सम्पादकीय

बिटकाइनपर नये प्रतिबंध जरूरी


डा. भरत झुनझुनवाला 

किसी समय इंग्लैंडमें एक अमीर थे रॉत्सचाइल्ड। इनकी कई देशोंमें व्यापारकी शाखाएं थी। यदि किसी व्यक्तिको एक देशसे दूसरे देश रकम पहुंचानी होती थी तो वह ट्रांसफर रॉत्सचाइल्डके माध्यमसे सुरक्षापूर्वक हो जाता था। जैसे मान लीजिए आपको दिल्लीसे मुम्बई रकम पहुंचानी है। आपने रॉत्सचाइल्डके दिल्ली दफ्तरमें एक लाख चांदीके सिक्के जमा करा दिये। उन्होंने आपको लाख सिक्कोंकी रसीद दे दी। आप मुंबई गये और रॉत्सचाइल्डके मुंबई दफ्तरमें वह रसीद देकर आपने एक लाख सिक्के प्राप्त कर लिये। इतने सिक्कोंको लेकर जानेके झंझटसे आप मुक्त हो गये। समय क्रममें रॉत्सचाइल्डने देखा कि उनके लिखे हुए प्रॉमिससरी नोट या रसीदपर लोगोंको अपार विश्वास है। उन्होंने स्वयं ही प्रॉमिससरी नोट बनायें और मिली रकमसे अपना व्यापार बढ़ाय। जैसे मान लीजिये उन्हें कोई मकान खरीदना था। उन्होंने एक करोड़ सिक्कोंका प्रॉमिससरी नोट लिख दिया और मकानके विक्रेताने उस रसीदको सच्चा मानकर उन्हें मकान बेच दिया। रॉत्सचाइल्ड द्वारा जारी की गयी यह रसीदें अथवा प्रॉमिससरी नोट ही आगे चलकर नगद नोटके रूपमें प्रचलित हुए। समय क्रममें सरकारोंने अथवा उनके केंद्रीय बैंकोंने इसी प्रकारके प्रॉमिससरी नोट छापना एवं जारी करना शुरू कर दिया। इन्हीं  प्रॉमिससरी नोटको नगद नोट कहा जाता है। आप देखेंगे कि रिजर्व बैंक द्वारा जारी नोटपर लिखा रहता है, ‘मैं धारकको एक सौ रुपये अदा करनेका वचन देता हूं।Ó ऐसा ही वचन रॉत्सचाइल्डने दिया था जिससे कि नगद मुद्राका चलन शुरू हो गया। जाहिर होगा कि नोटका प्रचलन इस बातपर टिका हुआ है कि उसे जारी करनेवालेपर समाजको विश्वास है अथवा नहीं। इसी विश्वासके आधारपर बिटकॉइन एवं अन्य क्रिप्टोकरंसी अविष्कार हुआ है।

ऐसा समझें कि सौ कंप्यूटर इंजीनियर एक हालमें बैठे हैं और उन्होंने एक सुडोकू पहेलीको आपसमें हल करनेकी प्रतिस्पर्धा की। जिस इंजीनियरने उस पहेलीको सर्वप्रथम हल कर दिया, उसके हलको अन्य इंजीनियरोंने जांच की और सही पानेपर उन्हें एक बिटकॉइन इनाम स्वरूप दे दिया। इन इंजीनियरोंने आपसी लें दें इन बिट्काइनमें करना शुरू कर दिया। एक इंजीनियरको दूसरेसे कार खरीदनी हो तो उसका पेमेंट दूसरेको बिटकॉइनसे कर दिया। यह संभव हुआ चूंकि दोनों इंजीनियरोंको उस बिटकॉइनपर भरोसा था। अब इस बिटकॉइनकी विश्वसनीयता सिर्फ उन सौ कंप्यूटर इंजीनियरोंके बीच है, जिन्होंने उस खेलमें भाग लिया था। समय क्रममें यह सौ कंप्यूटर इंजीनियर बढ़कर दस लाख हो गये या एक करोड़ हो गये और तमाम लोगोंको इस प्रकारके बिटकॉइनपर विश्वास हो गया बिल्कुल उसी तरह जैसे रॉत्सचाइल्डके द्वारा जारी किये गये प्रॉमिससरी नोटपर जनताको विश्वास हो गया था।

आज विश्वमें इस प्रकारकी तमाम क्रिप्टोकरंसी हैं। बिटकॉइनको एक करोड़ कंप्यूटर इंजीनियर मान्यता देते हैं तो एथेरियमको मान लीजिए पचास लाख कंप्यूटर इंजीनियर मान्यता देते हैं। जितनी मान्यता है उतना ही प्रचालन है। इस प्रकार तमाम लोगोंने अपनी-अपनी क्रिप्टोकरंसी बना रखी है। आज विश्वमें लगभग पंद्रह सौ अलग-अलग क्रिप्टोकरंसी चालू है। मूल बात यह है कि बिटकॉइनकी विश्वसनीयता इस बातपर टिकी हुई है कि भारी संख्यामें लोग इसे मान्यता देते हैं। जबकि इसके आधारमें कुछ भी नहीं है। रॉत्सचाइल्ड अथवा रिजर्व बैंकने प्रॉमिससरी नोटका भुगतान नहीं किया तो आप उनके घर दफ्तरपर धरना दे सकते थे। लेकिन बिटकॉइनका कोई घर नहीं है। यह एक करोड़ कंप्यूटर इंजीनियर अलग देशोंमें रहते हैं और इन्होंने कोई लिखित करार नहीं किया है।

बिटकॉइनमें तमाम समस्याएं दिखने लगी हैं। सबसे बड़ी समस्या यह है कि आज बिटकॉइन बनानेकी बड़ी फैक्टरियां लग गयी हैं। सुडोकूकी पहेलियां इतनी जटिल हो गयी हैं कि इन्हें हल करना मनुष्यकी क्षमताके बाहर हो गया है। उद्यमियोंने बड़े कंप्यूटर लगा रखे हैं जो इन पहेलियोंको हल करते हैं और जब इनका हल हो जाता है तो उन्हें बिटकॉइनका समाज एक बिटकॉइन दे देता है। जिस प्रकार आप दुकानमें कंप्यूटर लगानेमें निवेश करते हैं उसी प्रकार यह उद्यमी बिटकॉइनकी पहेलियां हल करनेके लिए कंप्यूटर लगानेमें निवेश करते हैं और बिटकॉइन कमाते हैं। यह प्रक्रिया पूर्णतया पर्यावरणके विरुद्ध है। बड़ी-बड़ी फैक्टरियोंमें भारी मात्रामें बिजली खर्च होती है जिससे यह कंप्यूटर चलाये जाते हैं और इससे किसी प्रकारका जनहित हासिल नहीं होता है। दूसरी समस्या अपराधकी है। बीते समयमें अमेरिकाकी कॉलोनियल आयल कंपनीके कंप्यूटरोंको हैक कर लिया गया। हैकर्सने कॉलोनियल आयल कंपनीको सूचना दी कि वह अमुख रकम बिटकॉइनके रूपमें उन्हें पेमेंट करें तब वह उनके कंप्यूटरसे जो मालवेयर यानी कि जो उसमें अवरोध पैदा किया गया था उसको हटा देंगे। कॉलोनियल ऑयल कंपनीने उन्हें लगभग पैंतीस करोड़ रुपयेका मुआवजा बिटकॉइनके रूपमें दिया जिससे कि उनके कंप्यूटर पुन: चालू हो जाय। इस प्रकार बिटकॉइन जैसी करेंसी आज अपराधको बढ़ावा दे रही है, क्योंकि इनके ऊपर किसी सरकारका सीधा नियंत्रण नहीं होता है। बिटकॉइन बनानेवाली फैक्टरी या उसका उद्यमी रूसमें है, चीनमें है, भारतमें हैं या इंडोनेशियामें है इसकी कोई जांच नहीं होती क्योंकि सारा लेन-देन इंटरनेटपर होता है।

इस प्रकार आज अपराधीयों द्वारा वसूली बिटकॉइनके माध्यमसे की जा रही है। तीसरी समस्या रिस्ककी है। बिटकॉइन हाथका लिखा हुआ या प्रिंटिंग प्रेसका छपा हुआ नोट नहीं होता है। यह केवल एक विशाल नंबर होता है जो कि किसी कंप्यूटरमें सुरक्षित रखा जाता है। ऐसे भी वाक्य हुए हैं कि किसी व्यक्तिके कंप्यूटर क्रैश कर गया और उसमें रखा हुआ बिटकॉइनका नंबर पूर्णतया पहुंचके बाहर हो गया। उन्हें उस बिटकॉइनका घाटा लग गया। इसलिए बिटकॉइनका लाभ शुन्य है और हानि पर्यावरण, अपराध और रिस्ककी तीनोंकी है।इन्हीं समस्याओंको देखते हुए रिजर्व बैंकने दो वर्ष पहले अपने देशमें बिटकॉइनपर प्रतिबंध लगा दिया था। बीते वर्ष २०२० में सुप्रीम कोर्टने रिजर्व बैंकके उस प्रतिबंधको गैर-कानूनी घोषित कर दिया इसलिए वर्तमानमें देशमें बिटकॉइनका व्यापार कानूनी ढंगसे किया जा सकता है। लेकिन सरकारको नया कानून लाकर इसे प्रतिबंधित करनेपर विचार करना चाहिए एवं सुप्रीम कोर्टको इसके नुकसानोंको समझना चाहिए जिससे यह हानिप्रद व्यवस्था समाप्त की जा सके।