पटना

बिहार की तर्ज पर पिछड़ा-अतिपिछड़ा को केन्द्र में मिले आरक्षण : मुख्यमंत्री


जातीय आधार पर जनगणना के लिए प्रस्ताव भेजेगी सरकार

पटना (आससे)। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार की तर्ज पर केंद्र सरकार में भी पिछड़ों और अति पिछड़ों को आरक्षण देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि बिहार में अगली जनगणना जातीय आधार पर होनी चाहिए। राज्य सरकार इसके लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजेगी।

मुख्यमंत्री, बुधवार को जद यू कार्यालय परिसर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र में भी बिहार का आरक्षण फार्मूला लागू होना चाहिए। बिहार में पिछड़ा वर्ग के अंदर भी अति पिछड़ा वर्ग को चिह्नित कर आरक्षण दिया गया है। राज्य में कर्पूरी ठाकुर की सरकार ने सबसे पहले जो व्यवस्था की थी, वो आज भी चली आ रही है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि केंद्र में भी बिहार का आरक्षण फॉर्मूला लागू हो। केंद्र में अभी सिर्फ पिछड़ा वर्ग को ही रखा गया है, जबकि बिहार में पिछड़ा वर्ग के अंदर भी अति पिछड़ों को आरक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्र और बिहार में आरक्षण के पहले से लागू प्रावधानों में कोई छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।

आकलन, सर्वे या बहस चल रही है तो वो हो लेकिन किसी को आरक्षण से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब तो आर्थिक आधार पर भी आरक्षण दिया जा रहा है। जो अनुसूचित जाति, जनजाति के नहीं हैं उन्हें भी आरक्षण मिल रहा है। फिर आरक्षण खत्म करने या इसके प्रावधान में संशोधन करने का सवाल ही कहां उठता है।

मुख्यमंत्री ने जाति आधारित जनगणना की भी मांग की। उन्होंने कहा कि पहले यह होता था। इधर, कई सालों से यह नहीं हो रहा है। सिर्फ मैं ही नहीं पूरी विधानसभा और विधान परिषद ने जाति आधारित जनगणना कराने की मांग केंद्र सरकार से की है। अब यह हो जाना चाहिए। जरूरी है कि सही जानकारी सबके सामने आए। इससे यह भी पता चलेगा कि किस जाति के लिए क्या करने की जरूरत है।

इसके पहले बुधवार को जनता दल यू के प्रवक्ता अजय आलोक ने कहा था कि किसी की भी दो पीढ़ी को लगातार आरक्षण नहीं मिलना चाहिए। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कहा कि हम तो चाहते हैं कि निजी क्षेत्रों और न्यायपालिका में भी आरक्षण लागू हो।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसके पहले बिहार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर जवाब देते हुए भी जातिगत आधार पर जनगणना के लिए प्रस्ताव भेजने की बात कही थी। विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति में पुराने रोस्टर को बहाल करने के मुद्दे का भी उन्होंने समर्थन किया था। उन्होंने कहा था कि इन दोनों मुद्दों पर पक्ष और विपक्ष एक मत है। ये सब ऐसे मुद्दे हैं जिन पर समय निकालकर एक साथ सदन में चर्चा करनी चाहिए।

यही नहीं सदन का प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास जाना चाहिए। जो पहले का प्रावधान है वही रहना चाहिए क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय के फ़ैसले के बाद अगर विभागवार नियुक्ति का सिलसिला शुरू हुआ तो इसका बहुत बड़ा नुकसान अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़े वर्ग के प्रत्याशियों को उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि बिहार में लोक सेवा आयोग द्वारा शिक्षकों की नियुक्तियां पुराने रोस्टर और पुरानी प्रक्रिया के तहत ही की जा रही हैं।

जातिगत आरक्षण का समर्थन करते हुए सीएम नीतीश ने कहा कि जब तक जाति आधारित जनगणना नहीं होती तब तक पिछड़े या अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों के वर्तमान आरक्षण की सीमा को बढ़ाया नहीं जा सकता है। एक बार जातिगत जनगणना हो जाय तो पूरे देश में एक नियम, एक क़ानून बनाया जाना चाहिए कि आरक्षण आबादी के अनुसार मिलेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अनारक्षित वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर 10 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। इसका किसी को विरोध नहीं करना चाहिए। यह किसी के आरक्षण में कोई हस्तक्षेप नहीं है। अलग से आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है।