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पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से सैनिकों को पीछे हटाने के लिए भारत-चीन जल्द करेंगे सैन्य वार्ता


नई दिल्ली. भारत (India) और चीन (China) ने पूर्वी लद्दाख (Eastern Ladakh) में संघर्ष के शेष क्षेत्रों से अपने सैनिकों को पूरी तरह से पीछे हटाने के उद्देश्य से किसी भी तारीख पर सैन्य स्तर की अगली दौर की वार्ता करने पर सहमति जताई है. दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के बीच ताजा बयानों की पृष्ठभूमि पर इस बात पर सहमति जताई. विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, शुक्रवार को भारत और चीन के बीच डिजिटल माध्यम से सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की 22 वीं बैठक हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने पश्चिमी सेक्टर में सीमावर्ती इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से जुड़ी स्थितियों पर खुलकर विचारों का आदान-प्रदान किया. दोनों पक्ष टकराव वाले सभी स्थानों से सैनिकों की पूर्ण वापसी के लिए परस्पर स्वीकार्य समाधान की खातिर बातचीत जारी रखने पर सहमत हुए.

मंत्रालय के अनुसार, दोनों पक्षों ने सितंबर 2020 में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शेष मुद्दों के जल्द समाधान की जरूरत पर सहमति व्यक्त की. दोनों पक्षों के बीच यह वार्ता ऐसे समय में हुई है, जब गतिरोध एवं पीछे हटने के मुद्दे को लेकर दोनों पक्षों के बीच ताजा बयानबाजी सामने आई है. दोनों पक्षों ने पैंगोंग शो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे से फरवरी में सैनिकों को पीछे हटाया था.

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार, इस संबंध में दोनों पक्षों ने राजनयिक एवं सैन्य तंत्र के माध्यम से वार्ता एवं संवाद जारी रखने पर सहमति व्यक्त की, ताकि संघर्ष वाले सभी क्षेत्रों से पूरी तरह से पीछे हटने के लिए आपसी सहमति के आधार पर रास्ता निकाला जा सके, जिससे पूरी तरह से शांति एवं समरसता बहाल हो और द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति का मार्ग प्रशस्त हो. बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने सहमति व्यक्त की कि तब तक दोनों पक्ष जमीनी स्तर पर स्थिरता बनाए रखना और कोई अप्रिय घटना रोकना सुनिश्चित करना जारी रखेंगे. मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्ष अगले (12वें) दौर की वरिष्ठ कमांडर स्तर की वार्ता जल्द किसी तिथि पर करने पर सहमत हुए ताकि मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों एवं प्रोटोकॉल के आधार पर पश्चिमी सेक्टर में एलएसी पर संघर्ष के सभी क्षेत्रों से पूरी तरह पीछे हटने के उद्देश्य को हासिल किया जा सके. पिछले दौर की सैन्य स्तर की वार्ता नौ अप्रैल को हुई थी.