सम्पादकीय

पाकिस्तानकी घेराबंदी


अपनी नापाक हरकतों और कुटिल चालोंके लिए चर्चित भारतके लिए चुनौती बने पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन अपनी ही फैलाये जालमें फंसकर विश्वमंच पर अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं। एक ओर जहां भारत और अफगानिस्तानने पाकिस्तानकी घेराबंदी शुरू कर दी है, वहीं दूसरी ओर अमेरिका ने चीनकी चुनौतियोंसे निबटनेके लिए कानून बना दिया है। उज्बेकिस्तानकी राजधानी ताशकंदमें एक अंतरराष्टï्रीय शिखर सम्मेलनके मंचपर भारत और अफगानिस्तान ने पाकिस्तानको कटघरेमें खड़ा कर दिया। भारतके परराष्टï्रमंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तानकी मध्य एशिया और दक्षिण एशियाके बीच कनेक्टिविटीमें सबसे बड़ी बाघा बताया तो वहीं अफगानिस्तानके राष्टï्रपति अशरफ गनी ने पाकिस्तानी प्रधान मंत्री इमरान खानको जमकर खरी-खोटी सुनाते हुए अपने देशमें बढ़ रही हिंसाके लिए पाकिस्तानको जिम्मेदार ठहराया है। भारतके आरोपपर पाकिस्तानको गम्भीरतासे विचार करनेकी जरूरत है। भारतसे सम्बंध सुधारनेके लिए उसे अपनी मानसिकता बदलनी होगी। कनेक्टिविटी को बढ़ावा देनेकी बात करना लेकिन वास्तविक तौरपर इसकी राहमें रोड़े अटकानेसे किसी को फायदा नहीं होगा। इसी सम्मेलनमें राष्टï्रपति गनी ने अपने देशमें बढ़ रही हिंसाके लिए पाकिस्तानको सीधे तौरपर जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने मंचपर ही इमरान खानकी मौजूदगीमें कहा कि पिछले महीने पाकिस्तानसे दस हजार से अधिक जिहादी अफगानमें घुसे हैं। इतनी बड़ी संख्यामें घुसपैठ अंतरराष्टï्रीय आतंकवादी संघटनोंका पाकिस्तानके सहयोगका संकेत है, जो इमरान खानके दावेको खारिज करता है कि पाकिस्तान आतंकवादसे सबसे पीडि़त देश है। दूसरी ओर चीनसे खौफजदा इमरान खान पाकिस्तानमें बस बम विस्फोटको हादस साबित करनेमें जुटे हैं जिसमें कई चीनी इंजीनियरों समेत एक दर्जन से अधिक लोगोंकी मौत हुई थी। इस आतंकी हमलेमें चीनी इंजीनियरोंको निशाना बनाये जानेसे चीनकी चिंता स्वाभाविक है, क्योंकि वह बड़े पैमानेपर वहां निवेश कर रहा है।  दूसरी ओर चीनकी चुनौतियोंसे निबटनेके लिए अमेरिकी प्रतिनिधि सभाकी महत्वपूर्ण समितिने एक कानून पारित किया है, जिसका उद्देश्य देशोंके सम्बंधोंको मजबूती देना और चीनकी चुनौतियोंसे निबटना है। मौजूदा दौरमें दुनियामें हालात बिगड़ रहे हैं। इसमें सुधार की जरूरत है। इसके लिए विश्व समुदायको सत्यनिष्ठïाके साथ एकजुट प्रयास करना श्रेयस्कर होगा।

किसानोंके हितमें

किसानोंकी आमदनी बढ़ानेकी दिशामें केन्द्र सरकारने सकारात्मक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। सरकारने किसानोंकी मददके लिए डिजिटल प्लेटफार्म ‘किसान सारथीÓ एप शनिवारको लांच किया। इससे किसान जहां आधुनिक खेतीसे जुड़ सकेंगे वहीं अपने फसल को सही मूल्यपर बेच सकेंगे। किसान इसके माध्यमसे वैज्ञानिकोंसे सीधे कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रोंपर व्यक्तिगत परामर्शका लाभ भी उठा सकते हैं। वह खेतीसे जुड़े हर मसलेपर राय लेकर अपनी खेतीको बेहतर बना सकते हैं। यह एप किसानोंके साथ व्यापारियोंके लिए भी कारगर साबित होगा, क्योंकि किसान और व्यापारी इसकी मददसे फसलोंकी खरीद बिक्री कर सकेंगे। इससे खेती करनेके तरीकेमें भी बदलाव आयेगा। देशके किसानोंकी आय बढ़ाने और उनकी आर्थिक मदद करनेके लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है। इसी क्रममें भारतके सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विन वैष्णव और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने वीडियो कांफे्रंसिंगके माध्यमसे किसान सारथी एप लांचकर किसानोंको बड़ा तोहफा दिया है। इससे किसान सशक्त होंगे और उनकी आयमें वृद्धि होगी। किसान सारथी पहल न केवल किसानोंकी विशिष्टï सूचना आवश्यकताओंको पूरा करनेमें बल्कि आईसीएआर की कृषि विस्तार, शिक्षा और अनुसंधान गतिविधियोंमें भी अत्यधिक मूल्यवान होगी। यह एक दूरदराजके क्षेत्रोंमें किसानोंतक पहुंचनेमें तकनीकी हथियार साबित होगा। कृषि विज्ञान केन्द्रसे उनका सीधा सम्बन्ध बन जायेगा जिसके जरिये किसान अपनी फसल की बेहतरीके लिए काम कर सकेगा। इससे उत्पादनमें वृद्धि होगी और किसानोंका जीवन बेहतरी की ओर बढऩे लगेगा। इस एप का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसानोंको उनकी ही भाषामें सम्पूर्ण जानकारी दी जायेगी। इससे इनको सहूलियत होगी और वह उन जानकारियोंका लाभ उठा सकेंगे। केन्द्र सरकार का यह कदम किसानोंके हिमें है और यह उनकी आय बढ़ानेमें भी सहायक होगा।