सम्पादकीय

बच्चोंको बचाइये


कोरोनाकी जानलेवा दूसरी लहर पूरी तरह बेकाबू हो गयी है। देशमें संक्रमितों और मृतकोंकी संख्याके सभी रिकार्ड टूट गये हैं। रविवारको केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालयकी ओरसे जारी ताजे आंकड़ोंके अनुसार लगातार चौथे दिन देशमें दो लाखसे ज्यादा नये मामले सामने आये। पिछले २४ घण्टेके दौरान दो लाख ६१ हजार ५०० नये मामले दर्ज किये गये और इसी अवधिमें १५०१ लोगोंकी मृत्यु भी हो गयी। देशमें सक्रिय मामलोंकी संख्या १८ लाखके पार पहुंच गयी है। एक दिनमें संक्रमणसे मरनेवालों और नये संक्रमितोंका यह अबतका सर्वाधिक आंकड़ा है। सक्रिय मरीजोंकी संख्या १८ लाखके चिन्ताजनक आंकड़ेको पार करते हुए १८०१३१६ पर पहुंच गयी है। राहतकी बात यह भी है कि पिछले २४ घण्टोंमें एक लाख ३८ हजार ४२३ मरीज ठीक होकर अपने घर गये। कोरोनाकी इस लहरसे स्वास्थ्य सेवाएं गम्भीर रूपसे चरमरा गयी है। ज्यादातर राज्योंमें आक्सीजन, बेड और टीकोंकी मांग बढ़ गयी है। अस्पतालोंकी स्थिति भी बदतर हो गयी है। राज्योंमें स्वास्थ्य सेवाओंपर दबाव बढऩेसे व्यवस्था नियंत्रणसे बाहर हो गयी है। एक गम्भीर चिन्ताकी बात यह है कि देशमें ८० हजारसे अधिक बच्चे कोरोनासे संक्रमित हो गये हैं। नवजात शिशुओंसे लेकर १५ वर्षतकके बच्चोंके लिए दूसरी लहर घातक साबित हो रही है। गुजरातके सूरतमें १५ दिनोंकी एक नवजात बच्ची कोरोनासे संक्रमित हो गयी और उसकी मौत भी हो गयी। महाराष्टï्र, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक और दिल्लीमें ७९६८८ बच्चे संक्रमित हुए हैं। अन्य राज्योंमें भी बच्चे सुरक्षित नहीं हैं। कोरोना कालमें बच्चोंकी सुरक्षा बड़ी चुनौतीके रूपमें सामने आयी है। बच्चोंकी सुरक्षाका दायित्व माता-पिता और अभिभावकोंके अतिरिक्त चिकित्सकों और स्वास्थ्य कर्मियोंकी है। इसके लिए बच्चोंको दोहरे मास्क लगानेके साथ बचावके सभी उपाय करने होंगे। बच्चोंमें तेज बुखार, पेट दर्द, सांस लेनेमें दिक्कत हो तो तत्काल जांच और समुचित उपचार करनेकी जरूरत है। मौसममें परिवर्तनके साथ बच्चोंपर कोरोना वायरसका खतरा भी मडराने लगा है। उन्हें सुरक्षित रखनेके लिए हर सम्भव प्रयास करना होगा। पूरे परिवारकी सुरक्षाका पूरा दायित्व परिवारका ही है। इसमें किसी भी प्रकारकी लापरवाही या ढिलाई काफी घातक साबित होगी।

अमेरिकी सिखोंमें आक्रोश

अमेरिकाके इंडियाना राज्यमें शुक्रवारको हुई सामूहिक नरसंहारकी घटना अत्यन्त ही घृणित और निन्दनीय है। इंडियाना पोलिस परिसरमें नस्ली घृणासे प्रेरित एक सिरफिरे १९ वर्षीय युवकने अंधाधुन्ध गोलीबारी की। इस घटनामें आठ लोगोंकी मौत हो गयी, जिसमें चार भारतीय अमेरिकी सिख शामिल हैं। घटनाको अंजाम देनेे बाद हमलावरने खुदकुशी कर ली। ‘फेडएक्सÓ कम्पनीके इस परिसरमें कार्यरत ९० प्रतिशतसे अधिक कर्मचारी भारतीय मूलके अमेरिकी नागरिक हैं। इनमें अधिकतर सिख समुदायके लोग हैं। इस गोलीकाण्डमें मारे गये भारतीय मूलके लोगोंमें भारी आक्रोश और भय है। अमेरिकी राष्टï्रपति जो बाइडेनने इस सामूहिक नरसंहारको राष्टï्रीय शर्मिन्दगी बताते हुए सरकारी इमारतोंपर राष्टï्रीय ध्वज आधा झुकानेके आदेश दिये हैं। उपराष्टï्रपति भारतीय मूलकी कमला हैरिसने इस त्रासद घटनापर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे देशमें ऐसे परिवार हैं जो नस्ली हिंसाके कारण अपने परिजनोंको खो चुके हैं। इस तरहकी हिंसाका अंत होना चाहिए। इस बीच अमेरिकी दौरेपर आये जापानके प्रधान मंत्री योशिहिदे सुगाने भी ह्वïाइट हाउसमें बैठक शुरू होनेसे पहले मृतकोंके परिजनोंके प्रति संवेदना व्यक्त की। भारतके परराष्टï्रमंत्री एस. जयशंकरने गोलीबारीकी घटनापर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि शिकागो स्थिति भारतीय वाणिज्य दूतावास सभी पीडि़तोंके सम्पर्कमें हैं और उन्हें हरसम्भव मदद दी जायगी। अमेरिकामें  अल्पसंख्यक हिन्दू और सिख धर्मावलम्बियोंपर प्राणघातक हमला कोई नयी घटना नहीं है। सिकान्सिनमें २०१२ में ओकक्रीक गुरुद्वारा गोलीकाण्डमें सात सिख मारे गये थे। ९/११ की घटनाके बादसे सिख समुदायने बहुत कुछ झेला है। अब ऐसी घटनाएं रोकी जानी चाहिए। इस तरहकी बर्बर घटनाओंके लिए अमेरिकाकी शस्त्र नीतिको जिम्मेदार ठहराना अतिशयोक्ति नहीं होगी जहां आग्नेयाशास्त्र गाजर-मूलीकी तरह बाजारोंमें बिकते हैं। यह अमेरिकी सरकारका दायित्व है कि उसने यहां रह रहे भारतीय मूल हिन्दू-सिखको पूरी सुरक्षा प्रदान करे। राष्टï्रपति बाइडेनको ऐसी घटनाओंकी पुनरावृत्ति रोकनेके लिए कड़े कदम उठाने होंगे।