बिहारशरीफ (आससे)। भगवान महावीर की जन्मभूमि कुंडलपुर दिगंबर जैन समिति नंद्यावर्त महल में स्थापित भगवान महावीर की अवगाहना प्रमाण प्रतिमा का अर्न्तमना साधना महोदधि आचार्य श्री प्रसन्नसागर जी महाराज के सान्निध्य में हुआ। इसके तहत पंचामृत महामस्तिकाभिषेक अष्टान्हिक महापर्व के तहत आचार्य के पावन सान्निध्य में सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन चल रहा था, जिसकी आज पूर्णाहूति संपन्न हुआ। सप्तरंगी महामस्तकाभिषेक के साथ अष्टान्हिक महापर्व का समापन हुआ।
इस अवसर पर जैन श्रद्धालुगण सिद्ध भगवंतों की भक्ति करते है एवं क्रम क्रम से इन आठ दिनों में 8, 16, 32, 128, 256, 500, 512 और 1024 अर्घ्य मंडल पर समर्पित करते है। सिद्ध भगवंतों की भक्ति से सिद्ध होते है। इस भावना के साथ देश के अंदर सिद्धचक्र महामंडल विधान किया जाता है।
भगवान महावीर की अवगाहना प्रमाण प्रतिमा का महामस्तिकाभिषेक के कलश करने का सौभाग्य मुंबई के दर्शना अमित बड़जात्य एवं नारियल के रस से विनय जैन नावदिया, उदयपुर, पवन कुमार छावड़ा रांची, अजीत जैन जयपुर, मोहन कैटरर्स आगरा, राजू रेखा जैन जयपुर, विनय जैन नवडीहा, लालचंद अमित बड़जात्य मुंबई, रितेश छावड़ा जयपुर, अजय सेठी धुलियान, विमला हुकूमचंद पहाड़िया दिसपुर, अमित जैन मंबई, सुनील जैन, आलोक जैन, डॉ. सुशील जैन, पिंकी जैन, सौभाग्य सुभाष, रिषभ, कविता चूड़िवाल को महामस्तिकाभिषेक का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
कुंडलपुर दिगंबर जैन समिति के मंत्री विजय कुमार जैन ने बताया कि भक्तों की भक्ति में होली के रंग प्रभुवीर के उपर देखने को मिले। सभी भक्तों ने भगवान महावीर का अनेक रंगीन द्रव्यों से अभिषेक करके होली मनायी। आरती के बाद भक्तों ने एक-दूसरे को गुलाल लगाकर होली एवं अष्टान्हिक महापर्व का समापन किया। कार्यक्रम विधि विधान पूर्वक संपन्न कराने में कमलेश जैन वाराणसी, सुशील जैन मैनपुरी का महत्वपूर्ण योगदान रहा, जबकि मुनि श्री पियूष सागर जी महाराज एवं ऐलक पर्वसागर जी महाराज का सान्निध्य प्राप्त हुआ।