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बांदा में सीएम योगी आद‍ित्‍यनाथ बोले- नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायी बनेगी महाराणा प्रताप की प्रतिमा


बांदा,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने महाशिवरात्रि से एक दिन पूर्व महाराणा प्रताप व महाराजा खेत सिंह खंगार जूदेव की प्रतिमा का बटन दबाकर अनावरण किया। इस दौरान उन्होंने दोनों महापुरुषों के स्वदेश व स्वधर्म की रक्षा के लिए किए गए बलिदान पर चर्चा की। कहा कि महाराणा प्रताप ने 28 वर्ष की उम्र में मेवाड़ और चित्तौड़ की सत्ता संभाली। तब यह दोनों राज्य मुगल शासक अकबर के कब्जे में थे। लेकिन उन्होंने अपने पराक्रम के बल पर कुछ ही वर्षों में दोनों को हासिल किया और सभी के लिए प्रेरणादायी बन गए। यहां स्थापित महाराणा प्रताप की प्रतिमा वर्तमान व भावी पीढ़ी के लिए प्रेरक होगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने निर्धारित समय 12.50 बजे से करीब 18 मिनट विलंब से यहां 1.08 बजे जीआइसी मैदान पहुंचे। यहां उनके साथ कैबिनेट मंत्री स्वतंत्र देव सिंह भी रहे। सांसद आरके सिंह पटेल, जल शक्तिराज्यमंत्री रामकेश निषाद, सदर विधायक प्रकाश द्विवेदी सहित अन्य जनप्रतिनिधियों ने उनका स्वागत किया। मुख्यमंत्री करीब 1.11 बजे कार्यक्रम स्थल महाराणा प्रताप चौक पहुंचे। स्वागत के बाद उन्होंने बटन दबाकर महाराणा प्रताप की नवनिर्मित प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कहा कि मेरी इच्छा थी कि अगर महाराणा प्रताप के नाम पर कुछ किया जा सके तो सौभाग्य की बात होती होगी।

कहा कि बांदा जैसे बुंदेलखंड के जनपद में इतना भव्य आयोजन होगा और इतना भव्य चौराहा होगा कि कोई बोलेगा, किसी अजबनी को यहां लाकर खड़ा कर देंगे तो बोलेगा कि लखनऊ और दिल्ली राजधानी जैसी सड़क व चौराहा है। जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने यहां सड़क और चौराहों को भव्य रूप दिया है। यह सिटी के प्रति हमारी आत्मतीयता के भाव को प्रदर्शित करता है। यही प्रेरणा महाराणा प्रताप ने हम सभी को दी। उनका जन्म 1540 में मेवाड़ में हुआ था। लेकिन जब वह मात्र 28 वर्ष के थे तब उदय सिंह का निधन हुआ। उन्हें राजगद्दी प्राप्त होती है तो न तो मेवाड़ था और न चित्तौढ़गढ़ था। उस समय अकबर ने दोनों जगह कब्जा कर लिया था।

28 वर्ष की उम्र में उन्हें आधी-अधूरी सत्ता प्राप्त हुई थी। 36 वर्ष की उम्र में उन्होंने हल्दीघाटी युद्ध के बाद जब आगे अपनी लड़ाई प्रारंभ की तो 40 वर्ष की उम्र में उन्होंने मेवाड़ व चितौढ़ को वापस हासिल कर लिया था। सबसे बड़ी ताकत कही जाने वाली अकबर को नाको चने चबाने को मजबूर कर दिया था। स्वाभिमान क्या होता था उन्होंने बताया। स्वदेश व स्वराष्ट्र की बात होती है तो महाराणा प्रताप, छत्रपति, झांसी रानी लक्ष्मी बाई का नाम सम्मान के साथ लेते हैं। इन महापुरुषों ने अपने लिए नहीं, एक-एक क्षण अपनी मातृ भूमि के लिए समर्पित किया। महारानी लक्ष्मी बाई व महाराणा प्रताप का नाम कोई लेता है तो गौरव की अनुभूति होती है। महाराणा प्रताप का नामकरण कर वर्तमान व भावी पीढ़ी को प्रेरणा प्रदान की गई है।

सीएम ने कहा कि सभी जनप्रतिनिधियों व सामाजिक संगठनों को, जिन्होंने इसमें योगदान किया है, उनका अभिनंदन करते हैं। उन्होंने महाशिवरात्रि की बधाई दी। कहा कि महाराणा प्रताप की प्रतिमा हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। करीब 10 मिनट के भाषण के बाद वह कार से पल्हरी बाईपास चौराहा पहुंचे। यहां महाराजा खेत सिंह जूदेव की नवनिर्मित मूर्ति का अनावरण किया। यहां भी उन्होंने महापुरुषों के बलिदान को याद किया और लोगों को प्रेरणा लेने की बात कही। यहां से मुख्यमंत्री वापस जीआइसी मैदान पहुंचे और हेलीकाप्टर से करीब 2.45 बजे कालिंजर दुर्ग के लिए निकल गए। यहां वह कालिंजर महोत्सव पर कार्यक्रम को संबोधित करेंगे।