्रतिलीटर
मार्च, २०१९ में     २०.५० रुपये प्रतिलीटर
मार्च, २०२० में    २७.५० रुपये प्रतिलीटर
फरवरी,२०२१ में    ३१.२४ रुपये प्रतिलीटर
जलावन कोयला
जनवरी, २०१६ में ३५० रुपये में ४० किलोग्राम
मार्च, २०१९ में   ४८० रुपये में ४० किलोग्राम
दिसम्बर,२०२० में ६०० रुपये में ४० किलोग्राम
फरवरी,२०२१ में  ७०० रुपये में ४० किलोग्राम

तेल कंपनियों ने इसके लिए अलग से सॉफ्टवेयर ही बना दिया है। घरेलू गैस उपभोक्ताओं को प्रति गैस सिलेंडर ८० रुपये सब्सिडी देने का प्रावधान है। बिहार में इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम जैसी छोटी-बड़ी नौ गैस वितरण एजेंसियां हैं। संप्रति गैस पर बिहार सरकार वैट और पांच प्रतिशत सब्सिडी ले रही है। वितरण, भंडारण और सेफ्टी के तमाम इंतजाम के बावजूद घरेलू-रसोई गैस की कीमत में हुई वृद्धि ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है।

रसोई गैस के संकट में किरासन तेल से उपभोक्ताओं को राहत मिल जाती थी। ४१ हजार राशन दुकानों और १५ हजार ठेला वेंडरों के माध्यम से उन्हें किरासन तेल मिलता था, किन्तु नियमित बिजली आपूर्ति करने के दावे के नाम पर सरकार ने इस पर भी ग्रहण लगा दिया। शहरी क्षेत्र में तो इसका कोटा २०१६ से ही काट दिया गया, ले-दे-कर ग्रामीण क्षेत्रों में हर महीने ४५.४० लाख लीटर किरासन तेल की आपूर्ति हो रही है।

सरकार ने जो मानक तय किये हैं, उसके अनुसार पंचायतों में हर कार्डधारी को १.५०-१.५० लीटर मिट्टी का तेल मिलना है। सरकार ने इसकी दर ३१.३४ रुपये लीटर तय की है, किन्तु काला बाजार में यह ८० रुपये लीटर खुलेआम बिक रहा है। किरासन तेल के वितरण, बिक्री और कालाबाजारी के खेल ने इसकी व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर दिये हैं।

जलावन का कोयला भी संकट की इस घड़ी में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए संजीवनी होता था, किन्तु प्रदूषण नियंत्रण के नाम पर इसकी आपूर्ति व्यवस्था को सीमित कर दिया गया है। आज कोयला ७५० रुपये में ४० किलो मिल रहा है। जलावन कोयले का इस्तेमाल आज भी चाय और छोटे-मोटे नाश्ता-मिठाई की दुकानों में हो रहा है। कोयले की बढ़ी कीमत के कारण मिठाई-नाश्ता ही नहीं, चाय तक महंगी हो गयी है। एक कप चाय पर उपभोक्ताओं को सात जबकि एक कप कॉफी पर १२ रुपये का खर्च करने पड़ रहे हैं।

रसोई गैस, जलावन, कोयला और मिट्टी तेल के संकट, बढ़ी कीमतों और काला बाजारी से सब कुछ तितर-बितर हो गया है।