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पौलेंड और बेलारूस में क्‍यों बढ़ रहा है तनाव,


मास्‍को (एपी)। पोलैंड और बेलारूस के बीच का तनाव चर्चा में है। हजारों प्रवासी पोलैंड में प्रवेश के लिए बेलारूस के बार्डर पर जुटे हैं। बेलारूस को रूस का समर्थन है जबकि अमेरिका व अन्य पश्चिमी देश पोलैंड के पक्ष में हैं। असल में यह यूरोप में दबदबे की लड़ाई बन गई है। बेलारूस की भौगोलिक स्थित को देखते हुए रूस के लिए यह अहम है। कहीं न कहीं यूरोपीय देशों पर दबाव के लिए भी रूस इसे शह देता रहा है।

अगस्त, 2020 में अलेक्जेंडर लुकाशेंकों छठी बार बेलारूस के राष्ट्रपति बने थे। वह अपने आप को यूरोप का आखिरी तानाशाह कहते हैं। उनके चयन के लिए हुए चुनावों को वहां के विपक्षी दलों, अमेरिका व पश्चिमी देशों ने फर्जी करार दिया था। बेलारूस में सरकार के खिलाफ हुए प्रदर्शनों को बलपूर्वक कुचल दिया गया था। इसमें 35 हजार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इन कदमों से नाराज यूरोपीय संघ और अमेरिका ने बेलारूस पर कई प्रतिबंध लगा दिए थे। इन प्रतिबंधों के बाद से ही बेलारूस यूरोपीय संघ को निशाना बनाने की कोशिश में है।

प्रतिबंधों से बौखलाए बेलारूस ने यूरोपीय देशों पर निशाना साधने का नया तरीका खोजा। लुकाशेंको ने सीरिया, इराक और अन्य अशांत देशों से हजारों प्रवासियों को लाकर पोलैंड, लिथुआनिया और लातविया से लगती सीमाओं पर पहुंचा दिया। बेलारूस में कई पर्यटन एजेंसियों ने इन प्रवासियों के लिए वीजा का भी इंतजाम किया। यूरोपीय संघ ने इसे बेलारूस की तरफ से हाइब्रिड वार की संज्ञा दी है। अचानक से प्रवासियों की संख्या संकट का कारण बन रही है। ज्यादातर प्रवासियों के लिए पोलैंड जर्मनी व अन्य यूरोपीय देशों में जाने का रास्ता है।