पटना

बिहारशरीफ: ग्रामीणों ने किया संत आश्रम न्यास समिति का चुनाव, एसडीओ ने कहा फर्जी


चयनित लोगों ने कहा धार्मिक न्यास बोर्ड के मौखिक आदेश पर कमेटी गठित लेकिन धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा यहां कुछ मौखिक नहीं

बिहारशरीफ (आससे)। संत बाबा आश्रम परिसर में आज एक बैठक हुई, जिसमें संत आश्रम न्यास समिति कार्यकारिणी का गठन किया। लेकिन अनुमंडल पदाधिकारी ने इसे फर्जी करार दिया है। मंगलवार को संत आश्रम में 11 सदस्यीय संत आश्रम न्यास समिति कार्यकारिणी का गठन हुआ जिसमें डोमन यादव को अध्यक्ष, रंजीत कुमार को सचिव, सुरेश प्रसाद सिंह को उपाध्यक्ष, सरयुग नारायण वर्मा को कोषाध्यक्ष के साथ ही अन्य सदस्यों को कार्यकारिणी में शामिल किया गया। उनमें दिनेश कुमार, सुरेंद्र कुमार, बुंदेल मिस्त्री, पिंटू कुमार, ललिता देवी, शिवालक यादव, रणधीर कुमार शामिल है।

अध्यक्ष डोमन यादव ने बताया कि चुनाव में काफी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया और विधिवत चुनाव कराया गया। उपाध्यक्ष सुरेश प्रसाद ने बताया कि धार्मिक न्यास बोर्ड ने मौखिक आदेश देकर कार्यकारिणी का गठन करने को कहा था, लेकिन धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष अखिलेश कुमार जैन ने कहा कि धार्मिक न्यास कोई भी आदेश लिखित देता है। मौखिक कोई आदेश नहीं चलता। इधर बिहारशरीफ के अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं दी गयी है। ऐसे में कार्यकारिणी गठित होने की कोई बात हीं नहीं है।

इधर दूसरी ओर नवगठित कमेटी ने कहा कि मंदिर में भक्तों के लिए बेहतर व्यवस्था नहीं है। रात में आये भक्तों को ठहरने की कोई साधन नहीं है। ऐसे में नई कमेटी की प्राथमिकता मंदिर परिसर का विकास करना होगा। जन सहयोग एवं जनप्रतिनिधियों से सहयोग ली जायेगी ताकि बाहर से आने वाले भक्तों को ठहरने की मुकम्मल व्यवस्था हो। अतिक्रमण हटाने के लिए अभियान चलेगा। 1-81 एकड़ गैरमजरूआ जमीन है, जिसे दबंगों ने कब्जा कर रखा हैं। इसे अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए भी अभियान चलेगा।

बताते चले कि फरवरी 2020 में तत्कालीन अनुमंडल पदाधिकारी न्यास बोर्ड के आदेश के आलोक में कमेटी भंग कर दी थी। इसके बाद नये सिरे से कमेटी का गठन किया गया था। अवैध कमेटी के खिलाफ बिहार थाना में मुकदमा दर्ज हुआ था। बताते चले कि संत आश्रम में आने वाली चढ़ावा और संपत्ति ही विवाद का कारण है। यही वजह है कि स्वतः कमेटियां लोग बनाते रहे है। अब देखना यह होगा कि नयी कमेटी को धार्मिक न्यास बोर्ड स्वीकृति देती है या नहीं।