पटना

बिहारशरीफ: स्वास्थ्य विभाग के संविदा कर्मियों के हड़ताल से कोविड उन्मूलन कार्यक्रम पर पड़ा व्यापक असर


  • अन्य दिनों की अपेक्षा साढ़े चार फीसदी वैक्सीनेशन और नौ फीसदी ही हो सका टेस्टिंग
  • अपनी नौ सूत्री मांगों को लेकर संविदा स्वास्थ्य कर्मी है बुधवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर

बिहारशरीफ (आससे)। बिहार में आज से संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों का हड़ताल शुरू हो गया है, जिससे कोविड जैसे महामारी के समय में परेशानियां हीं परेशानियां सामने आ रही है। संविदा कर्मियों के हड़ताल के पहले दिन हीं मिशन कोरोना उन्मूलन को व्यापक झटका लगा है। कोविड वैक्सीनेशन और कोविड टेस्टिंग जैसे कोविड नियंत्रण के दो महत्वपूर्ण प्रयासों को हड़ताल से व्यापक झटका लगा है।

बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ, अखिल भारतीय फार्मासिस्ट एसोसिएशन, आयुष मेडिकल सर्विसेज एसोसिएशन तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ के बैनर तले संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मी आज से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये है, जिसके कारण जिले में कोविड टेस्टिंग तथा कोविड वैक्सीनेशन जैसे कार्यक्रमों को व्यापक झटका लगा है।

जिले में इन दिनों 18 वर्ष से अधिक के लोगों का वैक्सीनेशन किया जा रहा है, जिसको लेकर लोगों में जबरदस्त उत्साह है। लोग रोज अपना निबंधन करा रहे है और निर्धारित केंद्रों पर जाकर वैक्सीनेशन करवा रहे है। प्रतिदिन लगभग चार-पांच हजार युवा वैक्सीनेशन का लाभ ले रहे थे, जबकि अन्य आयु वर्ग के लोगों को मिलाकर जिले में प्रतिदिन सात हजार के करीब लोग कोविड का वैक्सीन ले रहे थे।

लेकिन संविदा कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण बुधवार को जिले में लगभग 320 लोगों का ही वैक्सीनेशन हो सका। वह भी 18 वर्ष या उससे अधिक के लोगों को बाकी लोगों को निराशा ही हाथ लगी। 18 वर्ष के युवा विभिन्न केंद्रों पर से नाराज होकर लौटते दिखे। लोग जहां गांव-ग्राम से आये थे वहीं कई लोग पटना आदि से वैक्सीन लेने पहुंचे थे। ऐसे लोग निराश होकर लौटे है।

हालांकि संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मी पहले से हीं यह अनाउंस कर रखे थे कि वे लोग अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जायेंगे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुकम्मल व्यवस्था नहीं की गयी। स्थायी कर्मचारी और चिकित्सकों की लंबी-चौड़ी फौज के बावजूद और दिनों की अपेक्षा जिले में मात्र तीन फीसदी लोगों को ही वैक्सीनेट किया जा सका। इसके अलावे जिले में प्रतिदिन तीन हजार लोगों को कोविड टेस्टिंग का लक्ष्य निर्धारित है। आरटीपीसीआर, ट्रू नेट तथा एंटीजन किट से प्रतिदिन लक्ष्य से अधिक लोगों का टेस्टिंग हो रहा था।

मुख्यमंत्री ने ही घोषणा कर रखी है कि जितनी अधिक टेस्टिंग होगी इस महामारी पर उतना जल्दी लगाम लगेगा, लेकिन संविदा कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने के कारण जिले में महज ढाई सौ के करीब लोगों का ही बुधवार को कोविड टेस्टिंग हो सका, जो लक्ष्य का नौ फीसदी के करीब रहा।

संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों का यह हड़ताल आगे भी कंटीन्यू करने जा रहा है, लेकिन अब तक की जो स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था है उससे यह नहीं लग रहा है कि वैक्सीनेशन और टेस्टिंग का लक्ष्य कल भी हासिल किया जा सकेगा। जिले में 250 के करीब संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मी है।

संविदा पर बहाल स्वास्थ्य कर्मियों की मांग यह है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत राज्य स्तर, चिकित्सा महाविद्यालय स्तर, प्रमंडल स्तर, जिला स्तर, अनुमंडल स्तर एवं प्रखंड स्तर के साथ-साथ स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर पर कार्यरत विभिन्न कोटि के संविदा कर्मियों और पदाधिकारियों के मानदेय का पुनरीक्षण का शत-प्रतिशत बढ़ोतरी की जाय।

कोविड-19 की भयावहता के बीच कार्य कर रहे संविदा कर्मी एवं आउटसोर्सिंग के तहत कार्य कर रहे कर्मियों के लिए तत्काल 50 लाख रुपये बीमा की सुविधा उपलब्धा करायी जाय और दिवंगत साथियों के आश्रितों को तत्काल संबंधित राशि उपलब्ध करायी जाय।

संविदा कर्मियों ने यह भी मांग की है कि मुख्यमंत्री द्वारा कोरोना काल में मृत्यु हो जाने के उपरांत घोषित की गयी पारिवारिक पेंशन आश्रितों को नौकरी एवं अन्य सुविधा का अक्षरशः स्वास्थ्य संविदा कर्मियों के लिए तत्काल प्रभाव से लागू किया जाय। इसी तरह नौ सूत्री मांगों को लेकर बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ हड़ताल पर है।