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- लग्न के इस मौसम में कपड़ा, रेडिमेड, जूता और जेवर की दुकानें अल्टरनेट डे खुलने से खरीदारों को भी हो रहीं परेशानी
- बाजार में अन्य प्रकार की दुकानें स्पष्टता के अभाव में रोज रह रही है खुली
- शहर के मुख्य बाजार में बंदी तो दिखती है लेकिन अंदर मोहल्लों में खुली रह रही हैं दुकानें
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बिहारशरीफ (आससे)। कोविड को लेकर राज्य सरकार के निर्देश के आलोक में इसपर प्रभावकारी नियंत्रण के लिए नालंदा जिला प्रशासन ने बाजार बंदी का दिशानिर्देश जारी किया है। इसके तहत आवश्यक श्रेणी की दुकानों को छोड़कर बाकी श्रेणी की दुकानों को सप्ताह में तीन दिन ही खोला जाना है और इसपर भी अल्टरनेट डे। यह अलग बात है कि इससे परे कई लोग नियमों को ताक पर रखकर आदेश की अस्पष्टता का फायदा उठाते हुए अपनी प्रतिष्ठानें रोज खोल रहे हैं, लेकिन कई ऐसे प्रतिष्ठान जो अल्टरनेट डे खुल रहे हैं, उसकी बंदी लग्न के इस मौसम में लोगों को सता रही है।
जी हां, शादी विवाह के मौसम में कपड़ा, जूता, जेवर, बर्तन की विशेष अहमियत है और शादी की खरीदारी इसी के इर्द-गिर्द घूमती है। लेकिन अल्टरनेट डे बाजार खुलने को लेकर सप्ताह के तीन दिन ये सारी दुकानें बंद हो रही है और खुल रही है। यह संयोग कहे या प्रशासन की सतर्कता ये सारी श्रेणी की दुकानें एक ही कैटेगरी में रखी गयी है, जो सोमवार, बुधवार और शुक्रवार को खुल रही है। ऐसे में शादी-ब्याह की खरीदारी कर रहे लोगों को परेशानी उठानी पड़ रही है। एक ही खरीदारी के लिए कई दिन बाजार आना पड़ता है। हालांकि इस सबसे इतर शादी विवाह में प्रयुक्त होने वाले मौर की दुकानें ना जाने किस श्रेणी में है, लेकिन वह रोज खुल रही है।
इन सबसे अलग हट कर बात करें तो जिला प्रशासन द्वारा जो निर्देश दिया गया है उसके विरुद्ध बिहारशरीफ शहर में कपड़ा, जूता, जेवर, बर्तन को छोड़कर बाकी श्रेणी की दुकानें रोज खुल रही है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव वैसे व्यवसायियों पर पड़ रहा है, जिनकी दुकानें सप्ताह में तीन दिन ही खुल रही है वह भी लग्न के पीक सीजन में। यूं तो ये सारे सामान सालों भर बिकते है, लेकिन लग्न में बिक्री अधिक होती है और व्यवसायी लोग इस सीजन के मुनाफे से सालों भर का घटा-फायदा की पूर्ति करते है। बावजूद इसके ये सारी दुकानें सप्ताह में तीन दिन बंद रह रही है।
छोटे बाजारों की बात करें तो वहां तो कपड़े, जूते की दुकान भी रोज खुल रही है। गुरुवार को ही शहर के अंबेर, राजगीर मोड़, महलपर जैसे इलाके में बंदी के बावजूद कपड़ा, रेडिमेड, जूता-चप्पल और जेवर की दुकानें भी खुली रही। जबकि मुख्य बाजारों में ये सारी दुकान बंद रही। वजह यह कि प्रतिष्ठित व्यवसायी झोल-झमेला से दूर रहना चाह रहे है, लेकिन उनका यह भी मानना है कि अगर बंदी हो तो उसमें समरूपता हो।