पटना

बेगूसराय: कमीशन के फेर में गुणवत्ता की अनदेखी-एक करोड़ 92 लाख रुपये 96 उत्क्रमित उच्च विद्यालयों को फर्नीचर खरीदने के लिए मिला


बेगूसराय (आससे)। एक करोड़ 92 लाख रुपये फर्नीचर क्रय के लिए 96 विद्यालय को मिला। कमीशन के फेर में गुणवत्ता की अनदेखी। स्थलीय जाँच के बाद ही मामले का होगा खुलासा। राज्य सरकार के निर्णय अनुसार उच्च माध्यमिक विद्यालय विहीन पंचायतों के चिन्हित मध्य विद्यालयों एवं पूर्व से उत्क्रमित परंतु और असंचालित उच्च माध्यमिक विद्यालयों में फर्नीचर क्रय करने के लिए सत्र 2019-20 में 96 उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय को दो-दो लाख रुपये मुहैया कराया गया। जिसके लिए अपर मुख्य सचिव आरके महाजन ने 19 फरवरी 2020 को एक पत्र प्रेषित कर सभी को फर्नीचर खरीदने के लिए कहा था। जिसमें यह निर्देश दिया गया कि फर्नीचर का क्रय निर्धारित नियमों के अनुकूल संबंधित विद्यालय के विद्यालय शिक्षा समितियों के द्वारा किया जाएगा। जिसके लिए प्रत्येक कक्ष में 18 बेंच एवं डेस्क तथा शिक्षकों के लिए टेबल एवं कुर्सी क्रय किया जाने का आदेश दिया गया।

उक्त आदेश में कहां गया कि एक बेंच एक डेस्क के लिए ₹5000 की दर से गुणवत्तापूर्ण सामानों की खरीदारी करनी है। जिसके लिए समग्र शिक्षा अभियान विभाग ने अपने स्तर से सभी विद्यालयों की मूल्यांकन हेतु जूनियर इंजीनियर को उसकी सत्यापन का जिम्मा दिया गया। लेकिन एक करोड़ 92 लाख रुपए की राशि 96 विद्यालयों को उपलब्ध करा दिया गया। तो वही 73 उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय ने उपयोगिता प्रमाण पत्र भी जमा कर दी। ना तो खरीदी गई फर्नीचर की जांच किया गया और ना ही उनकी गुणवत्ता पूर्ण क्रय की।

अपर मुख्य सचिव के द्वारा निर्देश दिया गया था कि गुणवत्ता पूर्ण फर्नीचर की खरीद की जाए। जिसकी अवहेलना भी किया गया है अगर उन सभी चिन्हित विद्यालयों का स्थलीय जांच किया जाए तो पता चलेगा कि कई ऐसे उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय हैं जिन्होंने उन आदेशों को नहीं मानते हुए फर्नीचर का क्रय किया और उपयोगिता प्रमाण पत्र भी जमा कर दिया है। सूत्रों की माने तो समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय में बहाल जूनियर इंजीनियर के द्वारा उन विद्यालयों का स्थलीय जांच करवाया गया। लेकिन सत्यता को नकारते हुए क्लीन चिट देने का काम किया जाता रहा। वही 23 उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालयों ने अभी तक उपयोगिता प्रमाण पत्र भी जमा नहीं किए हैं।

आखिरकार किस के आदेश पर गुणवत्तापूर्ण फर्नीचर को नकार कर क्रय किए हैं। अगर इसकी स्थलीय जांच की जाए तो पता चलेगा कि विद्यालय प्रधान ने बेंच डेस्क एवं कुर्सी टेबल के क्रय हेतु शिक्षा विभाग द्वारा निर्धारित मापदंड का पालन नहीं किया है। विद्यालय शिक्षा समिति द्वारा बेंच डेस्क चेक कर निर्धारित विशेषताओं को सुनिश्चित कर एवं गुणवत्ता की जांच के उपरांत ही आपूर्तिकर्ता को राशि भुगतान करने का आदेश दिया गया। वहीं यह भी हिदायत दिया गया कि किसी प्रकार की त्रुटि होने पर उसे तुरंत वापस करने एवं बदले जाने की व्यवस्था करें साथ ही यह भी कहा गया कि राशि का भुगतान आपूर्ति के 30 दिनों के पश्चात अगले 15 दिनों के अंदर कर दी जाएगी। 30 दिनों के अंदर बेंच डेस्क की गुणवत्ता से संतुष्ट होने के उपरांत ही राशि की भुगतान की जाए।

आखिरकार बिना जांच के ही उपयोगिता प्रमाण पत्र कैसे ले ली गई। क्या समग्र शिक्षा अभियान के द्वारा स्थलीय जांच करवाई गई अगर करवाई गई थी तो इस तरह की चूक कैसे हुई। क्या इसमें समग्र शिक्षा अभियान में कार्यरत जूनियर इंजीनियर एवं सहायक अभियंता ने स्थलीय जांच कर जो रिपोर्ट विभाग को मुहैया करवाई है? क्या वह सही है? इसकी जांच विभाग के वरीय पदाधिकारी के द्वारा विशिष्ट गुणवत्तापूर्ण फर्नीचर की खरदारी की जांच करनी चाहिए। तभी जाकर वास्तविकता सामने आएगी।