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भारत में जल्द दस्तक दे सकती है कोरोना की तीसरी लहर,


  • उम्मीद की जाती है कि देश सितंबर तक कोरोना महामारी की तीसरी लहर का सामना करेगा, वहीं टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह (एनटीएजीआई) के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा है कि तब तक भारत कम से कम छह और टीके उपलब्ध होने की उम्मीद कर सकता है. छह टीकों में से जायडस-कैडिला (Zydus-Cadilla) की तरफ से दुनिया की पहली डीएनए-प्लास्मिड वैक्सीन है, जो भारत में बनी है. स्वास्थ्य मंत्रालय को जुलाई तक 30-35 करोड़ खुराक की खरीद की उम्मीद है, ताकि एक करोड़ लोगों को एक दिन में टीका लगाया जा सके.

मीडिया को जारी एक बयान में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के इंडियन साइंस चैनल के एक इंटरव्यू में एनटीएजीआई के कोविड -19 वर्किंग ग्रुप के अध्यक्ष डॉ नरेंद्र कुमार अरोड़ा ने कहा कि टेस्ट काफी उत्साहजनक हैं. साथ ही कहा कि हमें उम्मीद है कि वो सितंबर तक उपलब्ध हो जाएंगे. जायडस की वैक्सीन के साथ-साथ देश बायोलॉजिकल ई के प्रोटीन सब-यूनिट वैक्सीन की भी उम्मीद कर रहा है.

कॉर्बेवैक्स नाम की वैक्सीन 90 फीसदी से अधिक प्रभावी

एनटीएजीआई के मुताबिक बायोलॉजिकल ई के मेड-इन-इंडिया टीके में कोरोना के खिलाफ 90 प्रतिशत प्रभावकारिता होने की उम्मीद है और ये महामारी के खिलाफ लड़ाई में गेम-चेंजर साबित हो सकता है. कॉर्बेवैक्स नाम की वैक्सीन नोवावैक्स वैक्सीन के बराबर है, जो 90 फीसदी से अधिक प्रभावी है, जिसमें SARS-CoV-2 वेरिएंट भी शामिल है. इस बीच पुणे स्थित जेनोवा द्वारा सिएटल स्थित HDT बायोटेक कॉरपोरेशन के सहयोग से निर्मित भारत की पहली mRNA वैक्सीन HGCO19 जेनेटिक कोड के बिट्स का उपयोग करके इम्यून रिस्पॉन्स का कारण बनता है. इसे 2-80 डिग्री सेल्सियस के तापमान में स्टोर किया जा सकता है. ये सितंबर तक मिलने की उम्मीद है. अन्य दो टीको में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की नोवावैक्स (जिसे भारत में कोवोवैक्स के रूप में जाना जाता है) और जॉनसन एंड जॉनसन है, जिन्हें अभी अप्रूव किया जाना बाकी है.