पटना

बिहारशरीफ: जिले के 80 फीसदी लोगों का अभी भी नहीं बना है गोल्डेन कार्ड


2 लाख 87 हजार लोगों के पास है कार्ड, जिनमें 5050 लोगों ने सरकारी और 192 लोगों ने निजी अस्पताल में कराया है निःशुल्क इलाज 

बिहारशरीफ (आससे)। जिले में महज 19.75 फीसदी लोग यानि दो लाख 87 हजार लोगों के पास ही गोल्डेन कार्ड है। इनमें से महज 11 हजार 242 लोगों ने इस कार्ड से अपना इलाज कराया है। इनमें से 5050 लोगों ने सरकारी तो 6192 लोगों ने इलाज के लिए निजी क्लिनिक का सहारा लिया। अभी भी जिले के अस्सी फीसदी लोग इस कार्ड से वंचित हैं।

जिले में 14 लाख 58 हजार 956 लोगों का गोल्डेन कार्ड बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए कई बार कैंप व विशेष अभियान चलाया जा चुका है। अब तो पंचायत सरकार भवन के लोक सेवाओं का अधिकार (राइट टूपब्लिक सर्विसेज-आरटीपीएस) काउंटर पर भी योग्य लाभार्थियों का कार्ड बनाया जा रहा है। आयुष्मान भारत योजना की सदर अस्पताल के सभागार में सोमवार को समीक्षा की गयी। इसमें सीएस डॉ॰ सुनील कुमार ने कहा कि कार्ड रहने से कार्डधारी इससे संबद्ध निजी क्लिनिकों में जाकर पांच लाख रुपए तक का इलाज करवा सकेंगे।

आरटीपीएस काउंटर पर गोल्डेन कार्ड मुफ्त बनाया जा रहा था। जबकि, कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) परकार्ड बनाने के लिए लाभार्थी को 30 रुपए प्रति कार्ड देने होते थे। अब जिला के सभी 633 सीएससी परबिल्कुल मुफ्त ही लोगों का गोल्डेन कार्ड बनाया जा रहा है। वहीं से वे कुछ दिन बाद कार्ड भी ले सकेंगे। गोल्डेन कार्डधारी नालंदा के 11 निजी क्लीनिकों में बिना पैसे दिए अपना इलाज करा सकेंगे।

आयुष्मान भारत की जिला कार्यक्रम समन्वयक शबनम ने बताया कि सभी आरटीपीएस काउंटरों पर गोल्डेन कार्ड बनाया जा रहा है। लाभार्थी पीएम की पाती या आशा कार्यकर्ता के माध्यम से इन केंद्रों पर जाकर अपना कार्ड बनवा सकती है। इस कार्ड के बन जाने पर एक परिवार पांच लाख रुपए तक का इलाज अपनी सुविधानुसार सरकारी या इससे संबद्ध निजी क्लीनिकों में अपना इलाज करवा सकते हैं। समीक्षा बैठक में एसीएमओ डॉ॰ विजय कुमार सिंह, डीआईओ डॉ॰ राजेंद्र चौधरी, डॉ॰ राम मोहन सहाय, डीएस डॉ॰ सुजीत कुमार अकेला, डॉ॰ राजीव रंजन, डॉ॰ अरविंद कुमार, डॉ॰ संध्या, हेल्थ मैनेजर हेमंत कुमार, कुणाल कुमार व अन्य मौजूद थे।