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फ्रिज और टीवी के बिल ने बढ़ाई हेमंत सोरेन की टेंशन, ED ने जमीन घोटाले में सबूत के तौर पर किए इस्तेमाल


 नई दिल्ली/रांची। झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। 31 करोड़ रुपये से अधिक की कीमत वाले 8.86 एकड़ अवैध जमीन घोटाले मामले में अब एक नया मोड़ आ गया है।

 

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अब केस में सबूत के तौर पर रेफ्रिजरेटर और स्मार्ट टीवी के बिल को भी शामिल कर लिया। ईडी ने इन बिल को हेमंत सोरेन और इनके साथ चार अन्य लोगों के खिलाफ दायर अपने आरोप पत्र के साथ संलग्न किया।

इनके नाम पर खरीदे गए टीवी फ्रिज

वहीं इस मामले में ईडी ने कहा कि फरवरी 2017 में दोनों गैजेट रेफ्रिजरेटर और टीवी संतोष मुंडा के परिवार के दो सदस्यों नाम पर खरीदे गए थे। मुंडा के बेटे के नाम पर एक रेफ्रिजरेटर खरीदा गया था और उनकी बेटी के नाम पर नवंबर 2022 में एक स्मार्ट टीवी खरीदा गया था।

मुंडा ने एजेंसी को बताया था कि वह 14-15 सालों से उक्त 8.86 एकड़ भूमि पर हेमंत सोरेन की संपत्ति की देखभालकर्ता के रूप में वहां रह रहे हैं। ईडी ने सोरेन के दावे का खंडन करने के लिए मुंडा के इस बयान का इस्तेमाल किया कि उसका उक्त भूमि से कोई संबंध नहीं है। एजेंसी ने जमीन पर राजकुमार पाहन नाम के व्यक्ति के दावे को भी खारिज कर दिया। ईडी ने 30 मार्च को यह जमीन कुर्क कर ली थी।

31 जनवरी को लिया था हिरासत में

जांच एजेंसी ने दो डीलरों से इन बिलों को प्राप्त किया रांची में न्यायाधीश राजीव रंजन की विशेष पीएमएलए अदालत ने 4 अप्रैल को अभियोजन की शिकायत पर संज्ञान लिया।

बता दें कि सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद ही 31 जनवरी को कथित भूमि हड़पने से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था। हेमंत सोरेन अभी फिलहाल रांची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा जेल में न्यायिक हिरासत में हैं।

ईडी ने किया ये दावा

ईडी ने दावा किया कि पिछले साल अगस्त में इस मामले में सोरेन को पहला समन जारी होने के तुरंत बाद पाहन ने रांची के उपायुक्त को पत्र लिखकर बताया था कि उनके और कुछ अन्य लोगों के पास जमीन है। अन्य मालिकों के नाम पर पहले का परिवर्तन रद्द कर दिया जाए, ताकि उन्हें उनकी संपत्ति से बेदखल होने से बचाया जा सके।

ईडी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने सोरेन की गिरफ्तारी से दो दिन पहले 29 जनवरी को पाहन को जमीन वापिस दे दी थी, ताकि झामुमो नेता का नियंत्रण और कब्जा निर्बाध बना रहे। जांच एजेंसी के अनुसार यह भूमि मूल रूप से एक भुइंहारी संपत्ति है और इस संपत्ति को सामान्य परिस्थितियों में किसी को हस्तांतरित या बेचा नहीं जा सकता था। ‘मुंडा’ और ‘पाहन’ इस भूमि के मालिक थे।

हेमंत सोरेन ने इन्हें किया संपति से बेदखल

ईडी ने दावा किया कि अचल संपत्ति बाद में मूल आवंटियों द्वारा कुछ व्यक्तियों को बेच दी गई थी, लेकिन सोरेन ने उन्हें बेदखल कर दिया और 2010-11 में जमीन पर नियंत्रण हासिल कर लिया। संतोष मुंडा ने ईडी को यह भी बताया कि हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना ने दो से तीन बार उक्त जमीन का दौरा भी किया।

ईडी का दावा है कि सोरेन के कहने पर मुंडा को संपत्ति की देखभाल का प्रभार सौंपा गया था, इसके अलावा मामले के एक अन्य आरोपी हिलारियास कच्छप ने वहां बिजली मीटर लगवाया था।

पाहन हेमंत सोरेन के मुखौटे के रूप में काम कर रहा था

ईडी ने यह भी कहा कि संतोष मुंडा और उनका परिवार इस संपत्ति पर रह रहा था और यह आरोपी राजकुमार पाहन के कब्जे में नहीं था। एजेंसी के मुताबिक राजकुमार पाहन हेमंत सोरेन के मुखौटे के रूप में काम कर था ताकि संपत्ति को किसी तरह पाहन और उसके परिवार के सदस्यों के कब्जे में दिखाया जा सके।

सोरेन के खिलाफ सबूतों को खत्म किया जा सके और अपराध की आय को छुपाया जा सके। ईडी ने इन दोनों बिलों को सबूत के तौर पर सूचीबद्ध किया है और इन्हें मुख्य दस्तावेजों के तहत आरोप पत्र के साथ संलग्न किया है।

इन्हें बनाया गया मुख्य आरोपी

इसके मुताबित मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत सोरेन और अन्य के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की गई है। ईडी ने 191 पन्नों की चार्जशीट में सोरेन, राजकुमार पाहन, हिलारियास कच्छप, भानु प्रताप प्रसाद और बिनोद सिंह को आरोपी बनाया गया है।