पटना

पटना: करोड़ों बच्चों की पढ़ाई पर फिर लगा कोरोना का ग्रहण


80 हजार सरकारी स्कूलों में आगे बढ़ेगी कैचअप कोर्स की पढ़ाई की तिथि

(आज शिक्षा प्रतिनिधि)

पटना। राज्य में नया शैक्षिक सत्र शुरू होने के साथ ही करोड़ों बच्चों की क्लासरूम की पढ़ाई पर एक बार फिर कोरोना का ग्रहण लग गया है। इससे तकरीबन 80 हजार सरकारी स्कूलों में 2री से 10वीं कक्षा में पहुंचे तकरीबन पौने दो करोड़ बच्चों की सोमवार (पांच अप्रैल) से कैचअप कोर्स की पढ़ाई शुरू नहीं हो पायेगी।

राज्य में प्रति कार्यदिवस 50 फीसदी बच्चों की उपस्थिति के साथ 1ली से 5वीं  कक्षा के बच्चों की क्लासरूम पढ़ाई स्कूलों में 352 दिनों बाद एक मार्च को शुरू हुई थी। पढ़ाई शुरू हुए 35 दिन ही गुजरे थे। इससे इतर 6ठी से 8वीं कक्षा के बच्चों की क्लासरूम पढ़ाई प्रति कार्यदिवस 50 फीसदी उपस्थिति के साथ ही शुरू हुए भी अभी 55 दिन ही गुजरे थे। रही बात 9वीं से 12वीं कक्षा के बच्चों की क्लासरूम पढ़ाई की, तो प्रति कार्यदिवस 50 फीसदी उपस्थिति के साथ उनकी पढ़ाई शुरू हुए 62 दिन गुजरे थे। हालांकि, प्रति कार्यदिवस 33 फीसदी उपस्थिति के साथ 9वीं से 12वीं के छात्र-छात्राओं की क्लासरूम पढ़ाई ‘मागदर्शन कक्षा’ के नाम पर पहले से ही चल रही थी।

कोरोनाकाल में बच्चों को हुई पढ़ाई की क्षति का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि संक्रमण से बचाव को लेकर पिछले साल यानी वर्ष 2020 के 13 मार्च को तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक के लिए तमाम शिक्षण संस्थान बंद करने का फैसला राज्य सरकार ने लिया था। उसके अगले दिन से सभी शिक्षण संस्थान बंद हो गये थे। 22 मार्च को राष्ट्रीय स्तर पर जनता कर्फ़्यू लगा था। और, उसके एक दिन बाद पूरे देश में लॉकडाउन लागू हुआ था। स्कूली छात्र-छात्राओं की परीक्षाएं भी लॉकडाउन में फंस गयीं थीं।

इसलिए कि, सरकारी स्कूलों के 1ली से 8वीं कक्षा की परीक्षाएं मार्च के अंतिम हफ्ते में थीं। 9वीं एवं 11वीं कक्षा की परीक्षाएं भी नहीं हुईं थीं। चूंकि, अगले माह यानी अप्रैल से नया शैक्षिक सत्र शुरू होना था, इसलिए 1ली से 9वीं एवं 11वीं कक्षा के छात्र-छात्रा बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा के लिए प्रमोट कर दिये गये थे। अनलॉक फेज-वन शुरू हुआ, तो सरकारी प्राइमरी-मिडिल स्कूलों में मिड डे मील के अनाज बंटने शुरू हुए थे।

अनलॉक के अगले चरण में स्कूलों में 5वीं एवं 8वीं कक्षा से प्रमोट हुए बच्चों के क्रमश: 6ठी एवं 9वीं कक्षा में दाखिले के लिए टीसी बनने शुरू हुए थे। बाद में बच्चों का दाखिला भी शुरू हुआ। 11वीं कक्षा में भी बच्चों के दाखिले शुरू हुए। 28 सितंबर से स्कूलों में 9वीं से 12वीं कक्षाओं के क्लासरूम के ताले प्रतिदिन 33 फीसदी छात्र-छात्राओं के लिए मागदर्शन कक्षा के नाम पर खुल गये।

उसके बाद चार जनवरी से हर कार्यदिवस को अधिकतम 50 फीसदी छात्र-छात्राओं की उपस्थिति के साथ 9वीं से 12वीं कक्षा की पढ़ाई शुरू हुई। आठ फरवरी से हर कार्यदिवस को 50 फीसदी बच्चों की उपस्थिति के साथ 6ठी से 8वीं कक्षा की पढ़ाई के लिए भी स्कूल खुल गये। उसके बाद एक मार्च से प्रति कार्यदिवस 50 फीसदी उपस्थिति के साथ ही 1ली से 5वीं कक्षा के बच्चों के लिए भी स्कूल खोल दिये गये।

हालांकि, ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था तो की गयी, लेकिन वह स्कूली बच्चों  के लिए क्लासरूम की जगह नहीं ले पायी। इसके मद्देनजर 1ली से 8वीं कक्षा के बच्चे पिछले साल यानी वर्ष 2020 की तरह ही इस साल भी बिना परीक्षा के ही अगली कक्षा के लिए प्रमोट किये गये। नया शैक्षिक सत्र एक अप्रैल से शुरू हो चुका है। 1ली से 8वीं कक्षा के बच्चे प्रमोट होकर क्रमश: 2री से 9वीं कक्षा में पहुंच चुके हैं। 9वीं कक्षा के बच्चे भी परीक्षा से 10वीं कक्षा में पहुंच चुके हैं।

क्लासरूम पढ़ाई की क्षति की भरपाई के लिए ही 2री से लेकर 10वीं कक्षा के तकरीबन पौने दो करोड़ बच्चों की सोमवार से कैचअप कोर्स की पढ़ाई होनी थी। इसके तहत बच्चों को जून तक के 60 कार्यदिवस में पुरानी कक्षा के पाठ पढ़ाने की योजना पर अमल होना था। लेकिन, कोरोना ने पांव इस कदर पसारने शुरू किये कि सरकार को एक बार फिर स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी-कोचिंग सहित तमाम शिक्षण संस्थानों को 11 अप्रैल तक बंद रखने के लिए विवश होना पड़ा। बहरहाल, उस दिन तक क्या स्थिति बनती है, उस आधार पर ही यह तय होगा कि 11 अप्रैल के बाद शिक्षण संस्थान खुलेंगे या नहीं।