पटना

बिहार में जल्द होगी स्वास्थ्य कर्मियों की बहाली : मंगल


पटना (आससे)। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि राज्य में अभी विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी के 3706 व सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी के 2632 पद रिक्त हैं। खाली पदों पर बहाली के लिए सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से बिहार तकनीकी सेवा आयोग को अधियाचना भेजी जा चुकी है। वहीं, स्टाफ नर्स ग्रेड ए के रिक्त पदों की संख्या 9130 पर चयन हेतु भेजी गई अधियाचना के विरुद्ध अब तक 5096 नर्स ग्रेड ए की अनुशंसा प्राप्त हुई। इनकी पदस्थापना विभिन्न संस्थानों में की गई है।

मंगलवार को विधान परिषद में रामबली सिंह के तारांकित प्रश्न के जवाब में स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि बिहार तकनीकी सेवा आयोग की अनुशंसा के आलोक में जुलाई 2020 से सितम्बर 2020 तक 929 विशेषज्ञ चिकित्सा पदाधिकारी व 3186 सामान्य चिकित्सा पदाधिकारी की नियुक्ति कर विभिन्न स्वास्थ्य सेवा संस्थानों में पदस्थापित किया गया है। एएनएम के खाली पदों के विरुद्ध 6480 अभ्यर्थियों की अनुशंसा प्राप्त हुई। इसमें से नियमित नियुक्ति के लिए 6293 को जिला आवंटित कर दिया गया है।

एएनएम के खाली पदों पर बहाली के लिए रोस्टर क्लियरेंस का काम जारी है। पारा मेडिकल स्टाफ में फर्मासिस्ट के 1539, शल्य कक्ष सहायक के 1096, इसीजी के 803 पदों के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को अधियाचना भेजी गई है। प्रयोगशाला प्रावैधिक के 1772 पदों पर नियुक्ति के लिए  कर्मचारी चयन आयोग कार्रवाई कर रहा है। 181 शल्य कक्ष सहायकों की नियुक्ति की गई है।

राधाचरण साह के अल्पसूचित प्रश्न के जवाब में मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत बहाल होने वाले विशेषज्ञ चिकित्सक के 814 में से 113, सामान्य चिकित्सक के 915 में 289, आयुष चिकित्सक के 3021 में 2564, दंत चिकित्सक के नौ में सात उपलब्ध हैं। जबकि स्टाफ नर्स में 5236 में 421, एएनएम में 10841 में 2108, लैब टेक्निशियन के 750 में से 486, फॉर्मासिस्ट के 919 में से 598, फिजियोथेरेपिस्ट के 119 में 119 तो प्रबंधकीय व अन्य पदों में 6427 में से 3383 पदों पर स्वास्थ्य कर्मी उपलब्ध हैं। बाकी खाली पदों को भरने के लिए विज्ञापन प्रकाशित किया गया है।

संजीव श्याम सिंह के अल्पसूचित प्रश्न के जवाब में मंत्री ने कहा कि मार्च तक पटना डेंटल कॉलेज के खाली 46 पदों पर बहाली कर ली जाएगी। डेंटल कॉलेज में नामांकित छात्र इसलिए चले जाते हैं क्योंकि उनका चयन एमबीबीएस में हो जाता है। 2019-19 में 40 में 15 तो 2019-20 में 40 में 17 छात्र छोडक़र चले गए।