-
-
- रविवार से शुरू होकर रविवार को समाप्त होने वाली श्रावण मास में पड़ रहा है चार सोमवारी
- शहरी क्षेत्र में मंदिरों में आम लोगों का प्रवेश है निषेध ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को पूजा करने का मिल सकेगा अवसर
- इस वर्ष फिर श्रद्धालुओं को रहना पड़ेगा कांवर यात्रा से वंचित
-
बिहारशरीफ (आससे)। श्रावण मास की पहली सोमवारी आगामी कल यानी 26 जुलाई को है। हालांकि इस वर्ष लोगों को निराशा हाथ लगेगी। खासकर शहरी क्षेत्र में। वजह यह है कि कोविड गाइडलाइन के प्रावधान के तहत मंदिरों में आम लोगों का प्रवेश प्रतिबंध्ति है। सिर्फ पुजारी को ही मंदिर में पूजा करने की इजाजत है।
इस वर्ष श्रावण मास में चार सोमवारी पड़ रही है। महीने की शुरुआत रविवार को हुई है और समापन भी रविवार को होगा। श्रावण मास में देवों के देव महादेव की पूजा की विशेष महत्ता रही है। इस दौरान भक्तजन मंदिरों और शिवालय में शिवलिंग पर बेलपत्र और जल अर्पित करते है। मान्यता है कि बेलपत्र और जल चढ़ाने से भगवान भोले की असीम कृपा बरसती है। इसके साथ ही सोमवार को पूजा की विशेष महत्ता होती है। खासकर महिलाएं एवं युवतियां पूरा दिन उपवास रखकर शाम में सोमवारी पूजा करती है और भगवान शिव को जल, पफूल और बेलपत्र अर्पित करती है।
हालांकि कोविड गाइडलाइन के प्रावधान के तहत इस बार मंदिरों में जाकर जल और बेलपत्र अर्पित करना प्रतिबंध्ति है। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र के मंदिरों में पूजा-अर्चना हो रही है। ऐसे में लोग सहजता से सोमवारी पूजा कर सकेंगे, लेकिन शहरी क्षेत्र के मंदिर में प्रवेश पर रोक है। ऐसे में सोमवारी पूजा मुश्किल है। गत वर्ष भी भक्तजन श्रावणी और सोमवारी पूजा से वंचित रहे थे। कोविड को लेकर लोग मंदिर नहीं पहुंच सके थे।
इन सब के अलावे जिले के कई शिवालयों में भक्तजन गंगाजल कांवर में लाकर भगवान भोले पर अर्पित करते थे, लेकिन इस बार कांवर यात्रा भी प्रतिबंध्ति है। इसके अलावे हजारों की संख्या में लोग कांवर लेकर सुल्तानगंज से वैद्यनाथ धाम तक जाते थे, लेकिन इस वर्ष कांवर यात्रा करने वाले लोगों को फिर निराशा हाथ लगेगी। वजह यह है कि बिहार और झारखंड दोनों सरकारें कोविड को लेकर कांवर यात्रा पर रोक लगा रखी है।