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प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सरकार को फटकार


नई दिल्ली। दिल्ली के प्रूदषण और पड़ोसी राज्यों में जलने वाली पराली को लेकर दायर की गईं याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को ऑड-ईवन, पराली जलने आदि को लेकर कड़ी फटकार लगाई है।

अदालत की सुनवाई की बड़ी बातें

  • सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान मुख्य सचिवों को बैठक कर पराली और प्रदूषण की समस्या पर काम करने के लिए कहा था। यही वजह रही कि आज यानी 10 नवंबर की सुनवाई शुरू होते ही अदालत ने सबसे पहले यही पूछा कि आप लोगों ने क्या किया?
  • इस पर वरिष्ठ वकील एएनएस नंदकर्णी ने बताया कि वह स्मॉग टावर बंद नहीं हुआ था बल्कि मौसम ही अचानक बदल गया। स्मॉग टावर बरसात में काम नहीं करता।
  • इस पर जस्टिस कौल ने कहा, हर साल ये इसी समय बदलता है, लेकिन आप छह साल से समस्या सुलझा नहीं पाए। हम डाटा को लेकर ज्यादा चिंतित हैं।
  • इसके बाद एमिकस क्यूरे अपराजिता सिंह ने कोर्ट के सामने एक रिपोर्ट पेश की जिसमें बताया गया था कि प्रदूषण के सोर्स ज्ञात हैं। तब जस्टिस कौल ने पूछा फिर काम क्यों नहीं हो रहा? इस पर अपराजिता सिंह बोलीं, कोई इच्छाशक्ति ही नहीं है। जब भी मामला आता है यह अदालत फटकार लगाती है।
  • अदालत ने कहा हम नतीजे देखना चाहते हैं किसी टेक्निकल को नहीं। अपराजिता सिंह बोलीं, सभी परेशानियां उठाई गईं हैं और सभी हल भी मौजूद हैं। लेकिन फिर भी यह कोर्ट फटकार ही लगा रही है। इस पर अदालत ने कहा, साल दर साल यह समस्या तब ही उठती है जब हम मामले में हस्तक्षेप करते हैं।
  • इसके बाद जस्टिस कौल न पंजाब प्रिसर्वेशन ऑफ सब सॉयल एक्ट 2009 पर चिंता व्यक्त की और प्रदूषण पर इसके प्रभाव और धान की खेती पंजाब में कम करने को लेकर बातें कहीं। अदालत ने कहा, पंजाब में भूमिगत जलस्तर नीचे जा रहा है। हम नहीं चाहते कि वहां एक और रेगिस्तान बने। धान की खेती धीरे-धीरे खत्म करना जरूरी है। किसान बिना किसी इंसेंटिव के ये नहीं करने वाले।