सम्पादकीय

समयका नियोजन


श्रीराम शर्मा

समय हमारे साथ हर पल रहता है। इस समयको भूल जाते हैं, लेकिन समय हमें नहीं भूलता। निश्चित समयपर समय हमारा साथ छोड़कर चला जाता है, यही समयका अंत है। समयका प्रारंभ होता है हमारे जीवनसे और अंत होता है हमारी मृत्युके रूपमें। बीचका समय हमें जीवन जीनेके लिए मिला है, जिसका हम जैसा चाहें, उपयोग कर सकते हैं। हमारे पास समय नहीं है। अपनी अतिव्यस्तताको बतानेके लिए ऐसा बहुत लोग कहते हैं। यह सच है कि हम सभी इस धरतीपर एक सीमित समयके लिए हैं और यह जानते भी नहीं कि कितना समय हमारे पास है, फिर भी समयका सही उपयोग न करके इस समयको और भी कम कर देते हैं। एक दिनमें २४ घंटेका समय हमारे पास होता है, लेकिन २४ घंटे हम काम नहीं कर सकते। इसमेंसे छह-सात घंटे हम नींद लेते हैं, कुछ समय नित्यके कार्यों, कुछ समय हम मनोरंजन, कुछ समय यूं ही गुजार देते हैं। इस तरह अपने खास कामोंके लिए हम कुछ निश्चित समय ही निकाल पाते हैं, जिसका यदि उपयोग न हो पाये तो वह भी हाथसे बालूकी भांति फिसल जाता है। कमी समयकी नहीं, समयको समझनेकी है। समयको सभी जीते हैं, इसका आनन्द लेते हैं, लेकिन कुछ ही होते हैं, जो विशेष उपलब्धियां हासिल करते हैं। कुछ ऐसा कर जाते हैं, जो ऐतिहासिक होता है। जिन्होंने समयको पहचान लिया, वह ही अपने जीवनमें आगे बढ़ पाते हैं। समयकी अपनी गति है और हमारी अपनी। दोनोंमें तुलना करनेकी जरूरत ही नहीं है। हम समयसे आगे-पीछे नहीं होते, बस अपनी-अपनी गतिसे अपने-अपने समयको जी रहे होते हैं और यदि हम अपने समयको भरपूर जी रहे हैं तो न ही हमें समयकी कमीकी शिकायत रहती है और न समयकी कमी हमारे आड़े आती है। यदि हम अपनी गतिसे चलते हुए समयपर मंजिल पा लेते हैं तो इसका मतलब है कि हम समयके साथ चल रहे हैं, लेकिन यदि हमारे पास हमारे आधे-अधूरे कामोंकी लंबी सूची है तो फिर जरूरत है खुदको थोड़ा ठीक करनेकी। इसके साथ ही हमें अपने जीवनमें कुछ अच्छी आदतें अपना लेनी चाहिए, हमारी कार्यक्षमताको बढ़ाती हों तथा समय प्रबंधनमें हमारी मदद करती हों। जैसे कार्यके दौरान बीचमें विश्राम करनेकी आदत, हर दिन कुछ अच्छा पढऩेकी आदत, संगीत सुननेकी आदत आदि। यह आदतें ऐसी होती हैं, जो हमें तनाव मुक्त करती हैं। भले ही हम चाहे कितने भी व्यस्त हों, लेकिन आदतवश इनके लिए थोड़ा समय निकाल लेते हैं और अपनी कार्यशैलीको एक नया आयाम देते हैं।