फर्जी शिक्षक के मामले में फल फूल रहा गोरखधंधा
बेगूसराय (आससे)। वेतन और एरियर एडवाइस पर लेखापाल का हस्ताक्षर अनिवार्य है, अगर जो भी लेखापाल हस्ताक्षर नहीं करते हैं तो जांच के दौरान किसी भी तरह की विसंगति पाई जाती है तो लेखापाल बच नहीं सकते हैं। यही नहीं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी की भी जवाबदेही है कि जब भी बिल पर हस्ताक्षर हो तो उस बिल में लेखापाल का हस्ताक्षर होना अनिवार्य है।
बताते चलें कि वेतन और एरियर बनाने एवं एडवाइस भेजने के नाम पर कई बीआरसी केंद्र में आम शिक्षकों का दोहन किया जा रहा है तो वही कुछ प्रखंड में लेखापाल हावी हैं तो कुछ बीआरसी केंद्रों पर लेखापाल की नहीं चलती है बल्कि बिचौलिए ही उन बीआरसी केंद्र पर हावी है। बिचौलिए के माध्यम से कमाई का स्रोत बनाए हुए हैं।
ज्ञात हो की किसी भी शिक्षक का वेतन या एरियर बनता है तो वह बीआरसी केंद्र पर ही बनाए जाते हैं। इसी केंद्र पर फर्जी शिक्षकों का भी वेतन भुगतान करने का गोरखधंधा खूब फल-फूल रहा है। फर्जी शिक्षकों का तो वेतन रिलीज हो जाता है तो वही सही शिक्षक अपने हक का वेतन पाने के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है।
20 मई 2020 को तत्कालीन डीपीओ स्थापना रवि कुमार ने एक पत्र प्रेषित करते हुए आदेश दिया था कि वेतन और एरियर के एडवाइस पर लेखापाल का हस्ताक्षर अनिवार्य है और साथ ही यह भी ध्यान देना होगा कि जिस समय एडवाइस बनाए जाए उसे कंप्यूटर पर अपलोड भी किया जाए जिससे विभाग को पता चल जाए कि किन-किन शिक्षकों का भुगतान किया गया है। लेकिन इस आदेश की अनदेखी करते हुए बिचौलिए ही एडवाइस बनाते हैं और इसके एवज में मोटी रकम लेकर गलत शिक्षकों का वेतन भुगतान कराने में अहम भूमिका निभाते हैं।
यही नहीं कुछ बीआरसी केंद्र पर लेखापाल और प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के मिलीभगत से भी यह गोरखधंधा चल रहा है जब भी बीआरसी केंद्र की जांच की जाए तो पता चल पाएगा कि गलत एडवाइस से कितने फर्जी शिक्षकों का बिल पास हुआ है। इस रैकेट में कौन-कौन शामिल है। इसकी पूरी जानकारी विभाग को मिल जाएगी। सवाल उठना लाजमी है कि बिना लेखापाल के हस्ताक्षर के कोई भी एडवाइस पास कैसे हो जाता है। क्या एडवाइस पर लेखापाल का हस्ताक्षर होना अनिवार्य नहीं है।
इस संदर्भ में जब जिला शिक्षा पदाधिकारी रजनीकांत प्रवीण से बातचीत किया तो उन्होंने बताया कि प्रत्येक एडवाइस पर लेखापाल का हस्ताक्षर होना अनिवार्य है अगर जिस एडवाइस पर हस्ताक्षर लेखापाल की नहीं होती है तो जांच उपरांत कार्रवाई की जाएगी वही प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी से भी कहा गया है कि जब वेतन और एरियर से संदर्भित एडवाइस बनता है तो उस पर लेखापाल का हस्ताक्षर जरूर करवाएं। लेखापाल अपनी जवाबदेही से बच नहीं सकते हैं। अगर किसी बीआरसी केंद्र पर बिचौलिए गोरख धंधा कर रहे हैं तो उसकी शिकायत जिला शिक्षा पदाधिकारी से की जाए।
समीक्षा बैठक के दौरान सहायक समाहर्ता अनुपम श्रेष्ठ, अपर समाहर्ता आपदा प्रबंधन डा. अजय कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी पूर्वी डा. कुन्दन कुमार, अनुमंडल पदाधिकारी पश्चिमी डॉक्टर अनिल कुमार दास, वरीय उप समाहर्ता आपदा प्रबंधन विकास कुमार, जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कंसलटेंट/डीएम प्रोफेशनल मोहम्मद साकिब खान आदि उपस्थित रहे।