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दूसरोंको दोष
Posted on Author ARUN MALVIYA
Post Views: 481 श्रीराम शर्मा यदि किसीका व्यवहार अनुचित प्रतीत होता है तो यह माननेसे पहले कि सारा दोष उसीका है, स्वयंपर भी विचार अवश्य करें। दूसरोंपर दोषारोपण करनेका आधा कारण तो स्वयं समाप्त हो जाता है। कई बार ऐसा भी होता है कि किसीकी छोटी-सी भूल या अस्त व्यस्ततापर आप मुस्करा देते हैं या […]
सिकुड़ते जंगलसे संकटमें सभ्यता
Posted on Author ARUN MALVIYA
Post Views: 534 अनिल जैन पानीके संकटको स्पष्ट तौरपर दुनियाभरमें महसूस किया जा रहा है और विशेषज्ञ चेतावनी दे चुके हैं कि अगला विश्व युद्ध यदि हुआ तो वह पानीको लेकर ही होगा। जिस तेजीसे पानीका संकट विकराल रूप लेता जा रहा है, कमोबेश उसी तेजीसे जंगलोंका दायरा भी सिकुड़ता जा रहा है। जब मनुष्यने […]
आहार
Posted on Author ARUN MALVIYA
Post Views: 655 ओशो मनुष्य एक अकेली प्रजाति है, जिसका आहार अनिश्चित है। अन्य सभी जानवरोंका आहार निश्चित है। उनकी बुनियादी शारीरिक जरूरतें और उनका स्वभाव फैसला करता है कि वह क्या खाते हैं और क्या नहीं। किंतु मनुष्यका व्यवहार बिलकुल अप्रत्याशित है, वह बिलकुल अनिश्चिततामें जीता है। न ही तो उसकी प्रकृति उसे बताती […]