पटना

मधुबनी: कमला नदी के बढ़ते जलस्तर से भयभीत हैं तटबंधों से सट कर बसी आवादी


झंझारपुर (मधुबनी)(आससे)।तकरीबन 10 दिनों के बाद कमला बलान का जलस्तर मंगलवार को फिर बढ़ता दिखा। बुधवार को जलस्तर 52.42 पर पहुंच गया था। बढ़ते जल स्तर  से तटबंधों के भीतर और इनके बाहर सट कर बसी आवादी भयभीत है।

बताते चलें कि यह आवादी घुमड़ते बरसते  मेघ और और नदी के बढ़ते जलस्तर को देख कर घबरा जाते हैं। उनकी आँखों के सामने चलचित्र की भांति तटबंधों के टूटने पर घर, द्वार, सड़क, फसल, पशुधन, रिश्तेदार और विकास आदि  के बह जाने और  बतौर शरणार्थी  जानवरों की तरह राहत शिविर रहने का मंजर दिखने लगता है।

बताते चलें कि अनुमण्डल के अंधरा ठाढ़ी, झंझारपुर, लखनोर और मधेपुर के देवहार, शिवा रखवारी, हररी, हरना, कर्णपुर, महरैल और नदी पार पश्चिम में गंगद्वार, मैलाम बेहट उत्तर, बेहट दक्षिण नवटोल, गंगा पुर, राजा खरवार, लखनोर खैरी, मधेपुर खैरी आदि दर्जनो गांव और पंचायतें तटबंधों से लगे हैं। भिखना, बिठौनी, तारापट्टी, रामपुर, मारन टोल रखवारी मुसहरी, भदुआर हरिणा कर्णपुर, कंदर्पी घाट, महरैल  और नदी पार पश्चिम में गंगद्वार रजनपुरा, मैलाम, परतापुर, नवटोल बलभद्रपुर गंगापुर, खैरी आदि कमला नदी के तटबंधों से सटे गांव और बाढ़ प्रणव क्षेत्र हैं। तटबंधों के टूटने और बाढ़ के पानी को फैलने से इन पंचायतों और गांवों में भारी क्षति होती है। इन गांवों के दर्जनो टोले और एक बड़ी आवादी  तटबंधों के बीच में भी बसी हुई है।

मानसून के दौरान हर साल बाढ़ को लेकर इन लोगों का मन सम्भावित बाढ़ को लेकर  कांपता रहता है। बाढ़ आने पर जनजीवन अस्त-व्यस्त हो जाते और  बहुत बड़े पैमाने पर घर द्वार, धन, विकास और कभी-कभी जन की भी क्षति होती है।

यही कारण है कि मानसून में मेघ को देख कर ये लोग भयभीत हो जाते और  परिवार के बड़े बूढ़े रतजगा कर तटबंधों की स्थिति का जायजा लेते रहते है।