नई दिल्ली, । पूर्व क्षेत्ररक्षण कोच आर श्रीधर ने भारतीय ड्रेसिंग रूम में बिताए सात वषरें को अपने जीवन के सर्वश्रेष्ठ पल करार देते हुए कहा कि कोचिंग के दौरान टीम का बुरा प्रदर्शन वास्तव में कोचिंग के लिए अद्भुत अवसर होता है। श्रीधर, रवि शास्त्री की प्रमुखता वाली टीम इंडिया की कोचिंग प्रणाली का एक अभिन्न हिस्सा थे।
टीम के क्षेत्ररक्षण स्तर में सुधार करने में अहम भूमिका निभाने वाले कोच श्रीधर ने एडिलेड (36 रन पर आलआउट) और लीड्स (78 रन पर आलआउट) में खराब प्रदर्शन के बारे में कहा, ‘यह सीखने का शानदार मौका था। कोच के रूप में मेरे लिए खराब दिन कोचिंग का शानदार अवसर होता है। कोचिंग के अवसर से मेरा मतलब खिलाडि़यों को समझने, उनके साथ अच्छे संबंध बनाने, आवश्यकता पड़ने पर उन्हें तकनीकी और मानसिक रूप से प्रशिक्षित करने का अवसर देने के बारे में है। इससे आपको खिलाड़ी और टीम के बारे में पता चलता है। मूल रूप से बुरे दिनों का आपका बर्ताव आपके व्यक्तित्व को बताता है।’
श्रीधर से जब पूछा गया कि क्या उनके तत्कालीन मुख्य कोच रवि शास्त्री और गेंदबाजी कोच भरत अरुण से मतभेद होते थे, तो उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि सर्वश्रेष्ठ निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए सभी कोच के बीच मतभेद होना जरूरी है। हमारे बीच हमेशा मतभेद होते थे चाहे वह मैं, रवि भाई, भरत सर हों या पहले संजय (बांगड़) और फिर बाद में विक्रम (राठौर), लेकिन हम सभी एक ही लक्ष्य को हासिल करने के लिए काम कर रहे थे। इसमें कई बार दो लोग सहमत होते हैं, कई बार ऐसा नहीं होता है।। हम मुद्दे के अलग-अलग दृष्टिकोण पर बातचीत के बाद वही निर्णय लेते हैं जो भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे उपयुक्त है। हमें ऐसा कभी नहीं लगा कि हमारे विचारों को खारिज कर दिया गया है।’
उन्होंने मुख्य कोच शास्त्री की तारीफ करते हुए कहा, ‘रवि भाई को आप कभी भी खेल से जुड़े सुझाव दे सकते हैं और वह उसे खारिज नहीं करेंगे। उनमें नेतृत्व गुण और मानव प्रबंधन का शानदार कौशल है। उनमें टीम के हित में बोर्ड से कोई भी फैसला करवा लेने की क्षमता है। उनका कद बहुत बड़ा था और वह खिलाड़ियों की मानसिकता अच्छे से समझते थे।