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पहले कंपनी ने डकारा पैसा, अब निवेशक लड़ रहे कानूनी लड़ाई; डायरेक्टर को पकड़ चुकी है पुलिस


मुरादाबाद: जनपद में फर्जी चिटफंड कंपनी खोलकर गरीबों को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया। बीते दो साल में जनहित चिटफंड कंपनी पर मुरादाबाद के साथ ही उत्तराखंड में छह से अधिक प्राथमिकी दर्ज की गई। बीते दिनों पुलिस ने इसी कंपनी के डायरेक्टर को अजय यादव को गिरफ्तार कर जेल भेजा था, लेकिन अभी तक निवेशकों के पैसे वापस नहीं मिले हैं। वहीं अब निवेशक इनको सजा दिलाने के लिए पैसा और समय बर्बाद कर रहे हैं। 

जनपद में ग्रामीण क्षेत्रों में पैसा दोगुना करने के नाम पर जाल फैलाकर किसानों, मजदूरों के साथ ही नौकरीपेशा लोगों को बड़े पैमाने पर चूना लगाया गया है। आसपास के जनपदों में इन कंपनियों ने युवाओं को मोटे कमीशन का लालच देकर एजेंट बनाया है।

मुरादाबाद के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र के आशियाना स्थित जनहित चिट एंड फंड कंपनी लगभग पांच सौ से अधिक लोगों का पैसा लेकर भाग गई। निवेशकों ने बताया कि कंपनी ने लगभग 50 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जमा कराई गई थी। इस रकम को प्लाट और मकानों में निवेश करके फिर दोगुना रकम वापसी का वादा किया गया था। जब पैसा देने की बारी आई तो कंपनी का मालिक भाग गया।

बीते पांच साल में मुरादाबाद में लगभग छह ऐसे मामले आ चुके हैं, जिसमें चिट एंड फंड कंपनी के द्वारा पैसा लेकर भाग चुकी हैं। इन मामलों को लेकर भी अफसर लाचार है। उनके पास भी कार्रवाई का अधिकार तब आता है, जब कोई निवेशक शिकायत करता है। इससे पहले इनकी सत्यता का पता लगाने का अधिकार भी किसी भी अधिकारी के पास नहीं है।

चिट एंड फंड कंपनी में निवेश करने की पूरी जिम्मेदारी एक तरह से निवेशक की होती है। उत्तर प्रदेश में केवल लखनऊ और कानपुर में चिट एंड फंड कंपनी को रजिस्टर्ड कराने का कार्यालय हैं। इन्हीं दोनों कार्यालय के अधिकारियों को इन कंपनियों की जांच करने का भी अधिकार है।

ऐसे बनती है चिट एंड फंड कंपनी

चिट फंड स्कीम का मतलब होता है कि कोई शख्स या लोगों का समूह या पड़ोसी आपस में वित्तीय लेनदेन के लिए एक समझौता करता है। इस समझौते में एक निश्चित रकम एक तय वक्त पर किस्तों में जमा की जाती है और अवधि पूरी होने पर ब्याज सहित लौटा दी जाती है। चिट फंड अधिनियम, 1982 की धारा 2 (बी) के चिट एंड फंड कंपनियों का रजिस्ट्रेशन किया जाता है।

देश में चिट फंड का रेगुलेशन चिट फंड अधिनियम, 1982 के द्वारा होता है। इस कानून के तहत चिट फंड कारोबार का पंजीयन व नियमन संबद्ध राज्य सरकारें ही कर सकती हैं। चिट फंड एक्ट 1982 के सेक्शन 61 के तहत चिट रजिस्ट्रार की नियुक्ति सरकार के द्वारा की जाती है। चिट फंड के मामलों में कार्रवाई और न्याय निर्धारण का अधिकार रजिस्ट्रार और संबंधित राज्य सरकार के अधीन होता है।

यह मामले सामने आए

केस-एक: मझोला थाना क्षेत्र में आठ जुलाई 2016 को मझोला थाना क्षेत्र में तीन चिट फंड कंपनियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। कंपनी पर 20 करोड़ रुपये से अधिक की रकम डकारने के आरोप लगे थे। इस मामले का मुख्य आरोपित फरार था। जबकि मुख्य आरोपित के माता-पिता को पुलिस ने जेल भेजने की कार्रवाई की थी।

केस-दो: सिविल लाइंस थाना क्षेत्र में प्रथम चिट एंड फंड कंपनी के खिलाफ 19 जुलाई 2017 को मुकदमा दर्ज किया गया था। इस कंपनी पर भी निवेशकों के करोड़ों रुपये लेकर भाग जाने के आरोप लगे थे।

केस-तीन: मझोला थाना क्षेत्र में 14 मार्च 2021 इंडिया चिट एंड फंड कंपनी के खिलाफ 15 करोड़ रुपये की ठगी का मुकदमा दर्ज किया गया था। इस कंपनी में एक हजार से ज्यादा लोगों ने पैसे जमा किए गए थे। पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपितों को जेल भेजने की कार्रवाई की थी।

केस-चार: पाकबड़ा में एक किसान ने सुरक्षा इंफ्राटेक चिट एंड फंड कंपनी के खिलाफ फर्जीवाड़ा करने का मुकदमा दर्ज कराया था। किसान ने आरोप लगाया कि पैसा दोगुना करने के नाम पर कंपनी लाखों रुपये लेकर भाग गई। चिट एंड फंड कंपनी के निवेशक जब शिकायत करते हैं तो नियमानुसार कार्रवाई की जाती है। पुलिस के पास बिना शिकायत के सीधे हस्तक्षेप का अधिकार नहीं है। चिट एंड फंड कंपनियों को लेकर निवेशकों को भी जागरूक होने की जरूरत है।