अलीगढ़

बुलंदशहर: मेरी मां को फांसी न लगाएं, मैं बहुत प्यार करता हूं….


एक मासूम बालक ने देश के महामहिम से लगाई मार्मिक गुहार

बुलंदशहर। जिले में नगर के एक मौहल्ले में रह रहे एक मासूम बालक ने देश के महामहिम राष्ट्रपति महोदय श्री रामनाथ कोविंद जी से अपनी माँ की फाँसी की सजा को माफ करने की मार्मिक अपील की है। विदित हो कि उत्तर प्रदेश के अमरोहा के बाबन खेड़ी गांव में 14 अप्रैल सन 2008 में एक लोमहर्षक घटना में शबनम ने अपने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर अपने परिवार के ही सात लोगो की टांगी से काटकर बेरहमी से हत्या कर दी थी जिसमे उसका दस महीने का भतीजा भी शामिल था जिससे यूपी0 ही नही अपितु पूरे देश में सनसनी फैल गयी थी और प्रदेश की तत्कालीन सीएम मायावती ने भी उस गाँव का दौरा कर अधिकारियों को जाँच कर घटना को शत प्रतिशत अनावरण करने के आदेश जारी किये थे

वहीं आजाद भारत में अभी तक किसी महिला को फाँसी नही लगी है।वहीं फाँसी की सजा पायी हुई शबनम का डेथ वारंट अभी तक जारी नही हो पाया है। वह कभी भी आ सकता है। जिसमे शबनम के साथ उसके प्रेमी को भी फाँसी की सजा सुनाई गई है। बुलंदशहर नगर के एक नामचीन स्कूल में पढ़ रहे शबनम के 13 दिसम्बर 2008 में जन्मे मासूम बालक ने महामहिम राष्ट्रपति महोदय से अपनी माँ की फाँसी की सजा को माफ करने की मार्मिक गुहार लगाई है।
नगर के एक मोहल्ले में अपने संरक्षक पिता के साथ रह रहा मासूम बालक पढ़ने में बहुत होशियार व् तेज है। वह अपनी मां से बहुत प्यार करता है।और वह 6 साल की उम्र में कानूनी लिखा पढ़ी के बाद जेल से उसके संरक्षक पिता के साथ रहकर अपनी पढ़ाई कर रहा है।
शबनम और सलीम के केस में 100 तारीखों तक बहस हुई थी इसमें 29 गवाहों ने शबनम व् सलीम के खिलाफ गवाही दी थी इस मामले की सुनवाई 27 महीने तक चली थी। इसके बाद 14 जुलाई 2010 को शबनम व् सलीम दोषी करार दिए गए थे।

15 जुलाई 2010 को उनको फाँसी की सजा सुनाई गईं थी
वही उत्तर प्रदेश की महिला जेल में पवन जल्लाद द्वारा फाँसी की रिहर्सल करना व् बलिया जेल से फाँसी के लिए दो रस्से मंगवाना,फाँसी के तख्त की मरम्मत व् लीवर को शीघ्र दुरुस्त करने की तैयारियां चलने की खबर से मासूम बालक ने द्रवित होकर देश के महामहिम राष्ट्रपति महोदय से अपनी माँ की फाँसी की सजा माफ करने की मार्मिक अपील की है।