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पाकिस्तानीसेनाने रोजाना १५ बार दागे गोले, फिर भी है इसका नाम संघर्ष विराम


जम्मू (आससे.)। पाकिस्तान सेना ने जम्मू कश्मीर में 814 किमी लंबी एलओसी तथा 264 किमी लंबे इंटरनेशनल बार्डर पर वर्ष 2020 में रोजाना औसतन 15 बार गोलों की बरसात की है। बावजूद इसके सीमाओं पर संघर्ष विराम को लागू करने की मजबूरी को भारतीय सेना ढो रही है।सेना ने जारी किए गए आंकड़ों में इसे स्वीकार किया है कि पिछले साल संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में 44 प्रतिशत की बढ़ौतरी दर्ज की गई है। आंकड़ों के बकौल, वर्ष 2020 मंं पाक सेना द्वारा 5246 बार सीजफायर का उल्लंघन किया गया है। 26 नवम्बर 2003 को जम्मू कश्मीर की पाकिस्तान से सटी अंतरराष्ट्रीय सीमा व एलओसी पर सीजफायर लागू करने का समझौता तो हुआ पर वह अब खात्मे के कगार पर है। सेना कहती है कि प्रतिवर्ष पाक सेना सीजफायर उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि करते हुए भारतीय पक्ष को मजबूर कर रही है कि वह भी उसी की भाषा में उत्तर दे। सेना की नार्दन कमान के चीफ ले जनरल वाई के जोशी ने सेना दिवस पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि पाक सेना ने वर्ष 2019 में भी 3824 बार संघर्ष विराम का उल्लंघन किया था। और पिछले साल किए जाने वाला सीजफायर उल्लंघन 17 सालों में सबसे ज्यादा था। उनके बकौल, वर्ष 2019 में भी औसतन पाक सेना ने प्रतिदिन 10 बार गोले व गोलियां बरसाईं जिनका भरपूर जवाब दिया गया जिस कारण दोनों ओर सैन्य व असैन्य क्षति उठानी पड़ी है। कश्मीर में पिछले साल दो सौ से अधिक आतंकियों को मौत के घाट उतार दिया गया। वर्ष 2019 में भी पौने दो सौ के करीब को जहन्नुम में पहुंचा दिया गया लेकिन बावजूद इसके कश्मीर में आतंकी बनने का जुनून कम नहीं हो रहा है। यह इसी से साबित होता था कि पिछले साल कोरोना और सेना के दबाव के बावजूद 167 युवा आतंकवाद की राह पर चल पड़े। हालांकि इनमें से मात्र 11 ने ही सरेंडर किया। जबकि वर्ष 2019 में 115 स्थानीय युवाओं ने हथियार थामे थे और मात्र 3 ने ही आत्मसमर्पण किया था। सेना ने कश्मीर में आतंकी गतिविधियों और मारे जाने वाले आतंकियों के प्रति आंकड़े जारी किए हैं।
जिनके अनुसार, साल 2019 में 43 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया था वहीं साल 2020 में 47 आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। भारतीय सेना के अनुसार साल 2019 में कुल 3 आतंकियों ने सरेंडर किया था जबकि साल 2020 में 11 आतंकियों ने भारतीय सेना के सामने सरेंडर कर दिया। सेना के आंकड़ों के अनुसार साल 2019 में घुसपैठ की घटनाओं को 10 बार नाकाम किया गया था। सेना कहती है कि वर्ष 2020 की बात करें तो तब भी घुसपैठ की 6 घटनाओं को पूरी तरह से विफल कर दिया गया और 4 मामलों में उन्हें नाकाम कर दिया गया। सेना के अनुसार साल 2019 में कश्मीर में आतंकियों की संख्या अनुमानत: 421 थी जो अब घटकर 274 भर रह गई है। लांच पैड्स पर आतंकियों की संख्या साल 2019 में 520-556 के करीब थी जबकि साल 2020 में मात्र 294-336 रह गई है। सेना के अनुसार, कश्मीर में सुरक्षाबलों द्वारा आतंकियों पर भारी दबाव से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। पाकिस्तान एलओसी से लेकर इंटरनेशनल बार्डर पर आतंकियों की घुसपैठ कराने की कोशिश में है।