पटना

पटना: विधानसभा में सरकार की घोषणा- मूल निवासी महिलाओं को ही नौकरी में आरक्षण पर विचार


(आज समाचार सेवा)

पटना। सरकार ने मूल निवासी सामान्य कोटि के महिलाओं को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने पर विचार करने की घोषणा विधानसभा में की है। वर्तमान में १०० पदों के विरुद्ध पिछड़े वर्ग की महिला के रुप में तीन तथा क्षैतिज आरक्षण के तहत ३४ अर्थात कुल न्यूनतम ३७ महिलायें चयनित हो सकेंगी।

बिहार की महिलाओं के हित में प्रावधान करने पर विचार कर रही है कि मेधा के आधार पर चयनित होने के साथ-साथ बिहार की मूल निवासी महिलाओं के साथ भेदभाव न हो सके। गुरूवार को आनंद शंकर सिंह समेत अन्य द्वारा लाये गये ध्यानाकर्षण सूचना का प्रभारी सामान्य प्रशासन मंत्री श्रवण कुमार जवाब दे रहे थे।

मंत्री ने अपने जवाब में बताया कि राज्याधीन सेवाओं में महिलाओं के लिए ३५ प्रतिशत क्षेतिज आरक्षित वर्ग की महिलाओं के लिए क्षैतिज आरक्षण १६.४५ प्रतिशत है। यह आरक्षण पूर्व से प्रावधानित पिछड़े वर्ग की महिलाओं के लिए किये गये तीन प्रतिशत आरक्षण के अतिरिक्त है। बिहार अधिनियम २-२०१९ के अंतर्गत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण के प्रावधान किये जाने के कारण आरक्षण वर्ग की रिक्ति ६० प्रतिशत हो चुकी है, जिसके विरुद्ध मात्र राज्य के मूल निवासी ही अभ्यर्थी हो सकते हैं।

शेष ४० प्रतिशत की रिक्ति को गैर आरक्षित वर्ग की रिक्ति को गैर आरक्षित वर्ग की रिक्ति कहा जाता है, इसे ओपन मेरिट कटेगरी के रिक्ति भी कहा जाता है, इसलिए इसके अंतर्गत किया गया क्षैतिज आरक्षण मेधा के आधार पर राज्य एवं राज्य के बाहर के महिलाओं के लिए ओपेन रखा गया है। इसके अंतर्गत मात्र महिलाओं का ही चयन हो सकता है, जिसके विरुद्ध राज्य एवं बाहर की महिलायें मेधा के आधार पर चयनित हो सकती है।

अत: मेधा के आधार पर चयन की इस प्रक्रिया में बिहार राज्य की गैर आरक्षित वर्ग की महिलाओं के साथ भेद-भाव कहना औचित्यपूर्ण नहीं है। राज्य सरकार राज्य की महिलाओं के विकास के प्रति कृत संकल्प है एवं सरकार राज्य की महिलाओं के हित में सकारात्मक काररवाई करेगी।

मंत्री ने बताया कि वर्तमान में राज्य में मूल निवासियों के लिए ६० प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था है, शेष ४० प्रतिशत गैर आरक्षित वर्ग के अधीन मेधा के आधार पर चयन किये जाने का प्रावधान है, इसमें राज्य से बाहर की महिला एवं पुरूष मेरिट के आधार पर चयनित हो सकते हैं।

अब सरकार इस नीति में परिवर्तन करते हुए गैर आरक्षित वर्ग में भी मूलनिवासी महिलाओं को ही इस कैटगरी में आरक्षण का लाभ देने पर सरकार विचार कर रही है। जल्द ही इस संबंध में सकारात्मक निर्णय लिये जाने की संभावना है।