पटना

बिहारशरीफ: गैस की बढ़ी कीमत से सिलिंडर हुआ और लाल


    • बढ़ती कीमत और सब्सिडी की स्थिरता ने किचन और वितरक दोनों का सेहत बिगाड़ा
    • अक्टूबर से फरवरी के बीच एलपीजी की कीमत दो सौ रुपये बढ़ा लेकिन सब्सिडी वही पुराना
    • उज्ज्वला योजना के साथ ही शहर एवं गांव के मध्यमवर्गीय परिवार हो रहे हैं गैस से विमुख
    • शहरी क्षेत्र में 25 फीसदी तो ग्रामीण क्षेत्र में 40 फीसदी तक गैस की बिक्री में आयी गिरावट

-डॉ॰ कौशलेन्द्र-

बिहारशरीफ (आससे)। रोज बढ़ रहे रसोई गैस की कीमत से आम लोग परेशान है। गरीब एवं मध्यम वर्गीय परिवारों को गैस की बढ़ी कीमत खून के आंसू रूला रहा है। रोज गैस का कीमत बढ़ रहा है, लेकिन गैस के बदले में सरकारी के द्वारा मिलने वाली सब्सिडी का लाभ लाभुकों नहीं बढ़कर आ रहा है। इस वजह से जहां एलपीजी उपभोक्ता तबाह है। वहीं व्यवसाय से जुड़े वितरक भी परेशान है।

फरवरी माह में एलपीजी की कीमत में तीन बार इजाफा हुआ। 25 रुपये की दर से तीनों बढ़ोतरी हुई। पहली बढ़ोतरी चार फरवरी को, दूसरी बढ़ोतरी 14 फरवरी को एवं तीसरी बढ़ोतरी 24 फरवरी को हुई। इस प्रकार एक महीने में एलपीजी की कीमत में 75 रुपये की बढ़ोतरी हुई, लेकिन सब्सिडी एक रुपया भी नहीं बढ़ा। इसके पहले जनवरी माह में एलपीजी की कीमत में दो बार बढ़ोतरी हो चुकी है। और, जनवरी माह में भी एलपीजी की कीमत 25-25 की दर से 50 रुपया बढ़ा है।

बताते चलें कि अक्टूबर महीने तक एलपजी की कीमत के हिसाब से सरकार द्वारा उपभोक्ताओं को बैंक खाते में सब्सिडी दी जाती थी। गैस की कीमत बढ़ती थी तो सब्सिडी की राशि बढ़ाकर दी जाती थी। और, जब गैस की कीमत घटती थी तो सब्सिडी की राशि कम होती थी। अक्टूबर 2020 में एलपीजी की कीमत 693 रुपया था और तब उपभोक्ताओं के बैंक खाते में 79.26 रुपया मिलता था।

अब फरवरी माह में भी एलपीजी की कीमत 893 रुपया है, लेकिन सब्सिडी की राशि वही 79.26 रुपया है। यानि कि डीबीटीएल से जुड़े उपभोक्ताओं को प्रतिमाह दो सौ रुपये प्रति सिलिंडर कम की सब्सिडी मिल पा रही है। यही हाल नवादा जिले की भी है। नवादा में एलपीजी की कीमत नालंदा के मुकाबले एक रुपया कम है और सब्सिडी की राशि नालंदा के बराबर ही है।

पिछले दिनों लोकसभा में पेट्रोलियम मंत्री ने बयान दिया था कि मार्च 2021 तक एलपीजी सब्सिडी में कोई बदलाव नहीं आयोगा। वजह बताया था कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत बीपीएल परिवों को कोरोना काल में दिये गये तीन मुफ्त एलपीजी सिलिंडर में इस वर्ष की बजट की राशि समाप्त हो गयी है। अब नये प्रावधान के तहत अप्रैल माह से ही सब्सिडी की राशि में बढ़ोतरी या कमी संभव है।

बताते चलें कि नालंदा जिले में कुल 55 गैस एजेंसियां है, जिसके माध्यम से जिले के चार लाख 80 हजार 925 परिवारों को एलपीजी की आपूर्ति की जा रही है। इनमें से 100745 उज्ज्वला गैस कनेक्शनधारी है जबकि 290180 सामान्य ग्राहक है। उज्जवला योजना के ग्राहकों को सरकार ने मुफ्त में एलपीजी का गैस सिलिंडर और रेगूलेटर दिया था, लेकिन पहले सिलिंडर का गैस और चूल्हा किस्तों पर दी गयी थी।

किस्त की यह राशि प्रतिमाह बैंक खाते में आने वाली सब्सिडी से एडजस्ट होनी थी। स्थिति यह है कि अधिकांश ग्राहकों का एलपीजी का लोन जो सरकार ने दी थी वह एडजस्ट नहीं हो सका है। वजह यह है कि सब्सिडी की राशि इतनी कम है और गैस की कीमत अधिक है। ऐसे में उज्ज्वला ग्राहक न्यूनतम गैस की खरीद कर रहे है और एक खरीद के बाद 100 रुपये से कम की राशि हीं एडजस्ट हो पा रहा है।

लॉकडाउन के दौरान सरकार ने तीन मुफ्त गैस सिलिंडर दिया और यह भी वजह रही कि उज्ज्वला के ग्राहक गैस सिलिंडर अभी नहीं खरीद पा रहे है। जिले के प्रायः उज्ज्वला ग्राहक कहीं ना कहीं रोजगार के लिए पलायन भी कर रखे है और इस वजह से भी गैस का उठाव नहीं हो रहा है। दूसरी ओर गैस एजेंसी संचालकों की मानें तो ग्राहकों के हिसाब से तेल कंपिनियों द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर और कर्मी बढ़ाया गया, लेकिन उज्जवला ग्राहकों द्वारा एलपीजी का उठाव कम हो जाने से पूरी इंफ्रास्ट्रक्चर धरी की धरी रह जा रही है और इसके बदले में प्रतिमाह बैंकों का ईएमआई देना पड़ रहा है। साथ हीं कर्मियों का वेतन भी। ऐसे में तेल कंपनियों का दबाव अलग से होता है कि बिक्री बढ़ाये, लेकिन हकीमत यह है कि बढ़े हुए कीमत में सामान्य उपभोक्ता भी अल्टरनेट फ्यूल अर्थात गोईठा, कोयला और बिजली चूल्हों पर शिफ्ट कर रहे है।

बताते चलें कि नालंदा जिले में भारत पेट्रोलियम के 27, डिस्ट्रीब्यूटरों के माध्यम से 11628 उज्ज्वला, 149410 सामान्य सहित 261038 गैस उपभोक्ता है, जबकि एचपीसीएल के 11 एजेंसियों के माध्यम से 47620 उज्जवला, 60150 सामान सहित कुल 115779 गैस उपभोक्ता है जबकि आईओ सीएल के 17 डिसट्रीब्यूटरों के माध्यम से  उज्जवला के 31488 तथा सामान्य 77620 सहित कुल 104108 ग्राहक जुड़े हुए है।

पड़ोसी जिला नवादा की बात करें तो यहां कुल 34 गैस एजेंसियों के माध्यम से 150791 उज्ज्वला, 205938 सामान्य सहित 356729 ग्राहक एलपीजी का उपयोग करते है, जिसमें बीपीसीएल के 16 डिस्ट्रीब्यूटरों के माध्यम से 89911 उज्ज्वला, 86194 सामान्य सहित कुल 178105 एचपीसीएच के आठ एजेंसियों के माध्यम से पीएमयूवाई के 37409, सामान्य 76464 सहित कुल 113873, आईओसीएल के 10 डिस्ट्रीब्यूटर के माध्यम से पीएमयूवाई के 23471, सामान्य 41280 सहित कुल 64751 ग्राहक है।

हाल में पेश हुए बजट में फिर से एक करोड़ लोगों को पीएमयूवाई के तहत एलपीजी देने की बात कही गयी है, लेकिन सवार उठता है कि जब सब्सिडी हीं नहीं मिल पा रही है तो मुफ्रत वाला गैस कनेक्शन आने वाले दिनों में लोगों के लिए कितनी राहत पहुंचा पायेगी, कह पाना मुश्किल है। गैस एजेंसी संचालकों की मानें तो गैस की कीमत बढ़ने से शहरी क्षेत्र में 30 फीसदी और ग्रामीण क्षेत्र में 40 फीसदी तक बिक्री में गिरावट आयी है।

निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री का स्वच्छ और धुआंरहित किचन का दावा और सपना गैस की बढ़ी कीमत ने चकनाचूर कर दिया है। एलपीजी की कीमत इसी तरह बढ़ती रही और सब्सिडी नहीं बढ़ाई गयी तो आने वाले दिनों में निश्चित तौर पर लोग अल्टरनेट फ्यूल से जुड़ेंगे।