पटना

फुलवारी शरीफ: गौरीचक थाना में पकड़े गए शराब धंधेबाज धर्मेंद्र मांझी की पुलिस लॉकअप में पिटाई से मौत का आरोप


  • एसएसपी ने पुलिस लॉकअप में पिटाई से किया इनकार
  • कोर्ट में पेशी न हो पाने पर वापसी में तबियत बिगड़ने पर अस्पताल ले जाने के दौरान हुई मौत: एसएसपी
  • थाना में पिटाई से मौत के विरोध में परिजनों व ग्रामीणों ने गौरीचक थाना घेरा, आगजनी, सड़क जाम

फुलवारी शरीफ। गौरीचक थाना लॉकअप में पुलिस की पिटाई शराब कारोबार के आरोप में पकड़े गए धर्मेंद्र मांझी की मौत के बाद गौरीचक थाना का घेराव कर आगजनी व प्रदर्शन कर रहे लोगों ने थानेदार व अन्य पिटाई करने वाले पुलिस पदाधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज कर गिरफ्तार करने की मांग की जा रही है।

एसएसपी ने पुलिस लॉकअप में पिटाई के आरोपों को बताया गलत

पुलिस का मारपीट के आरोप से इनकार : वरीय पुलिस अधीक्षक उपेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपित धर्मेन्द्र मांझी को पुलिस शराब के एक मामले में गिरफ्तार की थी, जिसे शनिवार को जेल भेजने से पूर्व न्यायालय में पेशी की गयी थी, जहां न्यायालय ने शनिवार को लौटा दिया। धर्मेन्द्र समेत अन्य कैदी को जब वापस लेकर गौरीचक लाया जा रहा था, तभी उसकी तबीयत खराब हो गयी। पोस्टमार्टम कराया जा रहा है।पोस्टमार्टम के बाद स्पष्ट हो पायेगा कि आखिरकार उसकी मौत कैसे हुई। पुलिस द्वारा मारपीट करने की घटना से उन्होंने इन्कार किया है।

रविवार को सुबह से ही गौरीचक थाना पहुंचकर घेराव करते हुए लोगों ने पटना गया मार्ग को थाना के सामने जाम कर आगजनी करने लगे। प्रदर्शन कारियों के आक्रोश को देख थाना में मौजूद पुलिस जवान व पदाधिकारी थाना का गेट बंद कर अंदर ही दुबक गए। हालात बिगड़ता देख पटना से भारी संख्या में पुलिस फोर्स औऱ आस के कई थानों की पुलिस को मौके पर बुला लिया गया। प्रदर्शन कर रहे परिजनों और ग्रामीणों ने वरीय पुलिस अधिकारियों को मौके पर बुलाने और घटना की निष्पक्ष जांच कराने, मृतक के परिवार को मुआवजा दिलाने, गौरीचक थानाध्यक्ष लालमनी दुबे सहीत धर्मेंद्र माझी की पिटाई में शामिल अन्य पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करने, हत्या का मामला दर्ज कर गिरफ्तारी की मांग की जा रही है।

करीब तीन घन्टे से गौरीचक थाना का घेराव के दौरान ही उग्र लोगों ने थाना पर पथराव भी किया जिससे हालात तनावपूर्ण बना हुआ है। मैके पर पहुंचे गोपालपुर, धनरुआ, पुनपुन, मसौढ़ी, परसा बाजार राम कृष्णा नगर सहित कई थाने के थानेदार व अन्य पुलीस पदाधिकारी आक्रोशित लोगों को समझाने बुझाने में जुटे हैं लेकिन कोई सुनने को तैयार नही हो रहा। मृतक के परिजन बड़ी संख्या में ग्रामीण महिलाएं थाना के गेट पर सड़क के बीचों बीच बैठकर न्याय की मांग कर रही हैं। इधर प्रदर्शन से पटना गया मसौढ़ी जहानाबाद से आने जाने वाले सैंकड़ो वाहन सड़क जाम में फंसे है।

क्या है पूरा मामला जानिए

गौरीचक थाना के चिपुरा निवासी धर्मेन्द्र मांझी (30 वर्ष) की पुलिस हिरासत में शनिवार की रात उस वक्त मौत हो गयी जब पुलिस उसे न्यायालय में पेशी के बाद वापस लेकर गौरीचक थाना आ रही थी। वहीं परिजनों ने पुलिस पर धर्मेन्द्र मांझी के साथ मारपीट करने का आरोप लगाया है। इस संबंध में मृतक के परिजन श्रवण मांझी ने बताया कि गौरीचक पुलिस बीते शुक्रवार की सुबह शराब के एक मामले में छापेमारी कर चिपुरा गांव के चनारिक मांझी के पुत्र धर्मेन्द्र मांझी (30) व मीरचन मांझी के पुत्र जितेन्द्र मांझी (25) एवं हरी मांझी के पुत्र प्रमोद मांझी (40) को गिरफ्तार कर थाना ले गयी थी।

चिपुरा गांव से गिरफ्तार इन तीनों के अलावा अन्य एक मामले में गिरफ्तार विभिन्न गांवों के तीन लोगों को लेकर शनिवार की दोपहर बाद गौरीचक पुलिस पटना स्थित न्यायालय में पेशी को ले गयी थी  समय खत्म हो जाने की वजह से न्यायालय से सभी गिरफ्तार छह लोगों को वापस लौटा दिया गया। बताया जाता है कि गौरीचक पुलिस सभी को लेकर शनिवार की देर शाम वापस थाना लेकर चली आयी। इसी बीच धर्मेन्द्र मांझी की अचानक तबियत खराब हो गयी और वह बेहोश हो गया। यह देख गौरीचक पुलिस आनन-फानन में उसे लेकर संपतचक पीएचसी में गयी , जहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ॰ रेणु प्रसाद ने उसे एनएमसीएच ले जाने की सलाह दी। पुलिस युवक को बेहोशी हालत में ही उसे एनएमसीएच ले गयी , जहां डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।

पुलिस ने पिटाई की बात डॉक्टर से छिपाई

गौरीचक पुलिस धर्मेन्द्र मांझी की मौत को छिपाने का अपनी ओर सेहर प्रयास किया , लेकिन उसमें वह सफल नहीं हो पायी। पुलिस जब धर्मेन्द्र को संपतचक पीएचसी में उपचार के लिये लेकर गयी तो वहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ रेणुप्रसाद से भी झूठ बोला।जब डॉक्टर रेणुप्रसाद से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि शनिवार की देर शाम करीब 7:40 के आसपास गौरीचक पुलिस उक्त युवक को पुलिस जीप से लेकर आयी थी।

पूछने पर पुलिस ने यह बताया कि युवक सड़क पर अचेतावस्था में पड़ा था। वहीं से उठाकर लेकर उपचार के लिए लाया गया है। डॉक्टर ने बताया कि युवक अचेतावस्था में था और उसकी हालत ठीक नहीं थी। उन्होने बताया कि पांच मिनट में कागजी प्रक्रिया पूरी कर उसे एनएमसीएच ले जाने को हमने कह दिया। पुलिस उसे तुरंत लेकर पटना चली गयी थी।आखिरकार सवाल उठता है कि पुलिस डॉक्टर से क्यों झूठ बोल उसका उपचार कराना चाहा।