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मध्य प्रदेश में अब स्थानीय सरकार के गठन में हार्स ट्रेडिंग, पंचायतों पर कब्जे को लेकर जोर-आजमाइश


भोपाल। सरकार बनाने के लिए अब तक विधायकों के साथ हार्स ट्रेडिंग (खरीद-फरोख्त) का खेल तो सुना जाता रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश में इस बार पंचायतों पर कब्जे के लिए भी इसकी शुरुआत हो गई है। जहां भाजपा-कांग्रेस को जिला और जनपद पंचायतों में बहुमत नहीं मिल रहा है, वहां के निर्वाचित सदस्यों को दोनों ही पार्टियों ने अपने कब्जे में लेना शुरू कर दिया है। हालांकि चुनाव गैरदलीय आधार पर होते हैं, लेकिन प्रत्याशियों को पार्टियों का खुलकर समर्थन मिलता है। ताजा मामलों में छिंदवाड़ा, खंडवा और अशोकनगर सहित कई जिलों से इसकी पुष्टि भी हुई है।

भाजपा ने कमल नाथ पर लगाया आरोप

खंडवा में पंधाना के 16 और छैगांवमाखन के 14 जनपद सदस्यों को विधायक ने राजस्थान भेज दिया है। इसी तरह कई जगह निर्वाचित सदस्य प्रमाण पत्र लेने नहीं पहुंचे हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा ने आरोप लगाया कि हमारे एक सदस्य को कमल नाथ अपने साथ ले गए हैं। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 313 जनपद (ब्लाक) पंचायतों में सदस्यों के चुनाव हुए हैं। इनके अध्यक्ष-उपाध्यक्ष और 52 जिला पंचायतों के अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का निर्वाचन होना है। त्रिस्तरीय पंचायतराज में ग्राम पंचायत स्तर पर सरपंच, विकास खंड में जनपद पंचायत अध्यक्ष और जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष प्रधान होते हैं।

कब्जे के लिए जिम्मा सौंपा भाजपा और कांग्रेस ने

जिला पंचायत और जनपद पंचायत में कब्जे के लिए अपनी-अपनी पार्टी के नेताओं को जिम्मा सौंप दिया है। भाजपा में प्रभारी मंत्री संगठन के जिला और संभाग प्रभारी, जिलाध्यक्ष और विधायक-सांसदों के साथ मिलकर तय करेंगे कि जहां भाजपा समर्थक या अन्य में कोई तोड़-फोड़ होने की संभावनाएं दिखेंगी तो वहां के निर्वाचित सदस्यों को सुरक्षित स्थान या पर्यटन पर ले जाया जाएगा। अगले 15 दिनों तक सभी निर्वाचित सदस्यों की निगरानी भी की जाएगी। वहीं, कांग्रेस ने पूर्व मंत्रियों और विधायकों को अध्यक्ष के चुनाव की तैयारी करने का जिम्मा सौंपा है।