पटना

पटना: वित्त संपोषित शिक्षण संस्थानों को एक माह में अनुदान : मंत्री


शिक्षा मंत्री ने माना, शैक्षणिक स्तर का स्कोर नीचे, गुणवत्ता में सुधार के लिए सरकार तत्पर

(आज समाचार सेवा)

पटना। शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने माना है कि नेशनल एचीवमेंट इंडेक्स २०२० के अनुसार शैक्षणिक स्तर का स्कोर सबसे नीचे ३५.२४ रहा है। सरकार शैक्षणिक स्थिति में सुधार के लिए तत्पर है। बजट उपबंध से ही सरकार की गंभीरता को देखा जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि वित्त संपोषित शिक्षण संस्थानों में कार्यरत शिक्षक एवं शिक्षकेतर कर्मियों को अनुदान की राशि अगले एक माह में भुगतान कर दी जायेगा। ८२१ करोड़ की स्वीकृति की प्रक्रिया प्रकियाधीन है। कैबिनेट में इससे संबंधित प्रस्ताव विचारार्थ भेजा गया है।

शिक्षा मंत्री ने समीर कुमार महासेठ के अल्पसूचित प्रश्न का जवाब देते हुए कहा कि नीति आयोग की जो रिपोर्ट आयी है वह सही है। रिपोर्ट में राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों के सर्वेक्षण के अनुसार बिहार का रैंकिग स्कोर ३५.२४ प्रतिशत है। सरकार गुणवत्ता युक्त शिक्षा के लिए प्रतिवद्ध है। एसटीइटी २०१९ के छठे चरण में रिक्त ३००२० पदों पर नियोजन की कार्रवाई चल रही है।

सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश के कारण प्रकिया रुक गयी है। सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आइए दाखिल कर नियोजन की प्रकिया जारी रखने के लिए अनुमति देने का अनुरोध किया है। ४०५० अतिथि शिक्षकों की सेवा ली जा रही है।

मंत्री ने बताया कि मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में बदलाव का सकारात्मक असर दिखने लगा है। रिजल्ट में गुणात्मक सुधार हुआ है। १८ अनुमंडलों में डिग्री कॉलेज खोजने का निर्णय लिया जा चुका है। २४० प्रखंडों में दूरस्थ शिक्षा केंद्र कार्यरत हैं। तीन नये विश्वविद्यालय खोले गये हैं। मंत्री ने बताया कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग के द्वारा ४६३८ सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति की प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने पूरक प्रश्न के माध्यम से कहा कि मंत्री ने स्वीकारा है कि राज्य में स्कूली शिक्षा बद से बदतर स्थिति में है। बिहार अंतिम पांच राज्यों में शामिल है। ड्राप रेट के मामले में बिहार सबसे नीचले पायदान पर है। मंत्री जी को यह बताना चाहिए कि शिक्षक नहीं है तो कौन सी कार्रवाई की गयी। १५ साल के कालखंड में कितने स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की गयी।

सीपीआइ के अजय कुमार सिंह के सवाल के जवाब में सदन को बताया कि सरकार वित्त रहित शिक्षण संस्थानों को संबद्धता शर्तों को पूरा करने पर सहायक अनुदान देती है। ५९९ इंटर स्तरीय एवं १६ माध्यमिक विद्यालयों को ३१ दिसंबर २०२० तक की अवधि विस्तारित की गयी थी। इन संस्थानों के सहायक अनुदान भुगतान पर २०१४-१६ रोक है। सरकार जल्द ही २०१५-१७ और २०१७.१९ के सहायक अनुदान का भुगतान किया जायेगा।