वाराणसी

बाबा विश्वनाथ विश्वास और मां पार्वती श्रद्धा की प्रतीक


संकटमोचन मंदिर में श्रीराम विवाह पंचमी के पावन अवसर पर चल रहे रामचरित मानस व्यास सम्मेलन के तीसरे दिन काशी के प्रख्यात मानस वक्ता डाक्टर परमेश्वर दत्त शुक्ल ने कहा कि जब तक ईश्वर की कृपा नहीं होगी तबतक सद्कर्म नहीं हो सकता है। मन के अन्दर के वैमनस्य का दमन करने पर ही रामकथा का असल आनंद प्राप्त हो सकेगा। उन्होंने कहा की भूतभावन बाबा विश्वनाथ विश्वास के प्रतीक है और माँ पार्वती श्रद्धा की। भदोही से पधारे मानस वक्ता पण्डित सुरेश मिश्र ने कहा कि कलियुग में रामकथा का ही प्रताप है कि जहाँ भी प्रभु श्रीराम का स्मरण होता है हनुमान जी स्वयं उपस्थित होकर कथा श्रवण करते है। काशी के युवा मानस वक्ता पण्डित आशीष मिश्र ने कहा कि गोस्वामी जी ने रामचरितमानस की रचना जन-जन में समरसता की भावना जागृत करने के लिए की थी। मानस जनभाषा में जन के लिए रचित ही महान ग्रंथ है जिसका लाभ सदियों तक सनातन धर्म के अनुरागियों को मिलता रहेगा। व्यास सम्मेलन में पण्डित गंगा सागर पाण्डेय, ऋतुराज कात्यायन, पण्डित प्रमोद चौबे, पण्डित श्यामसुंदर पाण्डेय ने भी श्रीराम विवाह के प्रसंगों पर चर्चा की। अंत में महंत प्रोफेसर विश्वम्भर नाथ मिश्र ने आरती कर श्रद्धालुओं में प्रसाद वितरित किया। इसके साथ ही प्रात:काल मंदिर परिसर में चल रहे नवाह्न परायण में तीसरे दिन आचार्य राघवेंद्र पाण्डेयके आचार्यत्व में ५१ भूदेवों ने रामचरित मानस के अयोध्या काण्ड का सस्वर पाठ किया। संचालन पण्डित नंदलाल उपाध्याय ने किया। इस अवसर पर प्रेमचंद्र मेहरा, विजय बहादुर सिंह, हृदय नाथ मिश्र आदि उपस्थित रहे।