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पुलिस में महिलाओं की कम संख्या पर संसदीय समिति ने जताई चिंता, गृह मंत्रालय से की यह सिफारिश


नई दिल्ली, । आनंद शर्मा के नेतृत्व वाली गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने पुलिस बलों में महिलाओं के खराब प्रतिनिधित्व को लेकर चिंता व्यक्त की है। समिति ने गृह मंत्रालय को पुलिस-प्रशिक्षण, आधुनिकीकरण और सुधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट सौंपी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान में पुलिस बल में केवल 10.30 प्रतिशत महिलाएं ही शामिल हैं।

एक रोडमैप बनाने की सलाह

समिति ने अपनी सिफारिश में कहा है कि गृह मंत्रालय राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों को कुल बल के 33 प्रतिशत तक महिला पुलिस के प्रतिनिधित्व को वास्तविकता बनाने के लिए एक रोडमैप बनाने की सलाह दे सकता है। समिति ने साथ ही कहा कि पुलिस में महिलाओं की नियुक्ति पुरूष आरक्षकों के रिक्त पदों को परिवर्तित करने के स्थान पर अतिरिक्त पद सृजित कर की जा सकती है। समिति के अनुसार यह देश में पुलिस-जनसंख्या अनुपात में सुधार करने में भी मदद करेगा।

महिलाओं को चुनौतीपूर्ण कर्तव्य देने को कहा

समिति की सिफारिश में आगे कहा गया है कि पुलिस में महिलाओं के प्रतिशत में वृद्धि के अलावा, रक्षा बलों से सीख लेते हुए, जहां महिलाओं को युद्धक भूमिकाएं सौंपी जा रही हैं, गृह मंत्रालय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को उन्हें महत्वपूर्ण चुनौतीपूर्ण कर्तव्य देने की सलाह दे सकता है।

प्रत्येक जिले में महिला पुलिस स्टेशन बनाने की सलाह

समिति ने बताया कि गृह मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सलाह दी है कि प्रत्येक पुलिस स्टेशन में कम से कम 3 महिला सब-इंस्पेक्टर और 10 महिला पुलिस कांस्टेबल होनी चाहिए ताकि एक महिला हेल्प डेस्क चौबीसों घंटे काम कर सके। लेकिन समिति ने इसके अतिरिक्त प्रत्येक जिले में कम से कम एक महिला पुलिस स्टेशन स्थापित करने की सलाह दी है।

रिक्तियों में लगभग 21 प्रतिशत की कमी पर जताई चिंता

समिति ने चिंता जताते हुए बताया कि राज्य पुलिस बलों में 26,23,225 की स्वीकृत संख्या के मुकाबले 5,31,737 की रिक्ति नहीं हुई है जो लगभग 21 प्रतिशत कम है। बता दें कि इस समिति के कुछ सदस्य अतीत में पुलिसकर्मी रहे हैं। भाजपा से लोकसभा सांसद डा. सत्यपाल सिंह मुंबई और पुणे के पूर्व आयुक्त रह चुके हैं। समिति में राज्यसभा सांसद बृजलाल उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक (DGP) रह चुके हैं।