सम्पादकीय

बंगलादेश यात्राके कई मायने


पुष्परंजन

प्रधान मंत्री मोदी पहली ढाका यात्रा छहसे सात जून, २०१५ को कर आये थे। तब सुरक्षा कोई मुद्दा नहीं था। मोदी शासन पार्ट-टू और कोरोना कालकी पहली विदेश यात्रामें सुरक्षाकी चिंता वायरसको लेकर नहीं, अतिवादियोंको लेकर है। बंगलादेशने आश्वासन दिया है कि सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होगी, चिंताकी कोई बात नहीं। राजधानी ढाका और उससे बाहर पीएम मोदी कई उभयपक्षीय आयोजनोंमें शिरकत करेंगे। पीएम मोदी मुजीब बोरशो, बंगलादेश मुक्ति संग्रामके ५० साल और भारत-बंगलादेश कूटनीतिक संबंधोंकी पचासवीं वर्षगांठके लिए अपनी गरिमामय उपस्थिति देंगे। रेल संपर्क एवं अधोसंरचना परियोजनाओंकी आधारशिला रखेंगे। १९ मार्च, २०२१ को घोषणा हुई कि बंगबंधु शेख मुजीबुरर्हमानको गांधी शांति पुरस्कार २०२० से नवाजा जायगा। इस निर्णयने शेख हसीनासे निजी संबंधोंको और सुदृढ़ किया है। परन्तु १९७१ में जिन लोगोंने बंगलादेशके निर्माणमें सहयोग दिया था, उस राजनीतिक दलको क्या कोई न्योता भेजा गया है। इस सवालपर बंगलादेशका विदेश मंत्रालय चुप है। प्रश्न यह है कि पीएम मोदीको खतरा किस समूहसे है। बंगलादेश इस्लामी छात्र शिबिरसे। इस्लामी जातीय ओकियासे, इस्लामी ओकिया जोत, जमाते इस्लामीके दोनों गुटोंसे या फिर इस्लामी फ्रंट बंगलादेश, बंगलादेश इस्लामिक फ्रंटसे। अलकायदाने बंगलादेशमें जिस तरह जड़ें मजबूत की हैं, यह भी चिंताका विषय है। यह आधे दर्जन अतिवादी गुट क्या पीएम मोदीकी यात्रातक शांत बैठे रहेंगे। इसपर न तो खुलकर लिखा जा रहा है, न सरकारें स्पष्ट रूपसे बता रही हैं। भारतके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी इस विषयपर मौन धारण किये हुए हैं। तीन साल पहले २७ से २९ मार्च, २०१८ को अजीत डोभाल बिम्सटेक सुरक्षा प्रमुखोंकी बैठकमें ढाका गये थे, जिसमें बंगलादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका और थाईलैंडके राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारोंने हिस्सा लिया था। जनवरी, २०२१ में भारत-बंगलादेशके पुलिस प्रमुखोंने वीडियो कानफ्रेंसिंगके जरिये जाली नोट और अतिवादी गतिविधियोंके बारेमें सूचनाओंका आदान-प्रदान किया था।

प्रधान मंत्री मोदी कूटनीतिमें देवनीतिका तड़का पहली बार नहीं लगा रहे हैं। नेपाल यात्रामें वह ऐसा कर चुके हैं। परन्तु इस बार बंगलादेशके जिन मंदिरोंमें पीएम मोदी मत्था टेकेंगे, उसका लक्ष्य बंगालका वोट बैंक है, इससे कोई इनकार नहीं कर रहा। जेशोरेश्वरी काली मंदिरको सतीकी ५१वीं सिद्ध पीठ बताते हैं। कहा जाता है कि कालीकी हथेली यहां गिरी थी। पीएम मोदी यहां पूजा-अर्चना करेंगे। उसे देखते हुए जेशोरके श्यामनगरमें छह हेलीपैड बनाये गये हैं। मंदिर परिसरका जीर्णोद्धार किया गया है। हेलीपैडसे मंदिरतक सड़क और दो कमरोंवाला गेस्ट हाउस, रेस्ट रूम आननफाननमें तैयार किये गये हैं। यह पूरा इलाका छावनी बना रहेगा। ढाकासे १४३ किलोमीटर दूर ओरकांडी ठाकुरबाड़ी परिसरके पास चार हेलीपैड तैयार हैं। ओरकांडी मथुआ समुदायका अधिकेंद्र है। मथुआ समुदायके आदिपुरुष रहे हैं हरिचंद ठाकुर। वर्ष १८११ में गोपालगंजमें जन्मे थे। उन्होंने स्वयंको विष्णु एवं कृष्णका अवतार घोषित किया था, जिसका बड़ा विरोध हुआ था। वर्ष १८७८ में ओरकांडीमें हरिचंद ठाकुरने देह त्याग दी। वहींपर ठाकुरबाड़ीका निर्माण हुआ। बंगलादेश महुआ महाआयोगके अध्यक्ष पद्मनाभ ठाकुर पीएम मोदीकी प्रस्तावित यात्रासे अति उत्साहित हैं। हरिचंद ठाकुरकी मौजूदा पीढ़ीके सदस्य सुब्रतो ठाकुर काशियानी उपजिला परिषदके अध्यक्ष हैं। उनका कहना है कि पीएम मोदीके आगमनसे हमारा समाज दोनों तरफसे उत्साहित है। मथुआ महासंघ बंगलादेशसे अधिक सक्रिय पश्चिम बंगालमें दिखता है। राजनीतिक रूपसे चेतनशील, लगभग बीस लाखकी आबादीवाले मथुआ नामशूद्र पश्चिम बंगालकी सात लोकसभा सीटों और ६४ विधानसभा सीटोंपर प्रभाव बनाये हुए हैं। बोडो मां (वीणापानी देवी) जबतक जीवित थीं, पश्चिम बंगालमें मथुआ वोट बैंकको नियंत्रित किया था। वीणापानी देवीकी वजहसे ठाकुरनगरको मथुआ समुदायकी अघोषित राजधानी कहा जाने लगा। ममता बनर्जीने ठाकुरनगर रेल स्टेशनसे लेकर अस्पताल और पूरी टाउनशिप विकसित की। बोडो मांके सबसे बड़े बेटे कपिल कृष्ण ठाकुरको ममता बनर्जीने टीएमसीका टिकट दिया और वे २०१४ में सांसद बने। उसके कुछ महीनों बाद १३ अक्तूबर, २०१४ को कपिल कृष्ण ठाकुरकी मृत्यु हो गयी। फिर, उनकी पत्नी ममता ठाकुर उसी बनगांव लोकसभा सीटसे टीएमसी सांसद चुनी गयीं।

ममता ठाकुरका आरोप है कि पीएम मोदीने परिवारमें घुसकर विभाजन कराया। भतीजे शांतनु ठाकुरको बनगांवसे बीजेपीका टिकट दिया। २०१९ में ममता ठाकुर, शांतनु ठाकुरसे लगभग ११ हजार मतोंसे चुनाव हार गयीं। शांतनुके छोटे भाई सुब्रत ठाकुरको इस बार गाईधाट विधानसभा क्षेत्रसे टिकट दिया। यह बात ध्यान देनेकी है, लोकसभा चुनावसे पहले पीएम मोदी १०१ वर्षीया बोडो मांके चरणोंमें शीश नवाने ठाकुरनगर पहुंच गये थे, उसके कुछ दिनों बाद ५ मार्च, २०१९ को वीणापानी देवीकी मृत्यु हो गयी। परिवार बंटा है तो मथुआ वोट बैंक भी विभाजित होगा, इसे तय मानिये। यह चक्रव्यूहका हिस्सा है कि जो मथुआ वोटर बंगलादेश ओरकांडी ठाकुरबाड़ीके प्रभामंडलमें हैं, उन्हें सीमा पारसे समझाया-बुझाया जाय। २७ मार्चको बंगालमें ठीक चुनाववाले दिन ओरकांडी ठाकुरबाड़ीमें शीश नवाकर पीएम मोदी भारत प्रस्थान करेंगे।

नेपाल और भारतके बाद बंगलादेश, दुनियाका तीसरा मुल्क है, जहां हिंदू बड़ी संख्यामें हैं। बंगलादेश ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक (बीबीएस) के अनुसार २०१५ तक इस देशमें एक करोड़ ७० लाख हिंदू थे। यह संख्या लगातार घटी है। शेख हसीना सबसे लंबी अवधितक सत्तामें रहनेका रिकार्ड बना चुकी हैं, फिर भी बंगलादेशका मानस बदला क्यों नहीं। बंगलादेश जातीय हिंदू महाजोटने अपने मंचसे कई बार पूछा है कि हमारे यहां हिंदू समुदायके जो गैर मथुआ लोग हैं, कभी बीजेपीके लिए चिंताका विषय रहे हैं। २ जनवरी, २०२१ को एक प्रेस कानफ्रेंस कर बंगलादेश जातीय हिंदू महाजोटने दावा किया कि २०२० में १४९ हिंदू बंगलादेश् में मारे गये हैं। इसकी सत्यतापर शेख हसीना सरकारको जवाब देना चाहिए था। इस महाजोटके सचिव गोविंद चंद प्रमाणिकने पूरा ब्योरा पत्रकारोंके समक्ष रखा था। ऐसा नहीं कि भारतीय उच्चायोग इससे अनभिज्ञ है। बंगलादेश जातीय हिंदू महाजोटके लोगोंको प्रधान मंत्री मोदीसे मिलने दिया जायगा। यह प्रश्न अनुत्तरित है। प्रधान मंत्री मोदी केवल काली भक्तों एवं मथुआ समुदायका हालचाल लेंगे, ऐसा भी नहीं दिखता। कई उभयपक्षीय परियोजनाओंका शुभारंभ इस यात्रामें उन्हें करना है।